Navratri 2024: 12 अप्रैल को होगी मां कुष्मांडा की पूजा, जानिए पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है। इस वर्ष मां कुष्मांडा की पूजा (Maa Kushmanda Puja) 12 अप्रैल, 2024 को होगी।

Maa Kushmanda Ki Puja Vidhi: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। इनमें देवी कुष्मांडा (Devi Kushmanda) चतुर्थ स्वरूप हैं।

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है। इस दिन मां कुष्मांडा पूजा-अर्चना करने से भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

VAMA द्वारा आयोजित ऑनलाइन पूजा में भाग लें 
(अपने नाम और गोत्र से पूजा संपन्न कराएं)
पूजा का नाममंदिर (स्थान)पूजा लिंक
ऋण मुक्ति पूजाऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन)क्लिक करें
माता कामाख्या महापूजामाता कामाख्या शक्तिपीठ (गुवाहाटी)क्लिक करें
वामा द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएं
maa kushmanda ki puja vidhi

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2024 में मां कुष्मांडा की पूजा (Maa Kushmanda Puja) 12 अप्रैल, 2024 को होगी। 

तो आइए वामा के इस ब्लॉग में जानते हैं- नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा कैसे करें? 

कुष्मांडा : मां दुर्गा का चतुर्थ स्वरूप

माता कुष्मांडा (maa kushmanda) को ऊर्जा की देवी कहा जाता है। मां दुर्गा के इस अवतार का नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है- 1- ‘कु’ यानी छोटा सा, 2- ‘उष्मा’ यानी ऊर्जा और 3- ‘अंडा’ यानी एक गोला। 

अर्थात, मां कुष्मांडा के नाम का पूरा मतलब है- ऊर्जा का एक छोटा सा गोला। 

कहा जाता है, कि जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार फैला था, तब मां दुर्गा इसी स्वरूप में प्रकट हुई थीं और चारों तरफ प्रकाश उत्पन्न कर ब्रह्मांड की रचना की थी। 

इसी कारण, मां कुष्मांडा को आदि स्वरूपा के नाम से भी जाना जाता है। 

आइए अब यहां जानते हैं कि माता कुष्मांडा की पूजा विधि (maa kushmanda puja vidhi) और मंत्र क्या है?

maa kushmanda puja vidhi

मां कुष्मांडा की पूजा विधि (maa kushmanda ki puja vidhi)

  • 12 अप्रैल, 2024 को चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर मां कुष्मांडा का ध्यान करें।
  • जहां आपने घटस्थापना की है, वहां साफ-सफाई करके माता कुष्मांडा की प्रतिमा या फोटो को लाल कपड़े पर रख दें।
  • अब मां कुष्मांडा को कुमकुम और अक्षत से तिलक लगाएं।
  • माता कुष्मांडा की तस्वीर के पास धूप दिखाकर मां की विधिवत पूजा करें।
  • मां कुष्मांडा को हरा रंग प्रिय है, अतः उन्हें हरे रंग के फूल और भोग अवश्य चढ़ाएं।
  • पूजा के समापन के पहले देवी कुष्मांडा की आराधना मंत्रों का पाठ करें।
  • उसके बाद आप दुर्गा सप्तशती और कुष्मांडा माता की आरती का पाठ करें। 
  • इन मंत्रों का पाठ को करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

मां कुष्मांडा के लिए भोग (Maa kushmanda Bhog)

माता की पूजा बिना भोग के अधूरी मानी जाती है। अतः माता कुष्मांडा को प्रसाद अवश्य चढ़ाएं। इस दिन मालपुए का भोग लगाने का विधान है। 

यदि आप किसी कारणवश मालपुए का भोग न लगा पाएं तो मातारानी को गुड़ का भोग भी लगा सकते हैं। 

मान्यता है कि माता कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और हमें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 

मां कुष्मांडा के मंत्र (maa kushmanda mantra)

ऐं ह्री देव्यै नम: वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडा नम:

या देवी सर्वभूतेषु

मां कूष्मांडा रूपेण प्रतिष्ठितता।

नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै:

नमस्तस्यै नमो नम:..

मां कूष्मांडा देवी की आरती (Maa Kushmanda Devi Ki Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।

सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां कूष्मांडा की व्रत कथा (Maa Kushmanda Vrat Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।

इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं।

ये तो थी, मां कूष्मांडा देवी की पूजा विधि (maa kushmanda ki puja vidhi) और मंत्रों की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और मंत्रों की जानकारी के लिए वामा ऐप से जुड़े रहें।