Hariyali Teej 2024: हरियाली तीज कब है? जानिए इस पर्व का महत्व

श्रावन के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 07 अगस्त 2024 के दिन यह पर्व मनाया जाएगा।

Hariyali Teej 2024: भारत देश की परम्पराओं का इतिहास बहुत ही विशाल और प्राचीन है। भारत में एक ही नही अनेक संस्कृति एक साथ निवास करती हैं। यहाँ कभी किसी संस्कृति का तो कभी किसी संस्कृति का कोई ना कोई उत्सव होता रहता है।

भारत देश की सबसे प्राचीन संस्कृति सनातन संस्कृति है। सनातन संस्कृति का पालन करने वालों को हिन्दू माना जाता है। 

हिन्दू धर्म में हर ऋतु और मौसम के अनुसार अलग अलग पर्व और उत्सव मनाये जाते हैं। श्रावन मास में आने वाला हरियाली अमावस्या के बाद पहला पर्व हरियाली तीज का है। जन साधारण की भाषा में कहा जाता है कि आई तीज और बो गई बीज… 

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि तीज के बाद से त्योहारों का सीजन शुरू हो  जाता है जो होली तक चलता है। होली पर्व के लिए मान्यता है कि, आई होली भर कर ले गई झोली। ऐसा देखा जाता है, होली के बाद कोई बड़ा पर्व या उत्सव शेष नही रह जाता। फिर से तीज की प्रतीक्षा की जाती है।

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तीज का त्योहार रिश्तों को मजबूत करने का त्योहार है। उत्तर भारत में इस त्योहार से पहले भाई अपनी बहन के घर जाता है। जिसमे वो बहुत की खाने की वस्तु और वस्त्र आदि की भेंट उपहार के रूप में लेकर जाता है। इस से भाई बहन के रिश्तों में मजबूती देखी जाती है। 

इसी महीने के अंत में रक्षा बंधन के पर्व के रूप में बहन भी अपने भाई के घर जा कर उस से अपनी रक्षा के लिए उसे रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधती है। ये हिन्दू धर्म की खूबसूरती का प्रतीक है। 

हरियाली तीज कब है (Hariyali Teej 2024)

श्रावन के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 07 अगस्त 2024 के दिन मनाया जा रहा है। इस बार 06 अगस्त के इन शाम 07:51 मिनट पर तृतीया तिथि की शुरुआत होने से 07 अगस्त के दिन सुबह सूर्योदय के समय तृतीया तिथि रहने से इसी दिन त्योहार मनाया जाएगा। 

तीज के लिए शुभ मुहूर्त

07 अगस्त के दिन दोपहर 12:00 बजे से 12:53 मिनट तक विशेष शुभ मुहूर्त है।

  • सुबह 07:27 से 09:07 तक अमृत काल
  • सुबह 10:47 से 12:27 तक शुभ काल
  • दोपहर 15:46 से 17:26 तक चर काल
  • शाम 17:26 से 19:06 तक लाभ काल  

कैसे मनाएं तीज का त्योहार

त्योहार का पहला दिन “दर्शन दिवस” ​​के रूप में जाना जाता है। जब महिलाएं अपने परिवार से मिलने जाती हैं, पार्वती देवी की पूजा करती हैं। दूसरा दिन “रोजू दिवस” के रूप में मनाया जाता है, तब महिलाएँ व्रत रखती हैं और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। तीसरा दिन “चार्लो दिवस” के रूप में मनाया जाता है, इस दिन महिलाएँ अपना व्रत खोलती हैं और अपने परिवार के साथ उत्सव मनाती हैं।

हरियाली तीज प्रकृति की सुंदरता, विवाह की खुशी और महिलाओं की ताकत का उत्सव है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो महिलाओं को एक साथ लाता है।

हरियाली तीज का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है, कि हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। कहा जाता है कि कठोर तपस्‍या के बाद माता पार्वती का विवाह भगवान शंकर से हुआ था। मां पार्वती की तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर भगवान शंकर ने श्रावण मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को माता पार्वती से विवाह किया।

तभी से यह प्रथा है, कि इस महीने में महिलाएं अपने मायके चली जाती है। इस त्योहार के दिन उनके पति उन्हें मायके से लेकर आते हैं। जिसे शिव और पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है। ऐसा प्रचलन अलग-अलग रीति रिवाजों के अनुसार होता है।

तीज से जुड़ी कथा

यह त्योहार पार्वती और शिव के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन देवी पार्वती लंबे समय के अलगाव के बाद अपने पति भगवान शिव से मिली थी। 

इस त्योहार के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन माता की पूजा कर के महिलाएं सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

इस दिन महिलाएं अपने पति की भलाई और लंबी उम्र के लिए भी प्रार्थना करती हैं। हरियाली तीज का ये त्योहार बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है महिलाएं अपने बेहतरीन परिधान पहनती हैं। खुद को गहनों से सजाती हैं, और अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं।

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