सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram
Siddha Kunjika Stotram: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए माता की विशेष पूजा की जाती है। मां की उपासना करने के लिए धर्म ग्रंथों में कई मंत्रों का उल्लेख है परन्तु सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
अगर आप भी मां दुर्गा के अनन्य भक्त हैं और अपने जीवन में मां दुर्गा की असीम कृपा और जीवन में उन्नति चाहते हैं तो आपको नियमित रूप से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
तो आइए, VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ आचार्य देव से सिद्ध कुन्जिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram) का महत्व और लाभ के विषय में जानते हैं।
माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए माता की पूजा वर्ष में 2 बार नवरात्र में मुख्य रूप से की जाती है। 2 बार गुप्त नवरात्र के रूप में की जाती है। मुख्य प्रत्यक्ष नवरात्र के रूप में आश्विन और चैत्र में आते हैं। आषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्र के रूप में आते हैं।
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पूजा का नाम | मंदिर (स्थान) |
ऋण मुक्ति पूजा | ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन) |
माता कामाख्या महापूजा | माता कामाख्या शक्तिपीठ (गुवाहाटी) |
शनि साढे़ साती | शनि शिंगणापुर देवस्थानम, महाराष्ट्र |
लक्ष्मी कुबेर महायज्ञ और रुद्राभिषेक | जागेश्वर कुबेर मंदिर, अल्मोड़ा, उत्तराखंड |
राहु ग्रह शांति पूजा | जरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज |
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का महत्व
माँ दुर्गा की पूजा में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का विशेष महत्व है। परन्तु ये एक ऐसा स्तोत्र है, जिसमें इसे गुप्त रखने के लिए कहा गया है। प्रश्न ये ही कि गुप्त किस से रखा जाए, तो दर्शन के विद्वानों ने बताया है, कि जो माँ दुर्गा के प्रति श्रद्धा नहीं रखते ऐसे भगतों को माता के इस सिद्ध स्तोत्र की दीक्षा नहीं देनी चाहिए। जो इसके प्रति श्रद्धा ही नहीं रखता वो इसका पाठ ही नहीं करेगा।
माता की पूजा में गुप्त रूप से की जाने वाली पूजा का बहुत महत्व है। माँ दुर्गा की जो पूजा गुप्त रूप से की जाती हैं, उसका विशेष फल प्राप्त होता है। इसी क्रम में सिद्ध कुन्जिका स्तोत्र, माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विशेष स्तोत्र है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना ऐसी क्रिया है, जिसके द्वारा जीवन की किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस स्तोत्र के पाठ में कुछ विशेष सावधानी बरती जाती हैं। उनका ध्यान रखते हुए ही अगर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ किया जाए तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है।
- प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- लाल रंग के आसन पर बैठें।
- गुरु का ध्यान कर के पूजा का संकल्प करें।
- फूल, चावल और उपलब्ध उपचारों से माँ भगवती का पूजन करें।
- माता को पञ्च मेवे का भोग लगाएं।
- मीठे पान और मेवे की मिठाई का भोग लगाएं।
- निवारण मंत्र का जाप करें।
- 108, 551, 1100 की संख्या में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram)
शिव उवाच ||
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।
|| अथ मंत्र ||
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे सिद्धकुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।
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