Shani Dosh Upay: शनि की साढ़े साती का प्रभाव होगा कम, करें ये उपाय
Shani Dosh Upay: जब क्रूर ग्रहों की बात आती है तो सबसे पहले शनि का नाम आता है, क्योंकि लोगों के बीच शनि एक डर है। शनि बहुत क्रूर ग्रह है लोगों में ऐसी अवधारणा है।
शनि से लोग इस कदर डरते हैं, कि शनिवार के दिन शनि की धातु लोहा खरीदने से भी डरते हैं। परन्तु शनि ग्रह न्याय के देवता हैं। इनके प्रभाव से सबको क्रूर फल नहीं मिलता। कुण्डली के अनुसार शनि का फल अलग अलग होता है।
कुण्डली के अनुसार जब शनि के साढ़े साती शुरू होती है तो शनि का विशेष शुभ-अशुभ फल प्राप्त होता है।
तो आइए VAMA के ज्योतिषाचार्य आचार्य देव जी से जानते हैं, किसके लिए कैसा होता है शनि का प्रभाव और शनि दोष को दूर करने के उपाय (Shani Dosh Upay)
सौर मंडल के 7 ग्रहों में शनि कक्षा के अनुसार सबसे दूर के ग्रह हैं। सूर्य का उतना प्रकाश शनि ग्रह तक नहीं जाता जितना पृथ्वी तक आता है। इस लिए सूर्य का रंग काला माना जाता है। शनि के द्वारा सूर्य की परिक्रमा का समय भी सबसे अधिक होता है। शनि ग्रह सूर्य की परिक्रमा ढाई वर्ष में पूरी होती हैं। ये समय लगभग 910 दिन का समय होता है।
साढ़े साती कब देती है अशुभ फल
जन्म कुण्डली में शनि का शुभ फल होने पर या शनि का शुभ ग्रहों के साथ होने पर, शनि की महादशा या अंतर दशा के समय में शनि की साढ़े साती का काल आने पर, शुभ फल कम मिलता है, जन्म कुण्डली में शनि चन्द्र अशुभ ग्रहों के साथ होते हैं तो साढ़े साती और भी अशुभ फल देती है।
धन की हानि, चिंता, झगड़ा, कार्य में विघ्न, रोजगार की कमी, कलह, पशु पीड़ा, अवनति जैसी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, अगर कुण्डली में शनि अनिष्ट हो मारकेश या त्रिक भाव का कारक हो तो शनि की साढ़े साती और भी अधिक अनिष्ट फल देती है,
साढ़े साती कब देती है शुभ फल
शनि की साढ़े साती केवल अशुभ ही नहीं शुभ फल भी देती है, इसकी दशा अन्तर शुभ फल देती है जिसमे गाड़ी, बंगला, नौकरी, व्यापार वृद्धि, सुख की सम्पति की प्राप्ति होती है।
अगर शनि लग्न के स्वामी हों, पंचम भाव के स्वामी हों, नवम भाव के स्वामी हों, और कुण्डली के 3, 6, 11 भाव के स्वामी हों तो तो ऐसी स्थिति में शनि का समय शुभ फल देता है,
साढ़े साती किसे कहते हैं
“द्वादशे जन्मगे राशौ द्वितीये च शनैश्चरः ।
सार्धानि सप्तवर्षाणि तदा दुःखैर्युतो भवेत्” ।।
किसी की भी जन्म कुण्डली के अनुसार चन्द्र राशि से आगे पीछे और चन्द्र राशि में गोचर के शनि के आने पर साढ़े साती होती है, ना केवल जन्म राशि अपितु नाम राशि के अनुसार भी शनि की साढ़े साती का विचार किया जाता है, शनि की शुभ अशुभ स्थिति के अनुसार इसका फल होता है,
“राशौ द्वादशे मूर्छिन जन्महृदये पादौ द्वितीये शनिः ।
नानाक्लेशकरो हि दुर्जनभयं पुत्रान् पशून् पीडयेत्” ।।
शनि का ढैय्या क्या कहता है
“ढैय्या तु प्रददाति वै रविसुतश्चेदाशेश्चतुर्थाष्टमे ।
व्याधिं बन्धुविरोध-विदेशगमनं क्लेशं च डचन्ताधिकम् ।।”
जिस प्रकार शनि की साढ़े साती अपना शुभ और अशुभ फल देती है उसी प्रकार शनि के ढैय्या का फल भी होता है, जन्म राशि से चतुर्थ और अष्टम भाव में शनि का गोचर आता है तो उसे शनि का ढैय्या का समय कहा जाता है।
ढैय्या के शुभ और अशुभ होने में गुरु शुक्र के प्रभाव से शुभ और मंगल शनि के प्रभाव से अशुभ होता है,
“तेषामतीव शुभदौ गुरु-दानवेज्यौ।
क्रूरौ दिवाकरसुत-क्षितिभौ भवेताम् ।।”
(फलितमार्त्तण्ड)
राशि के लिए ढैय्या और साढ़े साती का समय
शनि का गोचर कुम्भ राशि में होने से कर्क और वृश्चिक राशि वालों के लिए ढैय्या का समय रहेगा और मकर कुम्भ मीन राशि वालों के लिए साढ़े साती का समय रहेगा।
राशि | ढैय्या या साढ़े साती | पाद | साढ़े साती | शुभ-अशुभ फल | |
किस अंग पर | चढ़ती या उतरती | ||||
कर्क | ढैय्या | रजत | – | – | व्यापार में प्रगति, धन-धान्य समृद्धि, सम्मान प्राप्त हो, सुख सम्पदा लाभ, घर में मांगलिक काम |
वृश्चिक | ढैय्या | सुवर्ण | – | – | निजीजन- विरोध, शत्रु वृद्धि, रोग वृद्धि, धन का नुकसान |
मकर | साढ़े साती | सुवर्ण | पाद | पाद | गृह कलेश, शत्रु वृद्धि, रोग, परेशानी, धन का नुक्सान |
कुम्भ | साढ़े साती | ताम्र | हृदय | – | धन-धान्य वृद्धि, स्त्री-पुत्रसुख, सम्पत्ति लाभ, शारीरिक लाभ, काम में वृद्धि |
मीन | साढ़े साती | रजत | मस्तक | चढ़ती | व्यापार में प्रगति, धन-धान्य की वृद्धि, सुख सम्पदा लाभ, प्रतिष्ठाप्राप्ति, सरकारी लाभ, घर में मांगलिक कार्य |
राशि के अनुसार शनि के उपाय (Shani Dosh Upay)
कर्क राशि
लंगड़े बूढ़े गरीब को वस्त्र दान करें, धन दान करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों को शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए। और शनिवार के दिन काली वस्तुओं का दान करें।
मकर राशि
शनिवार के दिन काले उड़द की डाल बहते पानी में प्रवाहित करें। लोहे का दान करें।
कुम्भ राशि
शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करें, हनुमान चलीसा का पाठ करें, गरीब बच्चों को पढ़े की सामग्री दें।
मीन राशि
माँ दुर्गा की पूजा करें, माता को मीठा पान भेंट करें, लाल वस्त्र का दान करें। नीलम रत्न धारण करें।
शनिजन्य नेष्टफल शान्ति के लिए वैदिक मन्त्र
“ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये, शंय्योरभिस्त्रवन्तु नः ।
शं शनये नमः ॐ ।।”
शनि का बीज मन्त्र –
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः ।”
शनिजन्य नेष्टफल-शान्त्यर्थ शनैश्चर-स्तोत्र
पिप्पलाद उवाच –
“ॐ नमस्ते कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तु ते ।।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोऽस्तु ते ।।
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो ।।
नमस्ते मन्दसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तु ते।
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च।।”
ये तो थी, शनि की साढ़े साती का प्रभाव और उपाय (shani dosh ke upay) की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और अनुष्ठानों की जानकारी के लिए वामा (Vama) से जुड़े रहें।
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