Govardhan Puja Time : 2024 में गोवर्धन पूजा कब की है? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Govardhan Puja Time : गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। यह दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है। इस दिन, विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
इस दिन दुधारू पशुओं का आभार प्रकट किया जाता है। यह त्यौहार ख़ासतौर से उत्तर भारत के कृषक परिवारों में मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में गोवर्धन पूजा मनाने के अलग तौर-तरीके हैं। इस ब्लॉग में हम आपको गोवर्धन पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि 2024 में गोवर्धन पूजा कब की है और पूजा का शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja Time) क्या रहेगा?
2024 में गोवर्धन पूजा की तिथि (Govardhan Puja kab hai)
गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। 2024 में, यह त्यौहार शनिवार, 2 नवंबर को मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा शाम को होती है। इस दिन गोवर्धन पूजा का मुहूर्त (Govardhan Puja Time) शाम 03:23 बजे से 5:35 तक रहेगा। गोवर्धन पूजा 02 घण्टे 12 मिनट के भीतर की जाएगी ।
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पूजा का नाम | मंदिर (स्थान) |
ऋण मुक्ति पूजा | ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन) |
शनि साढे़ साती | शनि शिंगणापुर देवस्थानम, महाराष्ट्र |
राहु ग्रह शांति पूजा | जरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज |
माँ बगलामुखी महापूजा | माँ बगलामुखी धाम, उज्जैन |
पितृ दोष शांति एवं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा | धर्मारण्य तीर्थ, गया, बिहार |
गोवर्धन पूजा का इतिहास (Govardhan Puja Katha)
गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, ब्रजवासी फसल और पशुओं के चारे के लिए बारिश पर निर्भर रहते थे। उन्हें हर वर्ष इंद्र देव की पूजा करनी होती थी ताकि समय पर बारिश हो और उनकी फसलों की सुरक्षा हो सके। लेकिन एक बार भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्रदेव की पूजा न करके गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का परामर्श दिया। श्रीकृष्ण का कहना था कि गोवर्धन पर्वत ही उनकी फसलों और पशुओं को जीवन के लिए आवश्यक संसाधन देता है। इसलिए इंद्र की नहीं गोवर्धन पर्वत की पूजा करो।
इससे इंद्रदेव को क्रोध आया और उन्होंने गोकुल पर मूसलधार बारिश शुरू कर दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को बारिश से बचाया। इस घटना के बाद, इंद्रदेव ने अपनी गलती मानी और भगवान कृष्ण की महिमा को स्वीकार किया। तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
ब्लॉग में आगे जानते हैं कि गोवर्धन पूजा विधि क्या है?
गोवर्धन पूजा कैसे की जाती है (Govardhan Puja Vidhi)
गोवर्धन पूजा के दिन घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाया जाता है। इसके बाद भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान गायों को स्नान कराकर उन्हें सजाया जाता है और उनके गले में रंग-बिरंगी माला पहनाई जाती है।
अन्नकूट के दिन 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, जिसे “छप्पन भोग” कहा जाता है। ये व्यंजन भगवान को भोग लगाने के बाद परिवार और भक्तों में बांटे जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से हलवा, पूरी, कढ़ी, चावल, सब्जी और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है।
पूजा के बाद, परिवार के सभी सदस्य मिलकर गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं। यह परिक्रमा 7 बार की जाती है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की घटना का प्रतीक है। इस दिन भगवान कृष्ण के मंदिरों में विशेष उत्सव आयोजित होते हैं, जहां भक्तों द्वारा कीर्तन और भजन-पूजन किया जाता है।
अन्नकूट महोत्सव क्या है (Annkoot Mahotsav Kya Hai)
गोवर्धन पूजा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू अन्नकूट महोत्सव है। इस दिन कृष्ण मंदिरों में विशेष रूप से अन्नकूट के पर्व का आयोजन किया जाता है। इसमें सैकड़ों प्रकार के व्यंजन भगवान को अर्पित किए जाते हैं। इन व्यंजनों को बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। अन्नकूट फसल कटाई के बाद सबसे पहले भगवान को अर्पण करने की प्रक्रिया है, जो भारत की कृषि संस्कृति का यो महत्वपूर्ण हिस्सा है।
गोवर्धन पूजा का महत्व(Govardhan Puja ka Mahatva)
गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी कृषि और पर्यावरण संरक्षण की संस्कृति को भी दर्शाती है। यह त्यौहार प्रकृति के महत्व को समझने और उसका सम्मान करने की प्रेरणा देता है। गोवर्धन पर्वत की पूजा संकेत है कि प्रकृति हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। हमें उसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।
तो आपने इस ब्लॉग में जाना कि गोवर्धन पूजा कब की है और Govardhan Puja Time क्या रहेगा? यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण के प्रति हमारी श्रद्धा और प्रकृति के प्रति हमारे आदर का प्रतीक है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में संतुलन बनाना चाहिए और प्रकृति का सम्मान करते हुए अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाहिए। हमारी ओर से आपको गोवेर्धन त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएं। आशा है आपके जीवन में ये आनंद लेकर आए।