Bada Mangal 2024: बड़ा मंगल के दिन कैसे करें हनुमान जी पूजा, यहां जानें
Bada Mangal 2024: इस वर्ष पहला बड़ा मंगल 28 मई को पड़ रहा है। इसके अलावा यह 4, 11 और 18 जून को पड़ेगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह पर्व ज्येष्ठ माह के प्रत्येक मंगवार के दिन मनाया जाता है।
बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी की व्रत-पूजा अचूक मानी गई है। भक्त इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना के बाद चौराहों पर जगह-जगह पंडाल लगाकर भंडारे का आयोजन करते हैं और हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
तो आइए, इस ब्लॉग में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य देव से जानते हैं, बड़ा मंगल का महत्व क्या है और इस दिन हनुमान जी की पूजा कैसे करें?
विशेष तौर पर बड़ा मंगल का पर्व मध्य भारत में मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर भक्त इसे बूढ़वा मंगल के नाम से भी जानते हैं। इस दिन हुनमान जी के मंदिरों में सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।
कब-कब है 2024 में बड़ा मंगल
ज्येष्ठ का पहला बड़ा मंगल – 28 मई 2024
ज्येष्ठ का दूसरा बड़ा मंगल – 04 जून 2024
ज्येष्ठ का तीसरा बड़ा मंगल – 11 जून 2024
ज्येष्ठ का चौथा बड़ा मंगल – 18 जून 2024
बड़ा मंगल का महत्व (Bada Mangal Significance)
मान्यता है कि इस दिन बजरंगबली को चोला चढ़ाने, दान पुण्य करने से हर तरह की बाधा दूर हो जाती है। बड़ा मंगल के दिन विधि विधान से हनुमान जी की पूजा करने से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
ज्येष्ठ माह के बड़ा मंगल का संबंध महाभारत और रामायण से जुड़ा है। मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह के मंगलवार को भगवान हनुमान पहली बार भगवान राम से मिले थे।
अन्य मान्यताओं के अनुसार एक बार भीम को अपनी शक्तियों पर बड़ा घमंड हो गया था। तब उन्हें सबक सिखाने के लिए हनुमानजी ने एक बूढे़ वानर का रूप धारण करके उनके घमंड को तोड़ा था। तभी से इस दिन को बुढ़वा मंगल के नाम से मनाया जाने लगा।
ऐसे करें हनुमान जी की पूजा, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति
- बड़ा मंगल के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवा वस्त्र धारण करें।
- लाल रंग के स्वच्छ आसन पर बैठें।
- मंदिर को साफ करके दीप प्रज्वलित करें।
- संध्या वंदन करें एवं हनुमान का ध्यान विशेष रूप से करें।
- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की प्रतिमा विराजमान करें।
- हनुमान जी को सिंदूर एवं चमेली के तेल का लेपन करें।
- चांदी का वर्क अर्पण करें।
- फूल, चावल एवं सामर्थ्य अनुसार उपलब्ध साधनों से हनुमान जी का पूजन करें।
- घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- हनुमान जी को सवामणि का भोग लगाएं।
- अपनी श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में लाल चीजों का दान करें।
बड़े मंगल पर करें इन मंत्रों का जाप
हनुमान मंत्र (Hanuman Mantra)
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः
यश-कीर्ति की प्राप्ति के लिए मंत्र
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय
प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
शत्रु पराजय के लिए हनुमान मंत्र
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय
रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति
भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।
बड़ा मंगल के दिन करें ये उपाय हर काम में मिलेगी सफलता
- इस दिन बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं।
- हनुमान जी को लाल वस्तुएं अर्पण करें।
- हनुमान जी को चमेली का तेल, सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाएं।
- हुनमान जी को मीठे पान का भोग लगाएं।
- मंदिर के बाहर बैठे गरीब लोगों को मीठे चावल बांटे।
इन उपायों को करने से भक्तों के जीवन में संबंधों में सुधार आता है। घरेलू झगड़े शांत होते हैं। भूमि से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है। जो युवा सेना में नौकरी का सपना देखते हैं उनके सपने पूरे होते हैं। राजनीति से जुड़े लोगों को नेतृत्व प्राप्त होता है। सामाजिक गतिविधियों से जुड़े लोगों को सम्मान की प्राप्ति होती है।
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
हनुमान चालीसा
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार……..
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेउ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तें काँपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
ऐसे ही सनातन धर्म की व्रत कथा, त्योहार आदि महत्वपूर्ण जानकारी के लिए वामा ब्लॉग पढ़ें।