गया में श्राद्ध करने से मिलती है 7 पीढ़ियों को मोक्ष, जानिए इस स्थान का महत्व

pitru paksha 2023

इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है। इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा।

आपको बता दें, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होकर अमावस्या तक के 15 दिनों की अवधि पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) कहलाती है।

कहा जाता है कि यदि हमारे पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है तो हमारे कुंडली में पितृदोष जैसी समस्याएं आ जाती हैं।

कुंडली में पितृ दोष होने के कारण विवाह में विलम्ब, विवाह के बाद सन्तान प्राप्ति में बाधा, घर-परिवार में कलह, असाध्य रोग जैसी समस्याएं जीवन में आने लगती है।

पितृपक्ष में देश के कई स्थानों पर पिंडदान और तर्पण किए जाने की परंपरा है, लेकिन बिहार के गया शहर में पिंडदान का विशेष महत्व है।

बिहार में पवित्र फल्गु नदी के किनारे बसे हुए गया शहर का हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है।

पितृ शांति के लिए देश के सभी 55 मान्यता प्राप्त स्थानों में गया जी धाम सबसे प्रमुख है।

कहा जाता है कि गयासुर नाम के राक्षस को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था की उसके दर्शन कर के कोई भी पापमुक्त हो जायेगा, जिसके परिणामस्वरूप धरती पर लोग भयमुक्त होकर पाप करने लगे।

आखिर में विष्णु भगवान ने अपनी गदा से उसका वध कर दिया और इसी कारण विष्णु जी को गया जी तीर्थ पर मुक्तिदाता माना जाता है।

इस पावन धाम पर किसी मनुष्य का श्राद्ध, पिंड दान, तर्पण आदि करने से उसे पुनः मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मान्यताओं के अनुसार गया शहर में फाल्गुनी नदी के किनारे पिंडदान करने से 7 गोत्र और 121 पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है।

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