Shri Krishna Chalisa: श्री कृष्ण चालीसा पाठ विधि और लाभ

श्री कृष्ण कृपा प्राप्ति के लिए श्री कृष्ण चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इस पाठ के करने से सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं।

Shri Krishna Chalisa: श्री कृष्ण जी विष्णु भगवान का आठवां अवतार हैं। श्री कृष्ण कृपा प्राप्ति के लिए श्री कृष्ण चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इस पाठ के करने से सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। श्री कृष्ण हमें सृष्टि के सभी सुखों का उपभोग प्रदान करते हैं। 

श्री कृष्ण चालीसा का पाठ (Shri Krishna Chalisa) करने वाले मनुष्य के मन में किसी के प्रति कोई वैर-द्वेष का भाव नहीं रहता। कृष्ण आराधना करने वाला व्यक्ति स्वयं साक्षात श्री कृष्ण के समान हो जाता है। श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) का पाठ करने से मनुष्य का जीवन सुखों में व्यतीत होता है।

तो चलिए, जानते हैं- श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) और पाठ की विधि… 

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पूजा का नाममंदिर (स्थान)
ऋण मुक्ति पूजाऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन)
शनि साढे़ सातीशनि शिंगणापुर देवस्थानम, महाराष्ट्र
राहु ग्रह शांति पूजाजरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज
माँ बगलामुखी महापूजामाँ बगलामुखी धाम, उज्जैन
पितृ दोष शांति एवं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजाधर्मारण्य तीर्थ, गया, बिहार

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) 

॥ दोहा॥

बंशी शोभित कर मधुर,

नील जलद तन श्याम ।

अरुण अधर जनु बिम्बफल,

नयन कमल अभिराम ॥

पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,

पीताम्बर शुभ साज ।

जय मनमोहन मदन छवि,

कृष्णचन्द्र महाराज ॥

॥ चौपाई ॥

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन ।

जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥1॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।

जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥2॥

जय नट-नागर नाग नथैया ।

कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ॥3॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।

आओ दीनन कष्ट निवारो ॥4॥

वंशी मधुर अधर धरी तेरी ।

होवे पूर्ण मनोरथ मेरो ॥5॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो ।

आज लाज भारत की राखो ॥6॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।

मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥7॥

रंजित राजिव नयन विशाला ।

मोर मुकुट वैजयंती माला ॥8॥

कुण्डल श्रवण पीतपट आछे ।

कटि किंकणी काछन काछे ॥9॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।

छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥10॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले ।

आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥11॥

करि पय पान, पुतनहि तारयो ।

अका बका कागासुर मारयो ॥12॥

मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला ।

भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला ॥13॥

सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई ।

मसूर धार वारि वर्षाई ॥14॥

लगत-लगत ब्रज चहन बहायो ।

गोवर्धन नखधारि बचायो ॥15॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।

मुख महं चौदह भुवन दिखाई ॥16॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।

कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥17॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।

चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें ॥18॥

करि गोपिन संग रास विलासा ।

सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥19॥

केतिक महा असुर संहारयो ।

कंसहि केस पकड़ि दै मारयो ॥20॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई ।

उग्रसेन कहं राज दिलाई ॥21॥

महि से मृतक छहों सुत लायो ।

मातु देवकी शोक मिटायो ॥22॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।

लाये षट दश सहसकुमारी ॥23॥

दै भिन्हीं तृण चीर सहारा ।

जरासिंधु राक्षस कहं मारा ॥24॥

असुर बकासुर आदिक मारयो ।

भक्तन के तब कष्ट निवारियो ॥25॥

दीन सुदामा के दुःख टारयो ।

तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो ॥26॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे ।

दुर्योधन के मेवा त्यागे ॥27॥

लखि प्रेम की महिमा भारी ।

ऐसे श्याम दीन हितकारी ॥28॥

भारत के पारथ रथ हांके ।

लिए चक्र कर नहिं बल ताके ॥29॥

निज गीता के ज्ञान सुनाये ।

भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये ॥30॥

मीरा थी ऐसी मतवाली ।

विष पी गई बजाकर ताली ॥31॥

राना भेजा सांप पिटारी ।

शालिग्राम बने बनवारी ॥32॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो ।

उर ते संशय सकल मिटायो ॥33॥

तब शत निन्दा करी तत्काला ।

जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ॥34॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई ।

दीनानाथ लाज अब जाई ॥35॥

तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला ।

बढ़े चीर भै अरि मुँह काला ॥36॥

अस नाथ के नाथ कन्हैया ।

डूबत भंवर बचावत नैया ॥37॥

सुन्दरदास आस उर धारी ।

दयादृष्टि कीजै बनवारी ॥38॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो ।

क्षमहु बेगि अपराध हमारो ॥39॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै ।

बोलो कृष्ण कन्हैया की जै ॥40॥

॥ दोहा ॥

यह चालीसा कृष्ण का,

पाठ करै उर धारि।

अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,

लहै पदारथ चारि॥

श्री कृष्ण चालीसा पाठ विधि (Shri Krishna Chalisa Path Vidhi) 

श्री कृष्ण चालीसा का पाठ प्रातः काल या संध्या कल किसी भी समय किया जा सकता है। यदि आप प्रातः में श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करते हैं तो … 

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शुद्ध जल से स्नान करें 
  • स्वच्छ वस्त्र धारण करें 
  • स्वच्छ आसान बिछाए 
  • लड्डू गोपाल रूप श्री कृष्ण भगवान जी को दूध दही शहद की शक्कर इत्यादि से स्नान करवाएं।
  • नित्य पूजा के रूप में केवल शुद्ध जल से स्नान करवा सकते हैं।
  • भगवान को स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। 
  • भगवान को चंदन का तिलक लगाएं। 
  • स्वयं भी चंदन का तिलक लगाएं। 
  • कृष्ण भगवान जी को लड्डू, फल, फूल इत्यादि का भोग लगाएं। 
  • श्री कृष्ण नाम के मंत्र की माला का जाप करें। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करें। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का एक पाठ सुबह और एक पाठ शाम को अवश्य करें। 
  • पाठ करने के बाद श्री कृष्ण नाम की एक माला का जाप फिर से करें। 
  • दिन भर श्री कृष्ण भगवान का चिंतन करें। 

कृष्ण चालीसा पाठ के लाभ ( Benefits of Shri Krishna Chalisa)

श्री कृष्ण कृपा प्राप्ति के लिए कृष्ण चालीसा का पाठ करना सबसे उत्तम माना गया है। चालीसा का पाठ करने से मनुष्य जो जीवन के सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

  • श्री कृष्ण चालीसा पाठ करने से मनुष्य परम सुख को प्राप्त करता है। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से संतान की कामना करने वालों को श्री कृष्ण जैसी संतान की प्राप्ति होती है। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से परमपद की प्राप्ति होती है। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से मनुष्य सृष्टि के सभी ऐश्वर्या का उपभोग करता है। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ मनुष्य को समस्त बंधनों से मुक्ति प्रदान करता है। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से विद्यार्थियों को उच्च विद्या की प्राप्ति होती है।
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
  • श्री कृष्ण चालीसा का पाठ आपको पिछले जन्मों के कष्टों से मुक्ति देता है।

श्री कृष्ण जी की शरण में जाने वाले के जीवन में किसी प्रकार के कष्ट नहीं रहते। मनुष्य को परिवार, धन-धान्य, रोजगार व सब प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। 

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