Diwali 2024 : दिवाली कब है? जानें दिवाली पूजा टाइम और दीपावली डेट
Diwali 2024 : दिवाली को रोशनी के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है। ये उत्तर भारत का खास त्यौहार है लेकिन पूरे देश में यहाँ तक कि विदेशों में भी इसकी धूम रहती है।
दिवाली के दिन मौज मस्ती उत्साह के बीच सबसे महत्वपूर्ण कार्य है लक्ष्मी पूजन। अगर आप दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करते हैं तो आपको उनकी विशेष कृपा मिलती है।
इसीलिए हम इस ब्लॉग में आपके लिए पूरी जानकारी लेकर आए हैं।हम यहाँ आपको दिवाली 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि की बारे में बता रहे हैं।
2024 दिवाली कब है (2024 Mein Diwali Kab Hai)
दिवाली पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है जो धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज तक चलता है। कार्तिक माह की अमावस्या को ये त्यौहार मनाया जाता है। दीपावली डेट अक्टूबर के अंत में या नवम्बर की शुरुआत में पड़ती है।
इस बार कार्तिक अमावस्या 2024 में शुक्रवार, 1 नवम्बर को पड़ रही है। इसी दिन दिवाली मनाई जाएगी दिवाली के दिन हिन्दू परिवार लक्ष्मी पूजा करते हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 41 मिनट है।
अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:52 बजे शुरू होगी और 1 नवम्बर 2024 को शाम 6:16 बजे समाप्त हो जाएगी।
VAMA द्वारा आयोजित ऑनलाइन पूजा में भाग लें (अपने नाम और गोत्र से पूजा संपन्न कराएं) | |
पूजा का नाम | मंदिर (स्थान) |
ऋण मुक्ति पूजा | ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन) |
शनि साढे़ साती | शनि शिंगणापुर देवस्थानम, महाराष्ट्र |
राहु ग्रह शांति पूजा | जरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज |
माँ बगलामुखी महापूजा | माँ बगलामुखी धाम, उज्जैन |
पितृ दोष शांति एवं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा | धर्मारण्य तीर्थ, गया, बिहार |
दिवाली क्यों मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है ?
हमारे देश में दिवाली का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। यह अंधकार पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
दिवाली के बारे में पौराणिक कथाएं प्रचलित है। कथाओं की माने तो भगवान विष्णु के सातवें अवतार, भगवान राम इस दिन वनवास से अपने राज्य अयोध्या लौट आए थे। भगवान राम राक्षस राजा रावण को हराने के बाद लौटे थे।
जिस दिन राम अयोध्या लौटे उस दिन कार्तिक अमावस्या थी। तबसे लेकर आजतक हर कार्तिक अमावस्या को लोग दिवाली का त्यौहार मनाते हैं। दिवाली पर दिए जलते हैं, रंगोली बनती हैं और मिल-जुलकर खुशियां मनाई जाती हैं।
आइए, अब जानते हैं कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजा कैसे करें?
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि (Diwali par Laxmi Puja ka Vidhi)
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा आमतौर पर शाम के समय की जाती है। अलग-अलग राज्यों में लक्ष्मी पूजा की अलग विधि प्रचलित है। यहाँ हम एक शास्त्र सम्मत विधि दे रहे हैं। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा नीचे लिखे क्रम में की जा सकती है।
- सबसे पहले, ईशान कोण में हल्दी और आटे से स्वास्तिक बनाएं।
- अब इसके ऊपर चौकी रखें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
- चौकी चारों कोनों को फूलों और दीपक से सजाएं।
- अब चौकी पर गणेश जी की मूर्ति रखें।
- गणेश जी के दाहिने लक्ष्मी जी की मूर्ति रखें।
- माँ लक्ष्मी को लाल चुनरी ओढ़ा दें।
- माता लक्ष्मी और गणेश जी को कुमकुम का तिलक करें।
- इसके बाद मां लक्ष्मी और गणेश जी को फूल, फल, मिठाई इत्यादि अर्पित करें।
- माँ लक्ष्मी जी की आरती गाएं और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
- आरती के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी को मिठाई का भोग लगाएं।
- अपने परिवार के मंगल और सुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगे।
- लक्ष्मी पूजा के बाद अपनी तिजोरी, बहीखाते, और स्वर्ण की भी पूजा करें।
- पूजा के बाद सबको प्रसाद जरुर बांटें।
दिवाली समृद्धि और खुशहाली लेकर आती है। खुशियां बांटने से बढ़तीं हैं इसलिए अपने नाते रिश्तेदारों और पड़ोसियों को दिवाली की शुभकामनाएं जरुर दें। दिवाली पर आतिशबाजी से यथासंभव दूर रहें। इससे वातावरण दूषित होता है। मित्रों और परिवार के साथ सुरक्षित रूप से दिवाली का त्यौहार मनाएं।सभी को हमारी और से दिवाली पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।