विद्यार्थियों को जपने चाहिए ये सरस्वती मन्त्र | Saraswati Mantra for Students in Hindi
सरस्वती मन्त्र : अगर किसी विद्यार्थी का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है तो उसे देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के प्रयास करने चाहिए। बहुत ज्यादा पढ़ाई करने के बाद भी अगर इम्तेहान में कुछ याद नहीं आता तो इसका अर्थ है कि आपकी स्मरण शक्ति कम हो गयी है। ऐसे में दिमागी ऊर्जा को बढ़ाने के लिए सरस्वती मां की स्तुति करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
सरस्वती माँ की स्तुति के लिए सरस्वती मंत्र श्लोक इत्यादि का पाठ करना चाहिए। स्वाध्याय के साथ सरस्वती मंत्र जाप को विद्यार्थी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें तो उनको हमेशा अच्छे अंक मिलते हैं। इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि स्टूडेंट्स को कौन से सरस्वती मन्त्रों का जाप कब और कैसे करना चाहिए।
विद्यार्थी सरस्वती मां की पूजा रोज कैसे करें (Saraswati Puja Vidhi for Students)
पढ़ने वाले बच्चे सरस्वती देवी की पूजा करने के लिए कोई भी समय चुन सकते हैं। प्रातःकाल और संध्या का समय पूजा करने के लिए सबसे उत्तम है। आप नीचे लिखे विधि से सरस्वती देवी की पूजा कर सकते हैं।
- अपने पढ़ाई के कमरे में या घर के मंदिर में सरस्वती देवी की मूर्ति स्थापित करें।
- पूजा से पहले स्नान जरुर करें और स्वच्छ पीले वस्त्र पहनें।
- अब देवी को पीले फूल अर्पित करें और चन्दन का तिलक लगाएं।
- दीपक और धूप जलाकर मां के चरण स्पर्श करें।
- अब पालथी मारकर बैठ जाएं और नीचे लिखे मन्त्रों का श्रद्धानुसार जाप करें।
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विद्यार्थियों के लिए सरस्वती मन्त्र (Saraswati Mantra for Students in Hindi)
विद्यार्थीगण नीचे लिखे मन्त्रों में से किसी एक मन्त्र का जाप कर सकते हैं। समय अगर हो तो सभी मन्त्रों का जाप भी किया जा सकता है। कम से कम 21 बार एक मन्त्र को दोहराना चाहिए। आप हल्दी से बनी 108 मनकों वाली माला का प्रयोग कर सकें तो ये अति उत्तम होगा।
- ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम् । हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।
- सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि। विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः।
- ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
- वद वद वाग्वादिनी स्वाहा।।
इस पाँच मन्त्रों के अलावा आप सरस्वती स्तुति के लिए सरस्वती स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। सुबह मन्त्र जाप और शाम को सरस्वती स्रोत का पाठ विद्यार्थियों के लिए शुभफलदायी होता है।
श्री सरस्वती स्तोत्र/Shri Saraswati Stotram
या कुंदेदंदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ।।1।।
आशासु राशिभवदंगवल्लीभासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम् ।
मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दु वन्देऽरविंदासनसुंदरि त्वाम् ।।2।।
शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे ।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात् ।।3।।
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् ।
देवत्वं प्रतिधन्ते यदनुग्रह्तो जना: ।।4।।
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती ।
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या ।।5।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाधां जगद्व्यापिनीं वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् ।
हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ।।6।।
वीणाधरे विपुलमंगलदानशीले भक्तार्तिनाशिनि विरंचिहरीशवंधे ।
कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे विद्याप्रदायिनि सरस्वती नौमि नित्यम् ।।7।।
श्वेताब्जपूर्णविमलासनसंस्थिते हे श्वेताम्बरावृतमनोहरमंजुगात्रे ।
उधन्ममनोज्ञसितपंकजमंजुलास्ये विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम् ।।8।।
मातस्त्वदीयपदपंकजभक्तियुक्ता ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय ।
ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण भूवह्रिवायुगगनाम्बुविनिर्मितेन ।।9।।
मोहान्धकारभरिते ह्रदये मदीये मात: सदैव कुरु वासमुदारभावे ।
स्वीयाखिलावयवनिर्मलसुप्रभाभि: शीघ्रं विनाशय मनोगतमंधकारम् ।।10।।
ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेश: शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावै: ।
न स्यात्क्रपा यदि तव प्रकटप्रभावे न स्यु: कथञिचदपि ते निजकार्यदक्षा: ।।11।।
लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टि: प्रभा धृति: ।
एताभि: पाहि तनुभिरष्टाभिर्मां सरस्वती ।।12।।
सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम: ।
वेदवेदांतवेदांगविद्यास्थानेभ्य एव च ।।13।।
सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने ।
विद्यारुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ।।14।।
यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत् ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि ।।15।।