Aaj Ka Panchang, 12 August 2024: आज शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि, जानिए आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त
आज का पंचांग | Aaj ki tithi kya hai | Today tithi in Hindi
Aaj Ka Panchang, 12 August 2024: हिंदू कैलेंडर को वैदिक पंचांग के नाम से जाता है। इसके पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण प्रमुख हैं। जिसके आधार पर आज की तिथि (Today Tithi), शुभ मुहूर्त, राहुकाल और चौघड़िया आदि की गणना की जाती है।
यदि आप आज कोई शुभ कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं तो यहां से आज का शुभ मुहूर्त और आज का चौघड़िया अवश्य नोट कर लें।
तो आइए, VAMA के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य देव से जानते हैं- आज का पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, आज का चौघड़िया और आज की तिथि क्या है (Aaj ki tithi kya hai)?
आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang, 12 August 2024)
- आज की तिथि- शुक्ल पक्ष सप्तमी 7:56 AM तक
- नक्षत्र- स्वाति 8:34 AM तक
- योग- शुक्ल 4:26 PM तक
- करण- वणिज 7:54 AM तक
- महीना अमान्त- श्रावण
- महीना पूर्णिमांत- श्रावण
- विक्रम संवत- 2081 (पिंगल)
- शक संवत- 1946 (क्रोधी)
- सूर्य राशि- कर्क
- चंद्र राशि- तुला
- दिशाशूल- पूर्व
- चंद्र निवास- पश्चिम
- ऋतु- वर्षा
- अयन- दक्षिणायन
आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त (aaj ka shubh muhurat)
वैदिक पंचांग में शुभ-अशुभ मुहूर्त वह समय होता है जिसमें ग्रह और नक्षत्र उस स्थान के अनुसार सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम देते हैं। अतः हमें सार्थक परिणाम के लिए किसी महत्वपूर्ण कार्यों को अभिजीत (शुभ) मुहूर्त में ही शुरुआत करनी चाहिए।
- आज का शुभ मुहूर्त- 11:38 AM से 12:30 PM
- राहुकाल- 7:09 AM से 8:47 AM
- गुलिक काल- 1:42 PM से 3:20 PM
- यमघण्टकाल- 10:26 AM से 12:04 PM
आज का चौघड़िया (Aaj Ka Choghadiya- 12 August 2024)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ और अशुभ समय का पता लगाने की प्रक्रिया को चौघड़िया कहते हैं। चौघड़िया भी एक तरह का मुहूर्त है। इसमें शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के समय का जिक्र होता है। शुभ, लाभ, चर और अमृत सबसे प्रमुख चौघड़िया माने जाते हैं।
आज दिन का चौघड़िया
- अमृत 05:48 AM – 07:27 AM
- काल 07:27 AM – 09:06 AM
- शुभ 09:06 AM – 10:45 AM
- रोग 10:45 AM – 12:24 AM
- उद्वेग 12:24 AM – 14:03 PM
- चर 14:03 PM – 15:42 PM
- लाभ 15:42 PM – 17:21 PM
- अमृत 17:21 PM – 19:03 PM
किसी भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले चौघड़िया सूची से शुभ मुहूर्त की जांच कर लें। अमृत, शुभ, लाभ और चर सबसे लोकप्रिय चौघड़िया हैं।
किसी शुभ काम को करने के लिए मुहूर्त तय करते समय अशुभ चौघड़िया जैसे- उद्वेग, काल और रोग से बचना चाहिए।
चौघड़िया लिस्ट | संबंधित कार्य |
अमृत- | सभी प्रकार के कार्य (विशेष रूप से दुग्ध उत्पाद संबंधित) |
शुभ- | विवाह, धार्मिक, शिक्षा गतिविधियाँ के लिए |
काल | मशीन, निर्माण और कृषि संबंधी गतिविधियाँ |
रोग | वाद-विवाद, प्रतियोगिता, विवाद निपटारा |
उद्वेग | सरकार से संबंधित कार्य |
लाभ | नया व्यवसाय, शिक्षा |
चर | यात्रा, सौंदर्य/नृत्य/सांस्कृतिक गतिविधियां |
आइए, अब हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) को विस्तार से समझ लेते हैं।
पंचांग के पांच अंग
1. तिथि
हिंदू कैलेंडर चंद्रमास पर आधारित है। जिसमें दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष होता है। यह 15-15 दिनों का होता है। विक्रम संवत गणना के अनुसार ‘चन्द्र रेखांक’ को ‘सूर्य रेखांक’ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है।
ये 15 तिथियां क्रमशः प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या/पूर्णिमा है।
2. नक्षत्र
आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है।
ये 27 नक्षत्र क्रमशः अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और रेवती नक्षत्र हैं।
3. वार:
हिंदू कैलैंडर में वार का आशय दिन से है। अंग्रेजी और हिंदी दोनों कैलेंडर के सप्ताह में 7 दिन हैं।
ये 7 वार क्रमशः रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार है।
4. योग:
नक्षत्र की तरह योग की संख्या भी 27 है। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है।
ये 27 योग क्रमशः विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति है।
5. करण:
हिंदू पंचांग के अनुसार एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में, कुल 11 करण होते हैं।
ये 11 करण क्रमशः बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न है।
Note- सभी मुहूर्त और पंचांग का जानकारी वाराणसी (काशी) शहर के अनुसार दी गई है।
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