नवरात्रि में क्यों करते हैं कन्या पूजन? यहां जानिए इसका महत्व

सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का खास महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।

मान्यता है कि अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर हो रही है। अतः इस बार अष्टमी 22 अक्टूबर और नवमी 23 अक्टूबर, 2023 को मनाई जाएगी।

इस दिन कन्याओं के पांव धोए जाते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस दिन भक्त अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं को उपहार भी देते हैं।

तो आइए जानते हैं कि नवरात्रि में कन्या पूजन क्यों किया जाता है और इसका महत्व क्या है।

कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है। नवरात्रि में नौ कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

कन्या पूजन में बैठने वाली कन्याओं की उम्र 9 साल तक होनी चाहिए। इसके अलावा एक बालक का भी कन्या पूजन में शामिल होना जरूरी होता है।

जिस तरह से मां दुर्गाकी पूजा भैरव के बिना अधूरी मानी जाती है, वैसे ही कन्या पूजन भी बालक के बिना अधूरा माना जाता है। बालक को भैरव का रूप माना गया है।

नवरात्रि में व्रत रखने के बाद कन्या पूजन करने से माता रानी प्रसन्न होती है और भक्तों को सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती हैं।

इसके साथ ही कन्या पूजन करने से कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है।कन्या पूजन से मां दुर्गा की कृपा सदैव भक्त पर बनी रहती है।

ये तो थी, कन्या पूजन की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और मंत्रों की जानकारी के लिए वामा ऐप से जुड़े रहें।