Dussehra Shastra Puja 2024: दशहरा पर शस्त्र पूजा कैसे करें? जानें, पूजा विधि,मन्त्र और महत्व

Dussehra Shastra Puja 2024: सनातन धर्म में दशहरा पर शस्त्र पूजा की परम्परा रही है। ये तो हम सभी जानते हैं कि रावण से माता सीता को मुक्त कराने के लिए भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध किया और दशहरा के दिन उसे पराजित किया था, और इस तरह दशहरा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत प्रतीक बन गया। बुराई को हराने में शस्त्रों का बहुत बड़ा योगदान रहता है और शस्त्र, पराक्रम का प्रतीक भी होते हैं। दशहरा पर इसीलिए शस्त्र पूजा का विधान है। आइए,जानते हैं कि इस वर्ष 2024 में शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? 

दशहरा 2024 शस्त्र पूजा का मुहूर्त (Dussehra 2024 Shastra Puja Muhurta)

दशहरा पर शस्त्र पूजा या आयुध पूजा हमेशा विजय मुहूर्त में की जाती है। ये मुहूर्त शनिवार, 12 अक्टूबर 2024 को 02:03 दोपहर से 02:49 दोपहर तक रहेगा,  इसलिए अगर आप इस 46 मिनट की अवधि में शस्त्र पूजा करते हैं तो ये आपके लिए शुभ रहेगा। अगर आपने आत्मरक्षा के उद्देश्य से कोई शस्त्र घर पर रखा हुआ है तो आप उसका पूजा कर सकते हैं, सामान्य जन अपने घरों में तलवार, लाठी या कुल्हाड़ी इत्यादि की पूजा करते हैं। इस मुहूर्त में भारत की पुलिस और आर्मी भी युद्ध हथियारों की पूजा करती है। 

अपने आधुनिक रूप में आयुध पूजा अब वाहन पूजा बन गई है, जिसमें लोग कार, स्कूटर और मोटर बाइक सहित अपने वाहनों की पूजा करते हैं। वाहन पूजा के दौरान, उपयोग में आने वाले सभी प्रकार के वाहनों को सिंदूर, फूलमाला, आम और केले के पत्तों से सजाया जा सकता है और उनकी पूजा की जा सकती है। भारत में कई जगहों पर वाहन पूजा के दौरान एक सफेद कद्दू को सिंदूर और हल्दी से सजाकर उसे वाहन के सामने तोड़ा जाता जाता है। ये एक बलि का प्रतीक माना जाता है और मान्यता है कि इससे बुरी शक्तियाँ दूर रहती हैं।

शस्त्र पूजा की पौराणिक कथा (Shastra Pooja in Hindu Mythology) 

दशहरा पर भगवान राम ने अस्त्र-शस्त्रों की मदद से रावण पर विजय हासिल की ये हम सभी जानते हैं, इसके अलावा महाभारत काल की एक और कथा है जो शस्त्रपूजा के लिए प्रेरित करती है। महाभारत के विराटपर्व के अनुसार जब दुर्योधन ने पाँचों पाण्डवों को द्युत क्रीड़ा यानी जुए में पराजित कर दिया तो उन्हें 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास काटना था। अज्ञातवास के लिए मत्स्य-प्रदेश जाने से पहले पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्रों को शमशान के पास मौजूद एक शमी वृक्ष में बनी खोहों में छुपा दिया था। 

कौरवों को संदेह हो गया था कि पांडव मत्स्य-प्रदेश में छुपे हैं इसलिए उन्होंने इस राज्य पर हमला कर दिया। यहाँ के राजा विराट का बेटा उत्तर, युद्ध में उतरा हुआ। बृहनलला के रूप में अर्जुन उनके सारथी बने हुए थे। उत्तर कुमार, कौरवों से डरकर युद्धभूमि से भागने लगे, तब अर्जुन से कहा कि रथ को शमी वृक्ष की ओर ले चलो। वहाँ से अर्जुन और अन्य पांडवों ने अपने शस्त्र लिए और उनका विधिवत पूजा किया। अपने हथियार पाने के बाद पाण्डवों ने कौरवों को घमासान युद्ध के बाद हरा दिया। इसी कथा से प्रेरणा लेकर आज भी अपने शस्त्रों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए दशहरा पर शस्त्र पूजा की जाती है।

साथ ही दशहरा के दिन दुर्गा माँ ने, महिषासुर नाम के दैत्य का अंत करके सृष्टि की रक्षा की थी। इस विजय से सभी देव बहुत प्रसन्न हुए और माता भगवती के शस्त्रों की उन्होंने विधिवत् पूजा की थी। ये दिव्य घटना भी शस्त्र पूजा का आधार मानी जाती है।

कैसे करें शस्त्र पूजा (How to perform Shastra Puja in Hindi) 

शस्त्र पूजा के लिए आपको एक स्वच्छ स्थान चुनना चाहिए और वहां एक चादर बिछाकर उस पर शस्त्र की स्थापना करनी चाहिए और सभी पूजा सामग्री अपने पास एकत्रित कर लेनी चाहिए। इसके बाद नीचे लिखी पूजा विधि अपनाएं। 

  • शस्त्र को सबसे पहले गंगाजल से पवित्र कर लें। 
  • इसपर मौली या कलावा बांधें।  
  • शस्त्र को चन्दन का तिलक, प्रसाद और पुष्प अर्पित करें।
  • श्रद्धापूर्वक भगवान राम और माँ दुर्गा का ध्यान करें। 
  • आँखें बंद करके इस मन्त्र का जाप करें – 

“आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये। स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥” 

  • इसके बाद आप राम रक्षा स्त्रोत के पाठ और प्रसाद वितरण के साथ पूजा समाप्त कर सकते हैं। 

आपने ब्लॉग में जाना कि दशहरा पर शस्त्रपूजा क्यों करते हैं और साल 2024 में शस्त्रपूजा का मुहूर्त क्या है? आशा है आप इस वर्ष विधिवत् शस्त्रपूजा द्वारा धर्मलाभ हासिल कर सकेंगें। ऐसी ही विश्वसनीय और अद्भुत् जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग्स पढ़ते रहें।