Shani Mantra: भगवान शनिदेव की कृपा पाने के लिए करें इन मंत्रों का पाठ

शनि देव की प्रबल दशा से बचने और उनकी कृपा पाने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं। आइए, इन मंत्रों को जानें।

Shani mantra: हिंदू धर्म में ग्रहों का बहुत महत्व है। उनकी चाल, दशा, उनकी पूजा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यहां तक कि शादी भी लड़के-लड़की की कुंडली में उनके ग्रह, नक्षत्रों का मिलान करने के बाद ही तय किया जाता है। 

शनिदेव (Shani Dev) भारतीय ज्योतिष और पौराणिक ग्रंथों में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे सौरमंडल में शनि ग्रह के रूप में जाने जाते हैं। शनिदेव को धार्मिकता, न्याय, कर्म, तपस्या और न्याय के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। उनके मंत्रों (shani mantra) को जाप करने से व्यक्ति अपने जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकता है। 

तो आइए, शनिदेव के लाभकारी मंत्रों (Shani Mantra) को जानें और इन मंत्रों का पाठ करके शनिदेव को प्रसन्न करें। 

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शनि मंत्र (Shani dev Mantra)

शनि महामंत्र (shani mantra in hindi)

नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्

छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चराम

नीलांजना समभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्

छाया मार्तण्ड संभूतं तम नमामि शश्चरम्

अर्थ- 

वह नीले आकाश, सूर्य की रोशनी की तरह दिखता है और सत्ता में सबसे शक्तिशाली है। वह चमकदार सूरज पर भी छाया डाल सकता है। हम आज्ञा के देवता शनि के सामने नतमस्तक होते हैं।’

मंत्र पाठ की विधि: 

इस मंत्र को हनुमान जी की मूर्ति के सामने सुबह या शाम किसी भी समय किया जा सकता है। इस मंत्र को कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥

“ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्रय नमः।”

अर्थ: 

‘शनि देव, कृपया मुझ पर दया करें और मेरी नसों को शांत करें।’

विधि: शनिदेव के इस मंत्र का जाप काले गोमेद की माला से हनुमान जी की मूर्ति के सामने 108 बार शाम को करना चाहिए।

शनि गायत्री मंत्र (Shani Gayatri Mantra)

ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मंदः प्रचोदयात्

अर्थ- 

ओम, मुझे उस पर विचार करने दो जिसके ध्वज पर एक कौवा है, ओह, वह जो अपनी हथेली में तलवार चलाता है, और सनीश्वर को मेरे विचारों को प्रबुद्ध करने दो।

शनिदेव पाठ विधि: 

इस मंत्र का जाप शाम के समय ईशान या पूर्व दिशा की ओर मुख करके 108 बार जपना चाहिए।

शनि मूल मंत्र:

ॐ शं शनैश्चराय नमः

अर्थ- 

शनिदेव को नमस्कार है।

पाठ विधि: 

इस मंत्र को सुबह या शाम किसी भी समय हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने 108 बार जाप करने से जातक को उचित फल की प्राप्ति होती है।

शनिदेव के मंत्रों की पाठ विधि: 

शनिदेव के मंत्रों (shani mantra) का उच्चारण शुभ मुहूर्त में करना होता है। मंत्रों को नियमित रूप से जाप करने से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक स्तर पर समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

शनिदेव मंत्रों के लाभ (Benefits of Shanidev Mantras)

  • शनिदेव के मंत्र (shani mantra) अनुष्ठान शनिदोष, शनि की ढैय्या, शनि साढ़ेसाती और शनि के विरुद्ध दोषों को दूर करने में मदद करते हैं। 
  • शनिदेव के मंत्रों  से धन और सम्पत्ति में वृद्धि होती है। न्याय के लिए समर्थता मिलती है और न्यायिक विवादों का समाधान होता है। 
  • शनि ग्रह की दशा और अंतर्दशा के दुष्प्रभाव को कम करता है। 
  • संबंधों में सुधार होता है और परिवार के साथ में सद्भाव बना रहता है। 
  • शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान होता है। 
  • अध्यात्मिक उन्नति और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है।

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