Maa Durga 108 Names: मां दुर्गा के 108 नामों का करें जाप, होगी सभी मनोकामना पूरी

आइए, मां दुर्गा के 108 नामों (Maa Durga 108 Names) का जाप करके मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करें।

Maa Durga 108 names hindi: मां दुर्गा जगत की उत्पत्ति की कर्ता हैं। देवी भागवत पुराण में भगवती को आदिशक्ति के रूप में वर्णित किया गया है। 

सत्व, तमो और रजो इन तीनों गुणों की प्रधान देवी मां दुर्गा ही हैं। दुर्गा जी की आराधना जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करके मनुष्य को सुख संपत्ति प्रदान करती हैं। 

देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा की स्तुति करने के लिए अनेक विधान बताए गए हैं। परन्तु शत्रुनाश, धन प्राप्ति, संतान प्राप्ति, विद्या प्राप्ति, ऋणमुक्ति और सुखमय जीवन के लिए दुर्गा जी के 108 नाम (Maa Durga 108 Names) का नित्य पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है। 

मां की पूजा के लिए कोई दिन और समय निश्चित नहीं होता परन्तु हर कार्य का विशेष शुभफल प्राप्त करने के लिए शुभ समय निर्धारित होता है। नवरात्रि पर्व समय में दुर्गा के 108 नाम का महत्व लाखों गुणा बढ़ जाता है। किन्तु इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रतिदिन पाठ करने से भी हमें माता की कृपा प्राप्त होती है। 

तो आइए, मां दुर्गा के 108 नामों (Maa Durga 108 Names) का जाप करके मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करें। 

Maa Durga 108 Names hindi

मां दुर्गा के 108 नाम और उनके अर्थ: (108 names of Maa Durga with Meaning)

1. सती- अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली 

2. साध्वी- आशावादी 

3. भवप्रीता- भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली 

4. भवानी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली 

5. भवमोचनी- संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली 

6. आर्या- देवी 

7. दुर्गा- अपराजेय 

8. जया- विजयी 

9. आद्य- शुरुआत की वास्तविकता

10. त्रिनेत्र- तीन आंखों वाली

11. शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली 

12. पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली 

13. चित्रा- सुरम्य, सुंदर 

14. चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली 

15. सुधा- अमृत की देवी 

16. मन- मनन-शक्ति 

17. बुद्धि- सर्वज्ञाता 

18. अहंकारा- अभिमान करने वाली

19. चित्तरूपा- वह जो सोच की अवस्था में है 

20. चिता- मृत्युशय्या 

21. चिति- चेतना 

22. सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली 

23. सत्ता- सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 

24. सत्यानंद स्वरूपिणी- अनन्त आनंद का रूप 

25. अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं 

26. भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत 

27. भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य

28. भव्या- कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 

29. अभव्या- जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं 

30. सदागति- हमेशा गति में, मोक्ष दान 

31. शाम्भवी- शिवप्रिया, शंभू की पत्नी 

32. देवमाता- देवगण की माता 

33. चिन्ता- चिन्ता 

34. रत्नप्रिया- गहने से प्यार करने वाली 

35. सर्वविद्या- ज्ञान का निवास 

36. दक्षकन्या- दक्ष की बेटी

37. दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली 

38. अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली 

39. अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली 

40. पाटला- लाल रंग वाली 

41. पाटलावती- गुलाब के फूल 

42. पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली 

43. कलामंजीरारंजिनी- पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली 

44. अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं 

45. विक्रमा- असीम पराक्रमी

46. क्रूरा- दैत्यों के प्रति कठोर 

47. सुन्दरी- सुंदर रूप वाली 

48. सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर 

49. वनदुर्गा- जंगलों की देवी 

50. मातंगी- मतंगा की देवी 

51. मातंगमुनिपूजिता- बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय 

52. ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति 

53. माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति 

54. इंद्री- इंद्र की शक्ति

55. कौमारी- किशोरी 

56. वैष्णवी- अजेय 

57. चामुण्डा- चंड और मुंड का नाश करने वाली 

58. वाराही- वराह पर सवार होने वाली 

59. लक्ष्मी- सौभाग्य की देवी 

60. पुरुषाकृति- वह जो पुरुष धारण कर ले 

61. विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द प्रदान करने वाली 

62. ज्ञाना- ज्ञान से भरी हुई 

63. क्रिया- हर कार्य में होने वाली

64. नित्या- अनन्त 

65. बुद्धिदा- ज्ञान देने वाली 

66. बहुला- विभिन्न रूपों वाली 

67. बहुलप्रेमा- सर्व प्रिय 

68. सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली 

69. निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली 

70. महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली 

71. मसुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली 

72. चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली

73. सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली 

74. सर्वदानवघातिनी- संहार के लिए शक्ति रखने वाली 

75. सर्वशास्त्रमयी- सभी सिद्धांतों में निपुण 

76. सत्या- सच्चाई 

77. सर्वास्त्रधारिणी- सभी हथियारों धारण करने वाली 

78. अनेकशस्त्रहस्ता- कई हथियार धारण करने वाली 

79. अनेकास्त्रधारिणी- अनेक हथियारों को धारण करने वाली 

80. कुमारी- सुंदर किशोरी 

81. एककन्या- कन्या

82. कैशोरी- जवान लड़की 

83. युवती- नारी 

84. यति- तपस्वी 

85. अप्रौढा- जो कभी पुराना ना हो

86. प्रौढा- जो पुराना है 

87. वृद्धमाता- शिथिल 

88. बलप्रदा- शक्ति देने वाली 

89. महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली 

90. मुक्तकेशी- खुले बाल वाली

91. घोररूपा- एक भयंकर दृष्टिकोण वाली

92. महाबला- अपार शक्ति वाली 

93. अग्निज्वाला- मार्मिक आग की तरह 

94. रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा 

95. कालरात्रि- काले रंग वाली 

96. तपस्विनी- तपस्या में लगे हुए 

97. नारायणी- भगवान नारायण की विनाशकारी रूप 

98. भद्रकाली- काली का भयंकर रूप

99. विष्णुमाया- भगवान विष्णु का जादू

100. जलोदरी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली

101. शिवदूती- भगवान शिव की राजदूत

102. करली- हिंसक

103. अनन्ता- विनाश रहित 

104. परमेश्वरी- प्रथम देवी

105. कात्यायनी- ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय

106. सावित्री- सूर्य की बेटी 

107. प्रत्यक्षा- वास्तविक 

108.ब्रह्मवादिनी- वर्तमान में हर जगह वास करने वाली

माँ दुर्गा के 108 नाम (maa durga 108 names) वाला स्त्रोत का संस्कृत में पाठ करने का विशेष महत्व है। आपकी सुविधा के लिए हम यहां संस्कृत में “श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्” उपलब्ध करा रहे हैं। 

Maa-Durga-108-Names-in-hindi

श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् | माँ दुर्गा के 108 नाम वाला स्त्रोत

श्रीदुर्गायै नमः

श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र

ईश्वर उवाच

शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने |

यस्य प्रसादमात्रेन दुर्गा प्रीता भवेत् सती ||1||

ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी |

आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारणी ||2||

पिनाकधारिणि चित्रा चण्डघण्टा महातपाः |

मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः||3||

सर्व मंत्रमयी सत्ता सत्यानंद स्वरूपिणी |

अनन्ता भावनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः ||4||

शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा |

सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी ||5||

अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती |

पट्टाम्बरपरीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी ||6||

अमेयविक्रमा क्रूरा सुंदरी सुरसुन्दरी |

वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता ||7||

ब्राह्मीमाहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा |

चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः ||8||

विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिता |

बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ||9||

निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी |

मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी||10||

सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी|

सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा||11||

अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धरिणी |

कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः||12||

अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्ध माता बलप्रदा|

महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला||13||

अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी |

नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी||14||

शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरि |

कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रम्हवादिनी||15||

य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम |

नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति||16||

धनं धान्यं सुतं जायं हयं हस्तिनमेव च |

चतुर्वर्ग तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्||17||

कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरिम्|

पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्||18||

तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वै सुरवरैरपि |

राजानो दासतां यन्ति राज्यश्रियमवाप्रुयात्||19||

गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन सिन्दूर्कर्पुरमधुत्रयेण |

विलिख्य यंत्र विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः||20||

भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते |

विलिख्य प्रपठेत् स्त्रोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम्||21||

इति श्रीविश्वसारतन्त्रे दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् |

श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् पाठ के नियम

  • प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हों
  • लाल वस्त्र धारण करें, और लाल आसन का प्रयोग करें। 
  • शुद्ध घी का दीपक प्रवज्जलित करके लाल पुष्पों से माता की पूजा करें। 
  • पूजा का संकल्प करके दुर्गा के 108 नाम का पाठ आरंभ करें। 

श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् पाठ की विधि

  • नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूजा का संकल्प लें। 
  • नवआवरण से मां दुर्गा का अर्चन करें। 
  • “ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” इस मंत्र का 108 बार जप करें।
  • आंखें बंद करके अपनी कुल देवी का दुर्गा रूप में ध्यान करें।  
  • अब दुर्गा के 108 नामों का हिंदी या संस्कृत में पाठ करें।
  • कपूर से मां की आरती करें। 

मां दुर्गा के 108 नाम के पाठ का लाभ 

  • मां दुर्गा के 108 नामों का जाप करने से भक्तों के जीवन में भय और दुःखों का नाश होता है।
  • श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् को ना तो सिद्ध करने की आवश्यक्ता होती है ना किसी विशेष विधान की। यह अपने में स्वत: सिद्ध है। इन नामों का जाप करने से तुरंत लाभ मिलता है।
  • श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् का जाप करने से व्यक्ति की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं तो पूरी होती ही हैं, साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है। 
  • जो भक्त नियमित रूप से देवी के इन 108 नामों के मंत्रों का जप करता है देवी सदैव उनके साथ होती हैं और हर विपत्ति से अपने भक्तों की रक्षा करती है। 

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