Naina Devi Temple: नैना देवी मंदिर का महत्व और इतिहास

सनातन धर्म में शक्तिपीठों का बड़ा महत्व है। इन शक्तिपीठों में माता श्री नैना देवी जी का मंदिर (Naina Devi Temple) बहुत प्रसिद्ध है।

Naina Devi Temple: सनातन धर्म में शक्तिपीठों का बड़ा महत्व है। इन शक्तिपीठों को भक्त बड़े ही श्रद्धा भाव से पूजते हैं। मान्यता है कि आज भी इन शक्तिपीठों में भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती निवास करती हैं। 

इन शक्तिपीठों में हिमाचल प्रदेश स्थित माता श्री नैना देवी जी का मंदिर (Naina Devi Temple) 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर स्थित एक भव्य मंदिर है। 

तो आइए, VAMA के इस ब्लॉग में नैना देवी मंदिर का इतिहास (naina devi mandir history), महत्व, पूजा और इस मंदिर में कैसे पहुंचे आदि के बारे में जानते हैं। 

सबसे पहले माता सती और शक्तिपीठों की मान्यता के बारे में जान लेते हैं। 

माता सती की कथा (Mata Sati Ki Katha)

तंत्र चूड़ामणि के अनुसार, भगवान शिव जी की पहली पत्नी सती (Sati) ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के बिना शिवजी से विवाह किया था। इससे राजा दक्ष नाराज हो गए। इसके बाद एक बार राजा दक्ष में एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन अपनी बेटी और दामाद शिव जी को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। 

माता सती बिना पिता के निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गईं, जबकि भगवान शिव जी ने उन्हें वहां जाने से मना किया था। राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया। पिता के मुंह से पति के अपमान माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। भोलेनाथ पत्नी के वियोग को सह न सके। 

इससे रुष्ट होकर माता सती का शव लेकर शिव तांडव करने लगे। ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिस पर विष्णु भगवान ने इसे रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। माता के शरीर के अंग और आभूषण 51 टुकड़ों में धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे, जो देवी के प्रसिद्ध मंदिर (शक्तिपीठ Shaktipeeth) बन गए। हालांकि तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं।

आइए, अब नैना देवी मंदिर का इतिहास (naina devi mandir history) जानते हैं। 

नैना देवी मंदिर का इतिहास (History of Naina Devi Temple)

नैना देवी मंदिर उस स्थान पर बनाया गया है जहां देवी सती की आंखें गिरी थीं। मान्यता है कि जब भगवान शिव सती का शव लेकर तांडव नृत्य कर रहे थे, तो विष्णु ने उनका शव अनेक भागों में काट दिया। इसके परिणामस्वरूप सती के नैन (आंख) यहाँ गिरे थे और यहाँ पर माता नैना देवी का मंदिर बना। 

इस मंदिर के पास ही शताब्दियों पुराना एक पीपल का पेड़ है। मान्यता है कि इसी पेड़ के पास माता सती के नेत्र गिरे थे। यहां मंदिर में मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। मंदिर के गर्भ ग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां हैं। दाई तरफ माता काली, मध्य में नैना देवी और बाईं ओर भगवान गणेश जी की प्रतिमा है। मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।

नैना देवी मंदिर का महत्व (Importance of Naina Devi Temple)

बिलासपुर स्थित नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple) हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है। इस पवित्र तीर्थ स्थान पर वर्ष भर तीर्थयात्रियों और भक्तों का मेला लगा रहता है। खासतौर पर नवरात्रों में देशभर से यहां भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं। 

स्थानीय लोग भी माता नैना देवी को अपनी रक्षा देवी मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। 

यहां का वातावरण बहुत ही शांतिपूर्ण है जिससे भक्तों को शांति और सुकून प्राप्त होता है। नैना देवी के दर्शनों के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती है। भक्त बहुत आस्था के साथ माँ के दरबार में अर्जी लगाते है। माँ सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।

कैसे पहुंचे नैना देवी मंदिर (How to reach Naina Devi Temple)

नैनादेवी मंदिर पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल और वायु मार्ग का सहारा ले सकते हैं। शक्तिपीठ होने की वजह से यहां आने के लिए अच्छी सुविधाएं हैं। यहां रात्रि विश्राम करने के लिए भी कई धर्मशालाएं और होटलों की सुविधा है। 

सड़क मार्ग से

नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple) हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है, जो दिल्ली से करीब 350 किलोमीटर दूर है। यदि आप किसी दूसरे प्रदेश से आ रहे हैं तो आपको दिल्ली से करनाल, चंढीगढ़, रोपड़ होते हुए नैना देवी मंदिर पहुंच सकते है। यहां पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है। 

वायु मार्ग से 

यदि आप वायुमार्ग से नैनादेवी मंदिर पहुंचना चाहते हैं तो चंडीगढ़ या अमृतसर हवाई अड्डा उतर सकते हैं। इसके बाद आप सड़क या ट्रेन मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं। 

रेल मार्ग से 

अभी तक हिमाचल प्रदेश का बिलासपुर जिला रेलमार्ग से नहीं जुड़ पाया है, हालांकि जल्द ही यहां तक पहुंचने के लिए रेल की सुविधा मिल जाएगी। अभी आप नैना देवी जाने के लिए चंडीगढ और पालमपुर तक रेल सुविधा ले सकते है। इसके बाद वहां से अन्य वाहनों से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। 

नैना देवी मंदिर से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

प्रश्न- नैना देवी मंदिर कहां है?

उत्तर- नैना देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर स्थित है। 

प्रश्न- नैना देवी की कितने किलोमीटर की चढ़ाई है?

उत्तर- नैना देवी मंदिर समुद्रतल से 11 सौ मीटर ऊंची है। यहां पहुंचने के लिए 1000 से अधिक सीढ़ियां चढ़ानी पड़ती है। 

प्रश्न- नैना देवी कैसे जाते हैं?

उत्तर-  नैना देवी मंदिर पहुंचने के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध है। यहां पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल और वायुमार्ग का सहारा ले सकते हैं।

प्रश्न- नैना देवी क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर- नैना देवी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे।

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ये तो थी, नैना देवी मंदिर (हिमाचल प्रदेश) की जानकारी। ऐसे ही महत्वपूर्ण शक्तिपीठों के बारे में जानने के लिए VAMA APP से जुड़े रहें।