मां बगलामुखी की आरती । Maa Baglamukhi Ki Aarti
Maa Baglamukhi ki Aarti: मां बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। मां बगलामुखी, पीताम्बरा नाम से भी प्रचलित हैं। बड़े-बड़े नेता, राजनेता माता के दर पर माथा टेकने आते हैं।
कानूनी लड़ाई, परीक्षा आदि के लिए मां बगुलामुखी की पूजा करने से सफलता मिलती है। बगुलामुखी मां वाक सिद्धि में विजय दिलाने वाली हैं। बगला का अर्थ जीभ से है, अर्थात जुबान को नियंत्रित रखने वालीं देवी।
बगलामुखी का यह स्वरूप उग्र माना जाता है। मां को पीले वस्त्र, पीले फूल बहुत प्रिय हैं। वह गदा धारण करती हैं।
गुप्त नवरात्रों के समय दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इस दौरान तांत्रिक, श्मशान में पूजा कर मां को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। मां बगलामुखी की साधना बहुत कठिन होती है। मगर श्रद्धा से आराधना करने पर मां अपने भक्तों पर प्रसन्न भी बहुत जल्दी होती हैं।
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तो आइए, मां बगलामुखी की आरती (Maa Baglamukhi ki Aarti) का पाठ करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां बगलामुखी की आरती (Maa Baglamukhi ki Aarti)
जय जय श्री बगलामुखी माता,
आरती करहूँ तुम्हारी ।
जय जय श्री बगलामुखी माता,
आरती करहूँ तुम्हारी ।
पीत वसन तन पर तव सोहै,
कुण्डल की छबि न्यारी ।
कर कमलों में मुद्गर धारै,
अस्तुति करहिं सकल नर नारी ।
जय जय श्री बगलामुखी माता
चम्पक माल गले लहरावे,
सुर नर मुनि जय जयति उचारी ।
जय जय श्री बगलामुखी माता
त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब,
भक्ति सदा तव है सुखकारी ।
जय जय श्री बगलामुखी माता
पालन हरत सृजत तुम जग को,
सब जीवन की हो रखवारी ।।
जय जय श्री बगलामुखी माता
मोह निशा में भ्रमत सकल जन,
करहु ह्रदय महँ, तुम उजियारी ।।
जय जय श्री बगलामुखी माता
तिमिर नशावहू ज्ञान बढ़ावहु,
अम्बे तुमही हो असुरारी ।
जय जय श्री बगलामुखी माता
सन्तन को सुख देत सदा ही,
सब जन की तुम प्राण प्यारी ।।
जय जय श्री बगलामुखी माता
तव चरणन जो ध्यान लगावै,
ताको हो सब भव – भयहारी ।
जय जय श्री बगलामुखी माता
प्रेम सहित जो करहिं आरती,
ते नर मोक्षधाम अधिकारी ।।
जय जय श्री बगलामुखी माता
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