Rudrabhishek: रुद्राभिषेक से होंगे जीवन के जटिल काम, जानें, रुद्राभिषेक कैसे करें?

देवों के देव महादेव भगवान शिव, जीवन से हर कष्ट को दूर कर शांति और उन्नति देने वाले हैं। शिव को प्रसन्न कैसे करें? यहां जानें कैसे करें रुद्राभिषेक...

Rudrabhishek: देवों के देव महादेव भगवान शिव, जीवन से हर कष्ट को दूर कर के शांति और उन्नति देने वाले भगवान हैं। भगवान शिव जल के अभिषेक मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करने से शिव शक्ति का संचार करते हैं।

लघु-रुद्र, महा-रुद्र और अति-रुद्र ये महादेव शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधान हैं। ये ऐसे विधान हैं, जिसे करना हर किसी के लिए संभव नही।

शास्त्र में हर श्रेणी के भक्तों को ध्यान में रखते हुए विधान बनाए गए हैं। सबकी सुविधा के लिए समान्य रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करने के लिए विधान मिलता है।

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तो आइए, यहां जानते हैं- रुद्राभिषेक से जुड़ी जानकारियां…

रुद्राभिषेक का महत्व

रुद्रा-अष्टअध्यायी एक ऐसा ग्रन्थ है, जिसके पाठ से भगवान शिव जी का अभिषेक करने से वो प्रसन्न होते हैं। अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। ऐसे तो शिव का अभिषेक करने के लिए कोई समय की बाध्यता नहीं, परन्तु कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन और रात में ये पूजा करना श्रेष्ठ होता है। 

रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है

जन्म जन्मान्तर के कर्मों से प्राप्त दुखों के निवारण के लिए अगर कोई माध्यम है, तो वो महादेव की आराधना है। महादेव ही हैं, जो हमे इस जन्म और पूर्व के जन्मों में किये हुए पापों से मुक्ति दिलवा सकते हैं। इस लिए मुख्य रूप से जीवन के सभी प्रकार के कष्टों के निवारण के लिए महादेव का अभिषेक किया जाता है।

“सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।

रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।

यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।

ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।”

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पूजा का नाममंदिर (स्थान)
ऋण मुक्ति पूजाऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन)
शनि साढे़ सातीशनि शिंगणापुर देवस्थानम,महाराष्ट्र
लक्ष्मी कुबेर महायज्ञ और रुद्राभिषेकजागेश्वर कुबेर मंदिर ,अल्मोड़ा, उत्तराखंड
राहु ग्रह शांति पूजाजरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर ,प्रयागराज

शिव का अभिषेक कब करें

महादेव किसी भी नियम से परे हैं। उनकी पूजा के लिए कोई विशेष समय की सीमा नही है। शिव की पूजा करने के लिए शास्त्रों में श्रावन मास को सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है।

इसके अलावा भगवान शिव जी के लिए रात्रि के चारों प्रहर में ही शिव की पूजा की जाती है। त्रयोदशी के दिन और पूरी रात विशेष रूप से शिव जी की पूजा की जाती है। सोमवार को भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ दिन माना गया है। 

  • सोमवार के दिन करें शिव जी का अभिषेक
  • रात्रि के चार प्रहर में करें शिव की पूजा
  • श्रवण मास में करें शिव की पूजा
  • त्रयोदशी को करें शिव का अभिषेक   

शिव का अभिषेक कैसे करें

भगवान शिव जी को भोले नाथ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है, शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो कर अपने भगतों की इच्छा पूर्ण करने का वरदान देते हैं। शिव जी के अभिषेक में किसी विशेष विधि की जरूरत नहीं होती है। शिव ध्यान योग के स्वामी हैं। इसलिए शिव की पूजा में हर उस चीज़ का प्रयोग होता है, जो ध्यान को बढ़ाने में सहायक होती हैं। 

  • सूर्य उदय से 90 मिनट पहले संध्या काल में उठें।
  • शीतल जल से स्नान कर के स्वच्छ लाल या सफेद वस्त्र धारण करें।
  • साफ़ शुद्ध कुशा के आसन पर बैठें।
  • प्रणायाम कर के शान्त मन से एकाग्रता धारण करें।
  • मन में गुरु जनों को प्रणाम करें, अपने इष्ट का ध्यान करें।
  • शिव जी के अभिषेक में समय की कोई सीमा नही है समय का विचार किए बिना कभी भी किया जा सकता है।

रुद्राभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री

शिव जी को भाव से जो भी अर्पण करें शिव उसी से प्रसन्न हो जाते हैं। परन्तु शिव देवो के देव माहदेव हैं इसलिए उनके लिए शास्त्र में कुछ विशेष विधि और विधान बताया गया है। जिससे शिव जी प्रसन्न होते हैं। 

गंगा जल दूध
दहीघी
शहदशक्कर
फल आर्क (आख) के फूल
चावलबेल पत्र
बेल पत्थर का फलधतूरा
भांगकेवड़े का इत्र
रुद्राभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री

 रुद्राभिषेक का लाभ (Benefits of Rudrabhishek)

महादेव की पूजा हर रूप में शुभ फल देने वाली है। महादेव की पूजा छोटे रूप में की जाए या बृहद रूप से की जाए इसका फल निश्चित ही मिलता है। महादेव ऐसे भगवान हैं, जो अपने हर तरह के भगतों की मनोकामना पूरी करते हैं।

महादेव की पूजा दिन में की जाए या रात में फल निश्चित रूप से मिलता है। महादेव कष्टों का अंत करते हैं। इनकी पूजा से इन्सान जीवन के सभी तरह के कष्टों से छुटकारा प्राप्त करते हैं। जीवन में हर तरह से शांति प्राप्त होती है। 

  • रोगों से मुक्ति मिलती है। 
  • तनाव से मुक्ति मिलती है।
  • चिन्ताओ से मुक्ति मिलती है। 
  • जन्म मृत्यु के बन्धनों से मुक्ति मिलती है। 
  • कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  • शत्रु भय से मुक्ति मिलती है। 
  • सन्तान की प्राप्ति होती है। 
  • रोजगार की प्राप्ति होती है।  

कैसे प्राप्त करें इच्छानुसार फल 

  • रुद्राभिषेक यदि जल से किया जाए तो, धन की प्राप्ति और मनोकामना पूरी होती हैं।
  • जमीन से जुड़े विवाद होने पर लाभ प्राप्त करने के लिए दही से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • धन-लाभ बढ़ाने के लिए शहद या घी से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • तीर्थों के जल से अभिषेक करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • रोग निवारण के लिए कुशा के जल से अभिषेक करें।
  • गाय के दूध से अभिषेक करने से पुत्र की प्राप्ति की कामना पूरी होती है।
  • गाय के दूध से बने शुद्ध घी से अभिषेक करने से वंश वृद्धि होती है।
  • सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रु विनाश होता है।
  • किसी भी प्रकार का बुखार अगर उतर ना रहा हो तो शहद से अभिषेक करने से आराम आता है।
  • मीठे दूध से अभिषेक करने से विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता मिलती है।
  • शुगर जैसी बीमारी में गन्ने के रस से अभिषेक करने से आराम मिलता है।
  • कर्ज से मुक्ति के लिए गन्ने के रस से अभिषेक किया जा सकत है।

रुद्र अभिषेक की वैज्ञानिकता

ॐ यद् जाग्रतो दूरं उदैति दैवम्

तदु सुप्तस्य तथैवैति

दूरंगमम् ज्योतिषम् ज्योतिर् एकम्

तन मे मनः शिव-संकल्पम् अस्तु ।। 

महादेव को शिव कहा जाता है। शिव का अर्थ शून्य है, और शून्य का अर्थ है मन के विचारों को शान्त कर के किसी भी प्रकार के चिंतन से मन को मुक्त कर के एकाग्र होना। जिसे ध्यान और योग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। ध्यान योग की बात आती है तो शिव को आदि योगी भी कहा जाता है। जो निरन्तर ध्यान में ही रहते हैं। शिव का अभिषेक भी उसी ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) के समय, सभी इन्द्रियों को संयम में कर के, शिव जी के लिंग रूप पिण्ड पर जल की धार को निरन्तर रूप से प्रवाह बनाने से, और निरन्तर उस जल धरा पर दृष्टी बनाए रखने से, एकाग्रता और संयम में वृद्धि होती है। जो मन को शान्त कर के निर्णय शक्ति को बल देती है। ये वो प्रभाव है जो हम शारीरिक रूप से देख पाते हैं।

रुद्राभिषेक के समय बोले जाने वाले मन्त्रों से उत्पन शक्ति जब अदृश्य रूप से तरंगों के रूप में हमारे तन और मन पर जो प्रभाव डालती है, उसके फल स्वरूप हमे हर वो फल प्राप्त होता है जिसकी हम कामना करते हैं।