Tarpan Mantra: तर्पण विधि मंत्र के साथ करें पूर्वजों का श्राद्ध
Tarpan Mantra: 17 सितम्बर, 2024 से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। आपको बता दें, हर साल भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध शुरू होते हैं, जिसमें तर्पण द्वारा पितरों को अन्न-जल अर्पित किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान किए गए तर्पण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पितृ दोष भी दूर होता है जिसे ज्योतिष शास्त्र में अशुभ फल देने वाला माना गया है।
अगर आपके पितर प्रसन्न हैं तो आपको जीवन में आने वाली कई बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पितरों की शान्ति के लिए तपर्ण मंत्र (Tarpan mantra) पढ़ने से श्राद्ध विधिवत पूरा होता है।
हरिद्वार, गया,और वाराणसी में ऑनलाइन श्राद्ध पूजा बुक करें – यहां क्लिक करें
इस ब्लॉग में हम आपको तर्पण विधि मंत्र (Tarpan Vidhi Mantra) बता रहे हैं, जिसका उच्चारण आप श्राद्ध 2024 के दौरान करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं। पितृ तर्पण विधि मंत्र pdf भी इस ब्लॉग में दिया गया है जिसे आप आसानी से शेयर कर सकते हैं और अपने फोन में सेव करके भी रख सकते हैं।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि तर्पण क्या होता है?
तर्पण विधि का अर्थ (Tarpan Vidhi Meaning)
“तर्पण” शब्द संस्कृत के शब्द “तृप्ति” से बना है, जिसका अर्थ है संतुष्ट करना या तृप्त करना। तर्पण विधि एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों (पूर्वजों) को जल अर्पित कर उनकी आत्मा की तृप्ति और शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
ये प्रार्थना श्राद्ध पक्ष में की जाती है, जो सनातन धर्म में पितरों के स्मरण के लिए 15 दिन निर्धारित हैं।
इस विधि में पवित्र जल, तिल, और अन्य धार्मिक सामग्री का उपयोग किया जाता है, और विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हुए जल अर्पित किया जाता है।
अब पहले तर्पण की विधि जान लेते हैं, उसके बाद तर्पण मंत्र आप पढ़ सकते हैं।
- सबसे पहले शुद्ध स्थान पर बैठकर पूर्वजों का ध्यान करें।
- अपने हाथ में जल, तिल, और कुशा(दूब) लेकर पितरों के नाम और गोत्र का उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें।
- तिल, दूध, जौ, और कुशा के साथ गंगा जल का प्रयोग करें।
- तर्पण करते समय तर्पण मंत्रों का जाप करें।
- जल देने की विधि तीन बार दोहराई जाती है, जिससे पितरों को तृप्ति मिलती है।
ये भी पढ़ें : Pitra Paksha 2024: श्राद्ध कब शुरु होंगे? जानें पितृ पूजा की विधि और महत्व
पितरों के लिए तर्पण मंत्र (Tarpan Mantra in Sanskrit)
पितरों के तर्पण के लिए सबके लिए अलग-अलग मंत्र पढ़ने का विधान है।
सबसे पहले जानते हैं कि दादाजी के तर्पण के लिए कौन सा मन्त्र पढ़ा जाता है।
दादाजी के लिए तर्पण मंत्र (Grand Father Tarpan Mantra in Sanskrit)
गोत्रे (गोत्र का नाम) अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
पिताजी के लिए तर्पण मंत्र (Father Tarpan Mantra in Sanskrit)
गोत्रे (गोत्र का नाम) अस्मतपिता (पिता जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
दादी जी के लिए तर्पण मंत्र (Grand Mother Tarpan Mantra in Sanskrit)
गोत्रे (गोत्र का नाम) पितामां (दादी का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
माता जी के लिए को तर्पण मंत्र (Mother Tarpan Mantra in Sanskrit)
गोत्रे (गोत्र का नाम) मां (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
इस प्रकार से मंत्र पढ़कर अगर आप श्राद्ध संपन्न करते हैं तो परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। तर्पण के समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। तर्पण के नियम हम आपको बता देते हैं।
तर्पण के नियम (Tarpan ke Niyam)
पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए जल्दबाजी में किया गया तर्पण, शास्त्रों में अनुचित बताया गया। तर्पण हमेशा पूर्ण श्रद्धा के साथ ही करना चाहिए। तर्पण के समय नीचे लिखी बातों का ध्यान रखें।
- तर्पण हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करें।
- तर्पण के समय चींटी पर पैर न रखें, ध्यान से ये विधि करें।
- साधारण जल में गंगाजल जरुर मिला लें।
- तर्पण के बाद पितरों के नाम से वस्त्रदान जरुर करें।
- तर्पण के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
- प्रातःकाल में किया गया तर्पण उत्तम होता है।
तर्पण विधि मंत्र pdf
इस ब्लॉग में आपने जाना कि तर्पण विधि मंत्र कौन से हैं और इससे कैसे पूर्वजों की तृप्ति सम्भव है। आप इस तर्पण विधि मंत्र pdf सहेजकर रख सकते हैं। साथ ही इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें।