Ghatasthapana 2024: घटस्थापना कैसे करें? जानिए विधि और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा घटस्थापना से शुरू होती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2024 से हो रही है। इसी दिन घटस्थापना की जाएगी।

Ghatasthapana 2024: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा घटस्थापना से शुरू होती है। घटस्थापना को कहीं-कहीं कलश स्थापना के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2024 से हो रही है। इसी दिन घटस्थापना भी की जाएगी।

नवरात्रि (navratri) में घटस्थापना बेहद शुभ मानी जाती है। घटस्थापना (Ghatasthapana) के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। शास्त्रों में कलश को संपूर्ण देवी-देवताओं का निवास स्थान माना गया है। 

घटस्थापना (ghatasthapana) से आप अपने पूजा स्थल पर सभी देवी-देवताओं का भी आवाहन कर सकते हैं। 

Ghatasthapana 2023

तो आइए, यहां जानते हैं कि (नवरात्रि 2024) के शुभ अवसर घटस्थापना कैसे करें (ghatasthapana kaise kare?)

सबसे पहले घटस्थापना का महत्व क्या है? यह जान लेते हैं। 

घटस्थापना का महत्व

नवरात्रि में घटस्थापना और पूजन से सभी मनोकामनाएं फलित होती हैं और भक्तों को पूजा का लाभ प्राप्त होता है। 

वास्तव में जो घट या कलश है, उसमें सभी देवी-देवताओं का आवाहन किया जाता है। इसे 33 कोटियों के देवी-देवताओं का निवास स्थान भी माना गया है।

देवी-देवताओं के अतिरिक्त कलश में चारों वेदों और पवित्र नदियों का भी आवाहन किया जाता है। 

शास्त्रों में, कलश के मुख पर भगवान विष्णु, कंठ पर भगवान शंकर और जड़ यानी कलश के निचले स्थान में ब्रह्मा जी का स्थान बताया गया है। 

साथ ही कलश के ऊपर जो नारियल रखा जाता है, वह देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।

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घटस्थापना के नियम

  • कलश स्थापना के लिए अमृत मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है।
  • घट की स्थापना सदैव ईशान कोण उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। 
  • अगर आप किसी कारणवश अमृत मुहूर्त में घटस्थापना नहीं कर पाते हैं तो आप अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri Ghatasthapana Muhurat 2024)

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri Ghatasthapana Muhurat) 3 अक्टूबर को दिन में प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47 मिनट तक अमृत मुहूर्त और प्रातः 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है।

घटस्थापना की सामग्री (navratri ghatasthapana samagri)

कुमकुम, गंगाजल, शुद्धजल, सिक्का, दूर्वा, जौ के दाने, मिट्टी, अक्षत, हल्दी, कुंकू, गुलाल, रंगोली, कपूर, सिंदूर, आम के पत्ते, सुपारी, कपूर, पंचामृत, गुड़, जटा वाला नारियल, मिश्री, पांच प्रकार के फल, मेवे चौकी, कुश का आसन, नैवेद्य, यज्ञोपवित या जनैऊ, लाल चुनरी इत्यादि। 

घटस्थापना कैसे करें? (ghatasthapana kaise kare)

  • नवरात्रि के पहले दिन स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण कर लें।
  • इसके पश्चात् पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण कर लें।
  • अब पूजा स्थल पर चौकी लगाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। 
  • ध्यान रखें कि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा में हो।
  • चौकी पर माता की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर लें। 
  • आप माता की प्रतिमा को स्थापित करने से पहले उन्हें गंगाजल से स्नान भी करवा सकते हैं। 
  • उनका श्रृंगार करने के बाद उन्हें चौकी पर विराजमान कर सकते हैं।
  • अब चौकी पर माता की प्रतिमा के बाएं ओर अक्षत से अष्टदल बनाएं। 
  • अष्टदल बनाने के लिए कुछ अक्षत रखें और उसके बीच से शुरू करते हुए, बाहर की तरफ 9 कोने बनाएं। 
  • इसके ऊपर ही घटस्थापना (ghatasthapana) करें।
  • अब आपको आचमन करना है, उसके लिए आप बाएं हाथ में जल लें, और दायं हाथ में डालें, इस प्रकार दोनों हाथों को शुद्ध करें। 
  • फिर आचमन मंत्र –“ॐ केशवाय नम: ॐ नाराणाय नम: ॐ माधवाय नम: ॐ ह्रषीकेशाय नम:” का उच्चारण करते हुए 3 बार जल ग्रहण करें, इसके बाद पुनः हाथ धो लें।
  • घट स्थापना से पहले सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर लें और उसके ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें। 
  • अब आप एक मिट्टी का बड़ा कटोरा लें, जिसमें मिट्टी डालकर जौ बो दें। 
  • इस पात्र को चौकी पर बनाएं गए अष्टदल पर रख दें।
  • इसके अलवा आप एक मिट्टी, तांबे या पीतल का कलश लें, जिसपर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
  • कलश के मुख पर मौली बांधे।
  • इस कलश में गंगा जल, व शुद्ध जल डालें।
  • जल में हल्दी की गांठ, दूर्वा, पुष्प, सिक्का, सुपारी, लौंग इलायची, अक्षत, रोली और मीठे में बताशा भी डालें।
  • ऐसा करते समय आप इस मंत्र का उच्चारण करें-
  • “कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता: मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता:। कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा, ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामवेदो अथर्वणा: अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता:।”
  • अब कलश के मुख को 5 आम के पत्तों से ढक देंगे और आम के पत्तों पर भी हल्दी, कुमकुम का तिलक अवश्य लगाएं।
  • इन आम के पत्तों पर एक पात्र में अक्षत डाल कर रख दें।
  • अब एक जटा वाला नारियल लें और उसपर चुनरी लपेट दें और मौली बांध दें।
  • इस नारियल को कलश के ऊपर चावल वाले पात्र में रख दें।
  • अंत में इस कलश को जिस मिट्टी के पात्र में जौ बोए थे, उसके ऊपर रख दें।

घटस्थापना (ghatasthapana) के बाद आप माता की प्रतिमा के दाएं तरफ अखंड दीपक रखें और उसे प्रज्वलित करें।

घटस्थापना के बाद, प्रतिदिन मां के 9 स्वरूपों की पूजा करें। आप घट (कलश) के सामने धूप, दीप अवश्य दिखाएं और भोग में मेवे व फल अर्पित करें।

ये तो थी, नवरात्रि में घटस्थापना कैसे करें (ghatasthapana kaise kare) की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और अनुष्ठानों की जानकारी के लिए वामा (Vama) से जुड़े रहें।

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