22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, जानें राम मंदिर का इतिहास

22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे विधि विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। इस कार्यक्रम में करीब 4000 साधु-संतों और 2500 विशिष्ट व्यक्तियों की पहुंचने की संभावना है।

Ram Mandir Pran Pratishtha: जिस दिन का करोड़ों देशवासियों को इंतजार था, वह अब बेहद नजदीक आ गया है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को की जाएगी। आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। 

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratishtha) कार्यक्रम में करीब 4000 साधु-संतों और 2500 विशिष्ट व्यक्तियों की पहुंचने की संभावना है।

आपको बता दें, राममंदिर का इतिहास (History of Ram Mandir) बहुत पुराना है। इससे करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है। 

श्री राममंदिर उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में सरयू नदी के तट पर स्थित है। जहां पहले इसी स्थान पर भगवान श्री राम का राजमहल हुआ करता था, जिसे आज श्रीराम जन्मभूमि (Shri Ram Janmabhoomi) मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

तो आइए, VAMA के इस ब्लॉग में श्रीराम मंदिर का इतिहास, पौराणिक महत्व और वर्तमान मंदिर की वास्तुकला और भव्यता को जान लेते हैं।  

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सबसे पहले राममंदिर का इतिहास (History of Ram Mandir) और इससे संबंधित विवाद को जान लेते हैं। 

राम मंदिर का इतिहास और विवाद ((History of Ram Mandir)

ग्रंथों और धार्मिक साक्ष्यों के अनुसार लगभग 100 ईसा पूर्व में सम्राट विक्रमादित्य ने इस महल पर एक भव्य मंदिर बनवाया था। उसके बाद 15वीं सदी में मुगलों ने इस मंदिर को जीर्ण शीर्ण कर दिया। इसके बाद यहां एक मस्जिद का निर्माण कर इसका नाम बाबर के नाम पर बाबरी मस्जिद रखा।

लेकिन भारत की स्वतंत्रता 1947 के बाद एक बार फिर से विवाद शुरू हुआ और इस स्थल को हिन्दुओं ने एक बार फिर से अपनी इस स्थान को लेने के लिए आंनदोलन की शुरुआत की। अंतंतः 6 दिसंबर 1992 में कारसेवकों ने मंदिर को ढाहकर मंदिर की पुर्ननिर्माण की बात की। 

इसके बाद यह विवाद कॉर्ट तक पहुंचा, जो कि 27 वर्ष तक चला। उसके बाद 2019 में वैज्ञानिक प्रमाणिकता होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हिंदूओं के पक्ष में फैसला सुनाया। इसलिए इस जगह पर  फिर से श्री राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण शुरू हुआ। 

राम मंदिर का महत्व (Importance of Ram Temple)

राम जन्मभूमि होने के कारण इस मंदिर का महत्व ज्यादा होता है। यहां श्री राम को राम लल्ला के रूप में विराजमान किया गया है। यह मंदिर हिन्दुओ की आस्था और अखंडता का प्रतीक है।

अयोध्या में राम मंदिर होने के साक्ष्य मिले थे, जिनकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता होने पर इस मंदिर के अस्तित्व और आस्था को और मज़बूती मिली। इसीलिए कई सालों के संघर्ष के बाद आज राम जन्मभूमि का संपूर्ण अधिकार हिन्दुओं को प्राप्त हुआ है।

राम मंदिर की वास्तुकला

अयोध्या का राम मंदिर नागर मंदिर शैली में बनाया गया था। अतः पुराने शैली का ध्यान रखते हुए पुनः राम मंदिर का निर्माण मंदिर वास्तुकला ‘नागर शैली’ में कराया जा रहा है। मंदिर के आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक मंदिर का चतुष्कोण होना नागर शैली के मंदिरों की पहचान है। यह राम मंदिर 235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा।

राम मंदिर कैसे पहुंचे 

राम मंदिर के निर्माण के साथ ही यहां पर्यटन के लिए लिहाज से इस शहर को विकसित किया जा रहा है। यहां यात्रियों को ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं और होटलें हैं। अयोध्या शहर सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। 

वायुमार्ग से 

अगर आप राम मंदिर फ्लाइट से जा रहे है तो सबसे पास का एयरपोर्ट गोरखपुर हवाई अड्डा है जो कि 140 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अलावा यहां पहुंचने के लिए वाराणसी और लखनऊ एयरपोर्ट का भी सहारा ले सकते हैं। 

रेलमार्ग से

अयोध्या राम मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन अयोध्या जंक्शन है जो कि मंदिर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है।

सड़क मार्ग से 

अगर आप राम मंदिर बस द्वारा जाना चाहते है तो सबसे पास का बस स्टैंड मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है। बाकि किसी भी मार्ग द्वारा अयोध्या पहुंचने के बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन की सेवा 24 घंटे उपलब्ध है।

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