Thaipusam 2025 : तमिल थाईपुसम त्योहार कब है? जानिए कैसे मनाया जाता है यह हिन्दू पर्व 

Thaipusam 2025 : भारत की सांस्कृतिक विरासत इतनी विशाल है कि हर राज्य की अपनी विशेषता है। सबके अलग तरह के तीज-त्यौहार हैं। इसी तरह भारत के दक्षिणीय राज्य तमिलनाडु में मनाया जाता हैं एक ख़ास त्यौहार जिसे थाईपुसम कहते हैं। थाईपुसम त्यौहार वहाँ का मुख्य त्यौहार है। तमिलनाडु के अलावा यूएसए, मॉरीशस, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका और सिंगापुर में भी इसका आयोजन होता है।

भक्तगण इस त्यौहार को कर्म-शुद्धि का पर्व मानते हैं। वे खुद को कष्टदायक स्थिति में डालकर अपने कर्मों की शुद्धि करते हैं। आस्थावान भक्त इस दिन कठिन उपवास करते हैं और अंगारों पर चलते हैं। कई लोग इस दिन  अपने शरीर को नुकीले धातु से घायल करते हैं। थाईपुसम त्योहार की इन रहस्यमयी रीतियों के पीछे क्या कारण है, ये हम इस ब्लॉग में जानेंगें। साथ ही ये भी जानेंगे कि 2025 में यह थाईपुसम त्यौहार कब है? 

तमिल थाईपुसम त्योहार कब है (Thaipusam 2025 Date and Time) 

थाईपुसम शब्द दो तमिल शब्दों से मिलकर बना है। थाई, जो उस तमिल महीने का नाम है जिसमें यह त्यौहार मनाया जाता है, और पूसम उस दिन पड़ने वाले नक्षत्र का नाम है। भारत में थाईपुसम त्योहार 11 फरवरी 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। जैसा कि हमने बताया थाईपुसम का मुहूर्त पूसम नक्षत्र में होता है। यह पूसम नक्षत्र 10 फरवरी 2025, शाम 6:01 बजे से शुरू होगा और 11 फरवरी 2025 को शाम 6:34 बजे तक रहेगा। 

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पूजा का नाममंदिर (स्थान)
ऋण मुक्ति पूजाऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन)
शनि साढे़ सातीशनि शिंगणापुर देवस्थानम, महाराष्ट्र
राहु ग्रह शांति पूजाजरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज
माँ बगलामुखी महापूजामाँ बगलामुखी धाम, उज्जैन
पितृ दोष शांति एवं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजाधर्मारण्य तीर्थ, गया, बिहार

थाईपुसम त्योहार क्यों मनाया जाता है (Thaipusam Story in Hindi) 

भगवान कार्तिकेय, तमिल समुदाय में मुरुगन नाम से जाने जाते हैं और यह थाईपूसम उन्हें ही समर्पित है। स्कन्द पुराण के अनुसार, तीन असुरों सुरपदमन, तारकसुरन और सिंघामुखन ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। शिव जी ने उन्हें वरदान दिया कि वो अब अमर हैं। 

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अमरता का वरदान मिलते ही उन्होंने आम जनता पर अत्याचार शुरू कर दिए। उन्होंने देवताओं को भी परेशान करना शुरू कर दिया था। तंग आकर देवताओं ने असुरों के शासन को समाप्त करने के लिए शिव से सहायता की गुहार लगाई। 

उनकी समस्या का समाधान करने के लिए, शिव जी ने अपने छह सिर पैदा किए। इसके बाद हर एक सिर से एक दिव्य चिंगारी निकली। वायु देवता ने इन चिंगारियों को वहन किया। वायु के गरम होने से गंगा का पानी भाप बनकर उड़ने लगा।  

देवी गंगा ने वो चिंगारियां वायु से ले ली और उन्हें सरवण झील में ले गयी। यहाँ प्रत्येक चिंगारी से एक बालक का जन्म हुआ। इन छह बालकों का पालन-पोषण कृतिका नामक एक दासी ने किया। पार्वती ने उन छह बालकों को एक में मिला दिया। जिससे भगवान मुरुगन का जन्म हुआ, जिन्हें कार्तिकेय भी कहा जाता है। 

पार्वती ने उन्हें एक दिव्य भाला भी दिया जिससे वो असुरों का संहार कर सकें। देवों की सेनाओं के साथ, मुरुगन ने असुरों के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया। मुरुगन ने अपने भाले से सुरपदमन के दो भाग कर दिए। एक भाग से मोर बना और दूसरे भाग से मुर्गा। उन्होंने मोर को अपना वाहन बनाया और मुर्गे को अपना ध्वज बनाया। 

तबसे यह थाईपुसम त्योहार सुरपदमन पर मुरुगन की जीत की याद में मनाया जाता है। मुरुगन भगवान युद्ध और तपस्या के भगवान हैं। उनके भक्तों का मानना है कि वो मोक्ष के दाता हैं और बुरे कर्मों का नाश करते हैं। 

थाईपुसम त्योहार कैसे मनाया जाता है (Thaipusam festival celebration in India) 

Thaipusam

थाईपुसम की तैयारी 48 दिन पहले शुरू हो जाती हैं। थाईपुसम से पहले अपने शरीर और मन की शुद्धि के लिए भक्त उपवास शुरू कर देते हैं। इस त्यौहार में मुरुगन के प्रति भक्ति व्यक्त करने के कई कठिन व्रत किए जाते हैं। कटार से अपने शरीर पर घाव करना, भारी-भारी कांवर लेकर मुरुगन मंदिर जाना और निर्जल रहना इस त्योहार की विशेषताएं हैं। यह भक्तों को त्याग और विपरीत परिस्थतियों में डटे रहने की प्रेरणा देता है। 

मुरुगुन मन्दिर की यात्राएं समुदाय में की जाती हैं, इसलिए थाईपुसम एक सांस्कृतिक त्यौहार है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग तमिल क्षेत्र में पहुंचते हैं। थाईपुसम त्यौहार के समय मुरुगन मंदिरों में बहुत भीड़ रहती है। भक्तजन गेरुए वस्त्रों में मुरुगन भगवान के जयकारे लगाते नजर आते हैं। 

इस ब्लॉग में आपने जाना कि थाईपुसम 2025 (Thaipusam 2025) में कब है और इसे क्यों मनाया जाता है। आशा है आपको ये ब्लॉग Thaipusam 2025 के बारे में उपयोगी जानकारी देने में सफल रहा होगा।ऐसी ही व्रत त्यौहार और ज्योतिषीय जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग पढ़ते रहें।