Rahu Ketu Shanti Puja: राहु केतु की महादशा से हैं परेशान, तो कराएं राहु केतु शांति पूजा
Rahu Ketu Shanti Puja: क्या आप राहु केतु की महादशा से परेशान हैं या जीवन में कई तरह से परेशानियां आ रही है या सपने परेशान कर रहे हैं या रात में नींद नहीं आ रही है, या चिंता खाए जा रही हैं या नौकरी नहीं मिल रही है तो आपको जीवन में एक बार राहु केतु शांति पूजा अवश्य करानी चाहिए।
राहु के प्रभाव से क्या होता है
राहु आसुरी बुद्धि के कारक हैं। इस लिए राहु बुद्धि से जुड़े विकार पैदा करने वाले हैं। राहु के प्रभाव से किसी के भी दिमाग में भ्रम पैदा हो जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार असुर स्वर्भानु की गर्दन काटने से उत्पन हुए राहु। कहा जाता है कि राहु केवल सिर था, इस लिए राहु का प्रभाव बुद्धि में अधिक देखा जाता है। राहु के प्रभाव से लोग निर्णय नहीं ले पाते। जिसके कारण जीवन में संघर्ष बढ़ जाता है।
राहु के प्रभाव से ही मनुष्य जीवन में आसुरी कार्यो से उन्नति भी प्राप्त करता है। राहु अमर हैं इसलिए राहु के प्रभाव से जीवन में आने वाली उन्नति और प्रसिद्धी समाज के विरुद्ध आचरण से आती है, जो मनुष्य को अशान्त करती है और लांछन भी लगवाती है। जिसके लिए राहु का अनुकूल प्रभाव हो तो वो मनुष्य बहुत उन्नति प्राप्त करता है।
केतु के प्रभाव से क्या होता है
असुर स्वर्भानु की गर्दन कटने के बाद बचा निचे का हिस्सा धड़ था। स्वर्भानु एक बहुत बलशाली असुर था। पुरुष का बल उसकी बुद्धि के साथ उसके बाहु बल से देखा जाता है। केतु मनुष्य को बाहु बल प्रदान करते हैं। जिसके प्रभाव से मनुष्य उन्नति प्राप्त करता है।
केतु के पास गर्दन ना होने के कारण उसमे संवेदना नही हैं। इस लिए केतु के प्रभाव से मनुष्य किसी भी अच्छे बुरे का निर्णय नही ले पाता है। परन्तु अगर केतु का शुभ फल मिलने वाला हो तो मनुष्य को उन्नति के पथ पर लेकर जाता है।
राहु केतु और काल सर्प
राहु-केतु के शुभ फल प्राप्त होने पर मनुष्य के जीवन में ऐसे ऐसे चमत्कार होते हैं जिनकी कल्पना भी हम नही कर सकते। राहु-केतु के प्रभाव से काल सर्प जैसे योग का निर्माण होता है। जिसकी कुण्डली में काल सर्प योग होता है, राहु-केतु की शांति करने के बाद वो लोग बहुत बड़े और सम्मानित पद को प्राप्त करते हैं। काल-सर्प जैसे योग वाले लोग बड़े नेता बनते हैं। बड़े व्यापारी बनते हैं।
राहु-केतु और बुरे सपने
अंधकार के कारक हैं राहु-केतु। इनके प्रभाव से जीवन में होने वाली घटनाओं का संकेत मिलता हैं। राहु-केतु, के प्रभाव से रात को गहरी नीद नहीं आ पाती। जब भी नींद आती है तो बुरे सपने आने लगते हैं। जिसके कारण बार बार नींद टूट जाती है। अगर राहु केतु का शुभ फल मिल रहा हो तो नींद अच्छी होने के साथ साथ अच्छे सपने भी आने लगते हैं। ऐसे सपने जो जीवन में होने वाली घटना पहले ही दिखा देते हैं। आने वाले कल को अच्छा बनाने के लिए रास्ते खुलने लगते हैं।
राहु-केतु और भूत-प्रेत
राहु केतु को एक ही मनुष्य के शरीर के 2 भागों में बंटे होने से 2 तरह के प्रभावों से युक्त माना जाता है। राहु बुद्धि को भ्रमित करने वाले ग्रह के रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं। जो बुद्धि को अपने नियंत्रण में लेकर बुरे विचार बुरे सपने और भूत-प्रेत जैसी समस्या पैदा करते हैं। राहु भूत और केतु प्रेत जैसी बाधा को दिखाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इनका भूत प्रेत से जुडी बाधा के लिए राहु केतु का बहुत अधिक प्रभाव देखा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुण्डली में राहु के साथ चंद्रमा हो तो उस जातक को बुरे स्वप्न परेशान करते हैं। अगर चद्रमा के साथ राहु की युति हो और इनकी दशा हो तो जातक को भूत प्रेत जैसी बाधा भी देखने को मिलती हैं।
राहु केतु शांति पूजा (Rahu Ketu Shanti Puja)
राहु-केतु ग्रहों के प्रभाव को समझने के बाद उसके अशुभ फल को शुभ फल में बदलने के लिए कुछ उपाय किये जाते हैं। राहु केतु का शुभ फल प्राप्त करने के उपाय
- मछ्लियों को आटा खिलाएं।
- भगवान शिव का अभिषेक करें।
- शीशा बहते पानी में डालें।
- काली वस्तु बहते पानी में डालें।
- शिव मंदिर में तिल के तेल का दीपक लगाएं।
- गोमेद रत्न धारण करें।
- लहसुनिया रत्न धारण करें।
- हक़ीक धारण करें।
यदि आप भी राहु केतु की शांति प्राप्त करना चाहते हैं। तो VAMA द्वारा आयोजित राहु-केतु शांति पूजा में भाग लें, जो हो रही है, राहु मंदिर,पैठाणी, उत्तराखण्ड में।
राहु केतु कौन हैं
राहु-केतु को छाया ग्रहों के नाम से जाना जाता है। राहु केतु ऐसे ग्रहों में आते हैं जो पिण्ड रूप में नहीं दिखाई देते, परन्तु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, क्रांति वृत्त और नाड़ी वृत्त के मिलने वाले स्थान पर बनने वाले सम्पात बिन्दुओं को राहु और केतु के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में समुद्र मंथन के समय समुद्र से अमृत निकला था। जब देवताओं और असुरों में अमृत पिने को लेकर विवाद हुआ, तो भगवान श्री हरी विष्णु जी ने मोहिनी रूप धारण किया। देवताओं और असुरों को अमृत पान करवाने का कार्य किया। ये श्री हरी की लीला थी।
जब श्री हरी देवताओं को अमृत पान करवाने आते हैं। अमृत का पान करवाने के समय वो देवताओं कोअमृत का पान करवाते, परन्तु जब असुरों को अमृत पान करवाना होता तो अमृत पात्र बदल देते। इस तरह वो अपनी लीला करते रहे, परन्तु जल्दी ही उनकी लीला को असुर स्वर्भानु ने जान लिया। स्वर्भानु भी देवताओं का रूप बना कर देवताओं की पंक्ति में जा कर बैठ गया।
श्री हरी अपनी लीला करते हुए जैसे ही स्वर्भानु के पास आए और अमृत पान करवाया। तभी श्री हरी जान गए की वो एक असुर को अमृत पान करवा चुके हैं। तुरन्त श्री हरी ने अपना वास्तविक रूप धारण किया और स्वर्भानु की गर्दन को अपने सुदर्शन चक्र से धड़ से अलग कर दिया। परन्तु तब तक स्वर्भानु अमृत पान कर चुका था।
स्वर्भानु अमृत पान कर के अमर हो चुका था। उसकी गर्दन और धड़ 2 टुकड़ों में बंट चुका था। तब से स्वर्भानु की गर्दन राहु के रूप में और धड़ केतु के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। सभी देवताओं ने तब उनको आशीर्वाद दिया और बिना रूप के उन्हें देवतों के तुल्य स्थान दिया गया।
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