Shani Chalisa: शनि चालीसा पाठ के लाभ और विधि

शनिदेव की कृपा और बुरे कर्मों की क्षमा प्रार्थना के लिए शनि चालीसा का विशेष महत्व है। शनि देव की पूजा में शनि चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

Shani Chalisa: ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है। नवग्रहों में शनि देव को पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर होने के कारण कृष्ण वर्ण का माना गया है। इसी  कारण आज के समय में भी न्याय से जुड़े लोगों के वस्त्र काले रंग के देखे जाते हैं। 

शनि देव मनुष्यों के किए हुए कर्मों का फल देते हैं। कलयुग के प्रभाव के कारण बुरे कर्म अधिक होने पर अशुभ फल अधिक मिलता है। जब अपने कर्मों का बुरा फल प्राप्त होता है, तो शनि को बुरा समझा जाता है। 

शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए और बुरे कर्मों की क्षमा प्रार्थना के लिए शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए। शनि देव की नित्य पूजा में शनि चालीसा (Shani Chalisa) का विशेष महत्व है।

ज्योतिष शास्त्र के नियम अनुसार यदि शनि का क्रूर फल मिल रहा है, तो शनि चालीसा का पाठ करने से उसे अनुकूल किया जा सकता है।  

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शनि चालीसा का पाठ करने से शनि देव से मिलने वाला हमारे कर्मों का फल शुभ रूप में मिलने लगता है। तो आइए जानते हैं, शनि चालीसा (Shani Chalisa) पाठ की विधि और लाभ… 

शनि चालीसा पाठ विधि (Shani Chalisa Path Vidhi)

ज्योतिष शास्त्र में मान्यता है शनि की साढ़े साती और ढैय्या का काल मनुष्य के लिए विशेष रूप से फल देने वाला होता है। ऐसे समय में शनि की दृष्टि पूर्ण रूप से व्यक्ति की जन्म राशि पर होने से सीधा फल प्राप्त होता है। अशुभ फल के निवारण के लिए शनि चालीसा का पाठ इस विधि से करें… 

  • सबसे पहले ध्यान दें की शनि देव की प्रतिमा के सामने खड़े हो कर कभी उनकी पूजा ना करें।
  • शनि देव की पुजा तस्वीर के सामने से की जा सकती है।
  • शनि चालीसा पाठ के लिए सुबह जल्दी उठ शुद्ध जल से स्नान करें। 
  • शुद्ध स्वच्छ आसान बिछाएं। 
  • स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • प्रयास करें शनि चालीसा का पाठ करते समय काले रंग का वस्त्र धारण करें। 
  • काले रंग का रुमाल पास रखें। 
  • हाथ पर काले रंग का धागा बांध सकते हैं। 
  • शनि देव का चित्र घर में रखें चित्र पर तिलक लगाकर लगे दीपक प्रज्वलित करें। फल, फूल इत्यादि शनि भगवान को अर्पण करें। 
  • शनि के मंत्रों का जाप करें। 
  • शनि चालीसा का पाठ करें। 
  • चालीसा का पाठ करने के बाद फिर से शनि के मंत्रों का जाप करें। 
  • चालीसा पाठ के साथ हनुमान चालीसा पाठ करना चाहिए। 
  • कुछ मान्यताओं के अनुसार शनि चालीसा के साथ शिव चालीसा का पाठ भी किया जाता है। 

शनि चालीसा (Shani Chalisa)

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला ।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥

परम विशाल मनोहर भाला ।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।

हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥ ४॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥

पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन ।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ ८॥

पर्वतहू तृण होई निहारत ।

तृणहू को पर्वत करि डारत ॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।

मातु जानकी गई चुराई ॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।

मचिगा दल में हाहाकारा ॥ १२॥

रावण की गतिमति बौराई ।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥

दियो कीट करि कंचन लंका ।

बजि बजरंग बीर की डंका ॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।

चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी ।

हाथ पैर डरवाय तोरी ॥ १६॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।

आपहुं भरे डोम घर पानी ॥

तैसे नल पर दशा सिरानी ।

भूंजीमीन कूद गई पानी ॥ २०॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।

पारवती को सती कराई ॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा ।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।

बची द्रौपदी होति उघारी ॥

कौरव के भी गति मति मारयो ।

युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ २४॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।

लेकर कूदि परयो पाताला ॥

शेष देवलखि विनती लाई ।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥

वाहन प्रभु के सात सजाना ।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ २८॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा ।

सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।

चोरी आदि होय डर भारी ॥ ३२॥

तैसहि चारि चरण यह नामा ।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥

समता ताम्र रजत शुभकारी ।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै ।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥ ३६॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।

दीप दान दै बहु सुख पावत ॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ ४०॥

॥ दोहा ॥

पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार ।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥

शनि चालीसा के लाभ (Benefits Of Shani Chalisa) 

कर्म फल देने वाले शनिदेव मनुष्य को कभी अशुभ फल नहीं देते। परंतु यदि मनुष्य के कर्म ही अशुभ हो तो अशुभ फल मिलता है। अपने अशुभ कर्मों के फल को शुभ में बदलने के लिए, शनि देव की उपासना शनि चालीसा के माध्यम से की जाती है। शनि चालीसा के अन्य लाभ… 

  • शनि चालीसा का पाठ करने से मनुष्य को आकस्मिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। 
  • चालीसा का पाठ पैरों में हो रही समस्याओं को समाप्त करने में सहायक है। 
  • चालीसा विदेश की यात्रा करवाने में लाभदायक सिद्ध होता है। 
  • युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त करने के लिए शनि चालीसा लाभ कारक है।
  • शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए चालीसा के माध्यम से जीवन में उन्नति के रास्ते खुलते हैं। 
  • जो लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं, उनके लिए चालीसा का पाठ विशेष शुभ फल देने वाला होता है। 
  • कमीशन का काम करने वाले लोगों के लिए चालीसा का पाठ अद्भुत चमत्कारिक फल देता है।

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