Mundeshwari Mandir: रहस्यों से भरा है मुंडेश्वरी मंदिर, यहां मिलता है जीवन दान का आशीर्वाद…

बिहार के कैमूर जिले में स्थित है चमत्कारी मां मुंडेश्वरी मंदिर। यहां बिना रक्त बहाए ही बकरे की बलि चढ़ जाती है। जानें, मंदिर का इतिहास

Mundeshwari mandir: ऐसे तो हिन्दू धर्म में हर पूज्य देवता को चमत्कारी माना जाता है। कलयुग के प्रभाव से सभी देवता ऐसा चमत्कार अब हमारे दोष युक्त होने के कारण नही दिखाते हैं। परन्तु माँ को माता की संज्ञा दी जाती है, इसलिए उनके चमत्कार भी देखे जाते हैं। 

सभी देवी देवताओं के चमत्कार उनके मंदिर में देखे जाते हैं। बहुत से ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जहां भगवान अपने होने के प्रमाण के रूप में चमत्कार दिखाते हैं। भक्तों की आस्था और विश्वास आज भी वहां भगवान के होने के प्रमाण देती है।

हम बात कर रहे हैं बिहार के कैमूर जिले में स्थित मुंडेश्वरी मंदिर (Mundeshwari mandir) की, जहां माता का चमत्कार खुली आँखों से देखा जाता है। माँ मुंडेश्वरी माता साक्षात् चमत्कार दिखाने वाली देवी हैं। 

मुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास (mundeshwari mandir ka itihaas)

बिहार की राजधानी पटना से 200 कि.मी. दूर कैमूर जिले के भभुआ में स्थित माँ मुंडेश्वरी माता का मंदिर है। ये मंदिर पंवरा की पहाड़ियों में 600 फीट की ऊंचाई पर है। 

माँ मुंडेश्वरी माता मंदिर में एक चमत्कार देखने को मिलता है। यहाँ बलि का विधान है। 

यहाँ के मंदिर की ख़ास बात ये है की यहाँ सात्विक बलि का विधान है। मान्यता है कि इस मंदिर में जीवित बकरे की बलि दी जाती है वो बलि के बाद भी जीवित रहता है।

इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। वर्ष 1812 से 1904 के बीच ब्रिटिश यात्री आर.एन. मार्टिन, फ्रांसिस यात्री बुकानन और ब्लाक ने इस मंदिर का भ्रमण किया। 

पुरातत्वविदों के अनुसार, यहाँ से प्राप्त होने वाले बौद्ध शिलालेख 389 ई. का है। जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है। जिस से पता लगता है की ये मंदिर कितना प्राचीन है। 

मंदिर प्रवेश करने से पहले एक शिलालेख है। इसपर साफ-साफ लिखा है कि, मंदिर में रखी मूर्तियां उत्तर गुप्त कालीन की हैं। यह पत्थर से बना हुआ अष्टकोणीय मंदिर है।

मुंडेश्वरी में बलि और चमत्कार

माँ मुंडेश्वरी माता के मंदिर में एक बलि और चमत्कार देखने को मिलता है। माता की कृपा से मंदिर का पुजारी मंत्रों का जाप करता है, और बलि का बकरा बेहोश हो जाता है। 

कुछ समय बाद ही पुजारी जी दुबारा मंत्र पाठ कर के माँ के चरणों के चावल फूल जैसे ही बकरे के ऊपर डालते हैं, बकरा उठ का खड़ा हो जाता है।

ऐसी विधि से भक्तों के मन की कामना भी पूरी होती है, और उन्हें किसी प्रकार की जीव हत्या का दोष भी नही लगता है। ये चमत्कार केवल माँ मुंडेश्वरी माता के मंदिर में देखने को मिलता है। 

चमत्कार एक ही नही है ये पूरा मंदिर चमत्कार और रहस्यों से भरा है। मंदिर के अंदर और भी ऐसे चमत्कार हैं, जिन्हें देख आप हैरान रह जाएंगे। 

मां मुंडेश्वरी के मंदिर में गर्भगृह के अंदर पंचमुखी शिवलिंग है। जिसकी भव्यता अपने आप में अनोखी है।

महादेव की ऐसी अद्भुत प्रतिमा भारत में बहुत कम पायी जाती हैं। इस प्रतिमा में ऐसा रहस्य छिपा है, जिसके बारे में कोई नही जान या समझ पाया। 

मंदिर के पुजारी की मानें तो ऐसी मान्यता है, कि इस मूर्ति का रंग सुबह, दोपहर और शाम को अलग-अलग दिखाई देता है।

शिवलिंग का रंग बदल जाता है। महादेव की प्रतिमा का रंग कब बदल जाता है, ये किसी को नहीं पता लगता है।

मुंडेश्वरी मंदिर और प्रतिमा 

मुंडेश्वरी मंदिर के अंदर प्रवेश करने पर मंदिर के पूर्वी खंड में देवी मुंडेश्वरी की पत्थर से बनी भव्य व प्राचीन मूर्ति मुख्य आकर्षण का केंद्र है। यहाँ मां वाराही रूप में विराजमान हैं। 

माता का वाहन महिष है। माता की मूर्ति बहुत भव्य है। भगवती की प्रतिमा पर नजर अधिक देर तक टिक नहीं पाती। 

मंदिर के अंदर की भव्यता और बनावट मंदिर को और भी आकर्षक बना देती है। अंदर से मंदिर चार पायों पर टिका हुआ है।

कैसे करें मंदिर में पूजा

माँ मुंडेश्वरी मंदिर में माँ की पूजा ऐसे तो सातों दिन की जाती है। परन्तु शनिवार का दिन विशेष माना जाता है। 

मंदिर में शिव लिंग होने से लोग सोमवार के दिन भगवान शिव का अभिषेक भी करते हैं। इस से सोमवार और शनिवार के दिन माता मंदिर में पूजा विशेष रूप से की जाती है।

वैसे तो माता की पूजा पूरा साल की जाती है। परन्तु नवरात्र और शिवरात्रि पर यहाँ विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। 

यहाँ पूजा के लिए श्रद्धालु पहले से ही अपना नामांकन करवा लेते हैं। पर्व के समय यहाँ बहुत भीड़ का सामना करना पड़ता है।

नवरात्र में यहाँ कलश स्थापन से लेकर यज्ञ तक किये जाते हैं। यहाँ की सात्विक बलि के कारण, लोगों की विशेष आस्था इस स्थान से जुडी हुई है। 

मुंडेश्वरी मंदिर कथा 

मुंडेश्वरी मंदिर के साथ एक प्राचीन इतिहास की एक कथा जुडी है। इस मंदिर की स्थापना से जुडी एक प्राचीन कथा प्रचलित है। 

मान्यता के अनुसार इस इलाके में चंड-मुंड नाम के असुर रहते थे। जो लोगों को प्रताड़ित करते थे। लोगों की पीड़ा की पुकार सुन माता भवानी पृथ्वी पर आई। 

माँ भगवती मुंडेश्वरी जब चंड मुंड का वध करने के लिए जब यहां पहुंचीं तो, सबसे पहले चंड का वध किया। चंड का वध करने के बाद मुंड से युद्ध करते हुए पंवरा की पहाड़ी पर पहुंची और वहां मुडं छिप गया। 

माता ने पंवरा पहाड़ियों पर मुंड को ढूंड कर मुंड का वध किया। इस के बाद से इस जगह का नाम माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ, और माता का नाम भी मुंडेश्वरी पड़ा।

ऐसे पहुंचे मुंडेश्वरी मंदिर पहुंचे

मुंडेश्वरी माता मंदिर पहुचने के लिए अगर रेलमार्ग से जाया जाता है, तो ये आरा और गया 2 बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।

कैमूर जिले के भभुआ में ये मंदिर एक पहाड़ी पर है, इस लिए पहले कैमूर जाया जाता है। रेल यात्रा के बाद बस से कैमूर के भभुआ जाया जाता है। 

इसके बाद पैड़ी और सड़क मार्ग दोनों से मंदिर तक जाया जाता है। मेले के समय में यहाँ गाड़ियों की लम्बी लाइन लगी होती है। वहीं मेले अलावा भी वहां जाने के लिए साधनों की कमी नहीं है।  

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