Mangalwar Vrat: मंगलवार का व्रत करने से हनुमान जी स्वयं करेंगे आपका मंगल, जानिए व्रत कथा और जरूरी नियम

अगर आप कोर्ट कचहरी या जमीन के विवाद से परेशान हैं तो आपको प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत (hanuman ji ka vrat) अवश्य करना चाहिए।

Mangalwar Vrat: जीवन में लीडरशीप पाने के लिए मंगल का अनुकूल होना बहुत ही आवश्यक होता है। मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत (hanuman ji ka vrat) रखने से नेतृत्व क्षमता और सामाजिक विकास होता है। 

अगर आप भी कोर्ट कचहरी या जमीन के विवाद से परेशान हैं तो आपको प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत (hanuman ji ka vrat) अवश्य रखना चाहिए। मंगल का व्रत रखने से जीवन के सभी अमंगल को दूर हो जाते हैं। 

सनातन धर्म में हनुमानजी सबसे बलवान और बुद्धिमान देवताओं में से एक हैं।

हनुमानजी की प्रशंसा में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि- 

‘चारों जुग परताप तुम्हारा, है प्रसिद्ध जगत उजियारा।’ 

अर्थात् हनुमान जी का प्रभाव और उनका यश सभी 4 युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग) में समान रूप से बना हुआ है और उनके कारण ही पूरा संसार प्रकाशमान है। हनुमान जी इकलौते ऐसे देवता हैं जो हर युग में किसी न किसी रूप में मौजूद होते हैं और भक्तों का कल्याण करते हैं। 

hanuman ji ka vrat

तो आइए, इस ब्लॉग में मंगलवार व्रत का महत्व, लाभ और इस व्रत को करने का नियम जानते हैं। 

मंगलवार व्रत का महत्व (mangalvar vrat ka mahatva)

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान हनुमान जी जन्म मंगलवार के दिन ही हुआ था। इसलिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। मंगलवार के दिन हनुमान जी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

हनुमानजी की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान और बल की प्राप्ति होती है। उनके शरण में जाने से सभी सुख-सुविधा प्राप्त होती हैं। 

शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी की पूजा-अर्चना, सेवा और व्रत रखने से उनकी विशेष कृपा भक्तों पर बनी रहती है। इसलिए हमें मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत (hanuman ji ka vrat) और पूजा पूरे विधि विधान और श्रद्धा के साथ करना चाहिए।

Mangalwar Vrat Niyam

मंगलवार व्रत के जरूरी नियम (Mangalwar Vrat Niyam)

  • मंगलवार के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान और हनुमानजी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करें। 
  • किसी भी उत्तर-पूर्व कोने के एकांत स्थान पर हनुमानजी की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें। 
  • फिर गंगा जल के छीटें मारकर लाल कपड़े का वस्त्र पहनाएं और पुष्प, रोली, अक्षत के छीटें दें। 
  • इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं और तेल के कुछ छीटें मूर्ति या तस्वीर पर डालें। 
  • हनुमानजी को फूल चढ़ाएं और अक्षत-फूल लेकर उनकी कथा सुनें।
  • हनुमान चालीसा के बाद सुंदरकांड का भी पाठ ज़रूर करें। 
  • मंगलवार व्रत कथा सुनने के बाद प्रसाद का भोग लगाएं और अपनी मनोकामना मांगकर सभी लोगों में प्रसाद को बांट दें। 
  • पूजा समाप्त होने के बाद अवश्य करें यह आपके लिए ज्यादा लाभदायक होगा। 
  • शाम के समय भी मंदिर जाकर तेल का दीपक जलाएं और सुंदरकांड का पाठ व हनुमान जी आरती करें। 
  • जब 21 मंगलवार का व्रत समाप्त हो जाएं तो 22वें मंगलवार को विधि-विधान के साथ हनुमान जी की पूजा करके उन्हें चोला चढ़ाएं। 
  • साथ ही 21 ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन कराएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा दें।

मंगलवार व्रत कथा (mangalvar vrat katha)

एक बार की बात है, एक ब्राह्मण दंपत्ति प्रेम-भाव से रहते थे लेकिन उनके जीवन में एक बात की कमी थी। उनकी कोई संतान नहीं थी। जिसके कारण वे दुखी रहते थे। 

हर मंगलवार को ब्राह्मण वन जाकर हनुमान जी की पूजा करता और संतान की कामना करता। ब्राह्मण की पत्नी भी हनुमानजी की बहुत बड़ी भक्त थी। 

वह प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखती थी और बजरंगबली को भोग लगाकर ही भोजन ग्रहण करती थी।

एक बार की बात है, व्रत के दिन ब्राह्मण की पत्नी भोजन नहीं बना पाई और हनुमानजी को भोग भी नहीं लगा पाई। जिसके बाद ब्राह्मणी ने प्रण लिया कि वह अगले मंगलवार को भोग लगाने के बाद ही भोजन करेगी। 

जिसके बाद वह 6 दिन तक भूखी-प्यासी रही और मंगलवार के दिन व्रत के दौरान बेहोश हो गई। उसकी इस निष्ठा को देखकर हनुमानजी बहुत खुश हुए और आशीर्वाद के रूप में एक संतान देकर कहा कि यह तुम्हारी हमेशा सेवा करेगा। संतान का सुख पाकर ब्राह्मणी बहुत खुश हो गई और बालक का नाम मंगल रख दिया।

कुछ समय बाद जब ब्राह्मण घर लौटा तो बच्चे की आवाज सुनकर पूछा कि यह बच्चा कौन है? पत्नी ने कहा कि हनुमानजी ने व्रत से प्रसन्न होकर आशीर्वाद के रूप में यह संतान हम दोनों को दी है। 

अपनी पत्नी की बात पर ब्राह्मण को विश्वास नहीं हुआ। एक बार जब ब्राह्मणी घर पर नहीं थी तो ब्राह्मण ने मौका देखते बच्चे को कुएँ में गिरा दिया। 

जब ब्राह्मणी घर लौटी तो मंगल को घर में नहीं पाकर ब्राह्मण से मंगल के बारे में पूछा। तभी मंगल पीछे से मुस्कुरा कर आ गया। 

मंगल को वहां देखकर ब्राह्मण हैरान रह गया। रात को ब्राह्मण के सपने में आकर हनुमानजी ने दर्शन दिए और बताया कि यह संतान तुम्हारी है। सच जानकर वह बहुत खुश हुआ। इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति हर मंगलावर को व्रत रखने लगे।

शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को जो भी हनुमानजी का सच्चे मन से व्रत करता है और कथा सुनता है, उसपर हनुमानजी की विशेष कृपा होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।

विशेष फल के लिए 21 मंगलवार तक व्रत रखें

मान्यता है कि हनुमान जी का व्रत लगातार 21 मंगलवार करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। 

माना जाता है कि जो भी भक्त 21 मंगलवार हनुमान जी का व्रत नियम से रखता है। उसके जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है। उसे हनुमान जी की तरह बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। 

मंगलवार व्रत उद्यापन विधि (mangalwar vrat udyapan vidhi)

21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करके उन्हें चोला चढ़ाएं, फिर 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान-दक्षिणा दें।

मंगलवार व्रत के लाभ (Mangalwar Vrat Benefits)

  • मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से नौकरी जल्दी प्राप्त होती है। 
  • संतान प्राप्ति में आ रही बाधा दूर होती है। 
  • जीवनसाथी से चल रहे विवादों समाप्त होते हैं। 
  • नेतृत्व करने की क्षमता में वृद्धि होती है। 
  • आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है। 
  • शारीरिक रोगों का निवारण होता है। 
  • कोर्ट-कचेहरी के मुकदमे शीघ्र समाप्त होते हैं। 

ऐसे ही व्रत कथा, ज्योतिष, दैनिक पंचांग, राशिफल, त्योहार, और सनातन धर्म की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए VAMA ब्लॉग अवश्य पढ़ें।