Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के आठवें दिन मां गौरी की पूजा, जानिए पूजा विधि और मंत्र…

नवरात्रि के आठवें दिन भक्त विशेष मंत्र और भोग के द्वारा गौरी को प्रसन्न करते हैं। इस वर्ष मां गौरी की पूजा 10 अक्टूबर, 2024 गुरुवार को की जाएगी। ऐसे में इसदिन किस विधि से पूजा की जाती है, मंत्र क्या है, क्या भोग लगाएं? इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। तो चलिए, यहां VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य देव से जानते हैं- नवरात्रि के आठवें दिन गौरी की पूजा कैसे करें?

Maa Gauri Ki Puja Vidhi: नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। इसदिन मां दुर्गा जी की आठवीं स्वरूप मां गौरी की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन माता के 9 स्वरूप कन्या पूजन भी किया जाता है। 

मां गौरी अवतार का पूजा करने से भक्तों को जीवन में समृद्धि, आर्थिक उन्नति, व्यापार में लाभ, कर्ज मुक्ति और सिद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही देवी समस्त नकारात्मक शक्तियों से व्यक्ति की सुरक्षा करती हैं। 

नवरात्रि के आठवें दिन भक्त विशेष मंत्र और भोग के द्वारा गौरी को प्रसन्न करते हैं। इस वर्ष मां गौरी की पूजा 10 अक्टूबर, 2024 गुरुवार को की जाएगी। ऐसे में इसदिन किस विधि से पूजा की जाती है, मंत्र क्या है, क्या भोग लगाएं? इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।

तो चलिए, यहां VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य देव से जानते हैं- नवरात्रि के आठवें दिन गौरी की पूजा कैसे करें?

सबसे पहले मां दुर्गा जी की आठवीं स्वरूप गौरी को जान लेते हैं।

महागौरी, मां दुर्गा

महागौरी : मां दुर्गा का आठवां स्वरूप

यह अवतार दुर्गा जी ने शुंभ, निशुंभ नाम के दानवों को मारने के लिए लिया था। माता का यह स्वरूप बहुत ही गौर यानी सफेद है इसी कारण इस स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना जाता है। माता महागौरी को माता पार्वती का ही एक रूप कहा जाता है क्योंकि माता पार्वती की तपस्या के कारण ही उन्हें महागौरी अवतार प्राप्त हुआ था।

तो चलिए यहां जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां गौरी की पूजा कैसे करें? 

मां गौरी की पूजा विधि (maa gauri puja vidhi)

  • 10 अक्टूबर, 2024 को नवरात्रि के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर मां गौरी का ध्यान करें।
  • जहां आपने घटस्थापना की है, वहां साफ-सफाई करके मां गौरी की प्रतिमा या फोटो को लाल या पीले कपड़े पर रख दें।
  • अब मां गौरी को कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
  • मां गौरी को धूप दिखाकर मां की विधिवत पूजा करें।
  • मां गौरी को सफेद रंग बेहद पसंद है, अतः उन्हें सफेद रंग के फूल और भोग अवश्य चढ़ाएं।
  • पूजा के समापन के पहले मां गौरी की आराधना मंत्रों का पाठ करें।
  • उसके बाद आप दुर्गा सप्तशती और मां गौरी की आरती का पाठ करें। 
  • इन मंत्रों का पाठ को करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

मां गौरी का भोग (maa gauri ka bhog)

नवरात्रि में माता को भोग चढ़ाने का विशेष महत्व है। आठवें दिन महागौरी को नारियल या उससे बनी मिठाइयों का भोग लगाने का विधान है, इससे मां खुश होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऐसे में आप माता के लिए नारियल के लड्डू चढ़ा सकते हैं।

मां महागौरी का बीज मंत्र

‘श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः’.

मां गौरी की पूजा मंत्र (maa gauri mantra)

नवरात्रि के आठवें दिन बड़े विधि-विधान से मां गौरी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान माता के पूजा मंत्रों का पाठ अवश्य करें। इससे प्रसन्न होकर मां आपके जीवन में सौभाग्य और खुशियां प्रदान करती हैं। 

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां गौरी की आरती (maa gauri ki aarti)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।

ॐ जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर विराजत, टीको जगमद को।

उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।

ॐ जय अम्बे गौरी।।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।।

ॐ जय अम्बे गौरी।।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।

ॐ जय अम्बे गौरी।।

मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla gauri vrat katha)

पौराणिक कथा अनुसार, एक समय कुरु देश में श्रुतिकीर्ति नामक एक बहुत ही प्रसिद्ध राजा रहता था। वह बहुत ही दयावान, दयालु और अनेक कलाओं में निपुण था। उस के राज्य में समस्त प्रजा बहुत सुखी थी परन्तु राजा बहुत ही दुखी और परेशान था क्योंकि उसके कोई पुत्र संतान नहीं था। 

पुत्र प्राप्ति के लिए राजा ने कई तप-जप और अनुष्ठान किए, जिस से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने राजा को एक पुत्र वरदान स्वरूप दिया लेकिन उस का जन्म के साथ उसके मरण की भी भविष्यवाणी कर दी की तुम्हारा पुत्र सोलह वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

भगवान शिव के आशीर्वाद से समयानुसार रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जिस का नाम चिरायु रखा गया। जैसे-जैसे चिरायु बड़ा होने लगा राजा और रानी को अपने पुत्र की अकाल मृत्यु की चिंता सताने लगी। राजा ने अपने राज्य के विद्वानों को बुला कर अपनी चिंता बताई। 

विद्वानों के सुझाव अनुसार राजा ने चिरायु का विवाह एक ऐसी कन्या से कर दिया जो मंगला गौरी का व्रत करती थी। मंगला गौरी के व्रत के आशीर्वाद से उस कन्या का सौभग्य अखंड हुआ और लम्बी आयु वाले वर की प्राप्ति हुई। इस प्रकार राजा ने अपने पुत्र के जीवन की रक्षा की।

ये तो थी, मां गौरी की पूजा विधि (Maa Gauri Ki Puja Vidhi) और मंत्रों की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और मंत्रों की जानकारी के लिए वामा ऐप से जुड़े रहें।