Narak Chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं? नरक चतुर्दशी कब है? जानें शुभमुहूर्त और पूजा विधि

Narak Chaturdashi 2024: हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। बहुत से लोगों के मन में ये सवाल हो सकते हैं कि नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं? इस दिन किसकी पूजा की जाती है और नरक चतुर्दशी का क्या महत्व है? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस ब्लॉग में मिलने वाले हैं। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नरक चतुर्दशी को रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी, नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। आम भाषा में इसे छोटी दिवाली बोलते हैं। यह प्रमुख रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाना वाला त्योहार है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

नरक चतुर्दशी कब है (Narak Chaturdashi kab Hai) 

इस साल 2024 में नरक चतुर्दशी गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग और स्नान करने का पौराणिक महत्व है। इस दिन अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:20 बजे से लेकर 6:32 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटा और 13 मिनट की होगी। ब्लॉग में आगे जानते हैं कि नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं और इस दिन किस की पूजा होती है?

दिवाली से पहले नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं (Narak Chaturdashi kyon Manate Hain) 

दिवाली से एक दिन पहले नर्क चतुर्दशी मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को कृष्ण भगवान ने नरकासुर नाम के दैत्य का अंत किया था। भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर के कारागृह से सोलह हजार कन्याओं को मुक्त कराया था। इन सभी कन्याओं को इनका सम्मान वापस दिलाने के लिए कृष्ण ने इन सभी से विवाह भी किया था। तभी से इस दिन दिए जलाने और खुशियां मनाने की परम्परा शुरू हुई। 

इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। यमराज के लिए शाम को दीप-दान करने का विधान है। कहते हैं इस दिन अगर सूरज निकलने से पहले तिल के तेल से मालिश करके नहाया जाए तो नर्क जाने से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही नरक चतुर्दशी के पूजन से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और बीमारियां भी दूर रहती हैं। 

आइए, जानते हैं नरक चतुर्दशी पूजा कैसे करें? 

नरक चतुर्दशी पूजा कैसे करें (Narak Chaturdashi Puja Vidhi) 

अगर आप नर्क चतुर्दशी को पूजा करना चाहते हैं तो आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए। इसमें सूरज उगने से पहले नहाने का बहुत महत्व है। सुबह जल्दी उठकर आप नीचे लिखे तरीके से नर्क चतुर्दशी की पूजा कर सकते हैं – 

  • तिल के तेल से मालिश के बाद स्नान करें।
  • स्नान के बाद, माथे पर रोली का तिलक लगाना चाहिए। 
  • दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यमराज जी को तिल मिला कर जल अर्पित करें। 
  • यमराज के नाम का दीपक जलाकर जल स्रोत में बहा दें। 
  • शाम के समय, 14 दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए। 
  • घर की चौखट के दोनों ओर, घर के बाहर, और कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर दीपक जलाने चाहिए। 
  • इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करना शुभ माना जाता है। 
  • भगवान वामन और राजा बलि का स्मरण करके उनकी पूजा करनी चाहिए। 
  • इस दिन वस्त्र और सौंदर्य प्रसाधन का दान करना शुभ होता है। 
  • इस दिन निशीथ काल में घर से बेकार का सामान फेंक देना चाहिए। 
  • इस दिन मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • इस दिन तेल का दान नहीं करना चाहिए। 
  • इस दिन किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए, नहीं तो यमराज रुष्ट हो जाते हैं।

नर्क चतुर्दशी पर किन बातों का रखें ख़ास ख्याल (Narak Chaturdashi Niyam)

इस दिन बहुत से लोग साफ़-सफाई करते हैं, दिवाली से एक दिन पहले साफ़-सफाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप कूड़ा दक्षिण दिशा में ना डालें। दक्षिण दिशा यमराज जी को समर्पित है। अगर नर्क चतुर्दशी के दिन इस दिशा में कूड़ा करकट डालते हैं तो यमराज जी रुष्ट हो जाते हैं। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करें। 

इस ब्लॉग में आपने जाना कि नर्क चतुर्दशी कब है और इसका क्या महत्व है। आशा है आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। आपकी जानकारी को निरंतर बढ़ाने के लिए हम ऐसी जानकारी आपके लिए लाते रहते हैं। अगर आपको वामा के ये प्रयास पसंद हैं तो इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ साझा करें। व्रत त्यौहार से जुड़ी जानकारी , राशिफल और ज्योतिषीय सलाह के लिए आप हमें फॉलो करते रहें।