Shri Yantra : श्रीयंत्र क्या है? इससे कैसे बदल सकता है आपका जीवन?
Shri Yantra: यह अच्छी बात है कि हम आजकल अपने बहुत से कामों के लिए टेक्नोलॉजी पर निर्भर हैं। वैज्ञानिक ज्ञान को सर्वोपरी मानते हैं लेकिन कुछ जटिल आध्यात्मिक विद्याएं और उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। ब्रह्मांड में अनेक तरह की ऊर्जाओं का प्रसार है। हमारे वैदिक मनीषियों के पास इन ऊर्जाओं को आकर्षित करने का ज्ञान था। इसके लिए उन्होंने कई तरह के यंत्रों को विकसित किया।
उनके द्वारा स्थापित यह आध्यात्मिक ज्ञान, मन, शरीर और आत्मा के लिए आज भी लाभकारी है। हम और आप जैसे सामान्य लोग कई सदियां बीत जाने पर भी इन शक्तिशाली यंत्रों से अपना जीवन बदल सकते हैं। ऐसे ही सिद्ध यंत्रों की जानकारी की हम एक पूरी श्रृंखला लेकर आ रहें हैं। आज के इस ब्लॉग में हम श्रीयंत्र से जुड़ी समस्त जानकारी आपको दे रहे हैं। श्रीयंत्र क्या है (Shri Yantra Meaning) और इसका क्या मतलब है , यह सब जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये यंत्र क्या होते हैं?
यंत्र क्या होते हैं (Yantra meaning in Hindi)
यंत्र का शाब्दिक अर्थ होता है मशीन, लेकिन सनातन धर्म में ये विशेष तरह के ज्योमैट्रिक डिजाइन होते हैं। इन पर कुछ अक्षर या अंक भी लिखे हो सकते हैं। यंत्रों का प्रयोग अलौकिक शक्तियों की पूजा करने के लिए किया जाता है। हर यंत्र अलग होता है और उस अलौकिक शक्ति से जुड़ा होता है जिसके लिए वो बनाया गया है। इनका प्रयोग कार्यसिद्ध करने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। आसान शब्दों में कह सकते हैं कि यंत्र ऐसे उपकरण (टूल्स) हैं जो आपको देवी-देवताओं से जोड़ सकते हैं। सिर्फ हिन्दू धर्म में इनका उपयोग नहीं किया जाता बल्कि बौद्ध धर्म में भी अलग प्रकार के यंत्रों का बहुत महत्व माना गया है।
हम दुनिया भर के यंत्रों में सबसे शक्तिशाली, महायंत्र के बारे में आज आपको बता रहे हैं जिसका नाम है श्रीयंत्र। आइए, जानते हैं श्रीयंत्र क्या है?
श्रीयंत्र क्या है (Sri Yantra Explained in Hindi)
श्रीयंत्र को श्रीचक्र, नवचक्र और महामेरु के नाम से भी जाना जाता है। तांत्रिक विद्वानों के अनुसार, यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र यंत्र है। यह यंत्र श्री विद्या(देवी) उपासना में बहुत उपयोगी है। इसे सभी यंत्रों का राजा माना गया है। श्रीयंत्र एक जटिल ज्यामितीय आकृति है, जिसकी अधिष्ठात्री देवी भगवती त्रिपुर सुंदरी हैं। त्रिपुर सुंदरी देवी, भगवती जगदम्बा का ही एक महाविद्या रूप हैं।
श्रीयंत्र की संरचना बहुत ही विशेष और गूढ़ है। इसके केन्द्र में एक बिंदु होता है, जिसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति का प्रतीक माना जाता है। इस बिंदु के चारों ओर 9 आपस में बंधे त्रिभुज होते हैं, जो नौ दुर्गाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस यंत्र की संरचना ब्रह्मांड की ऊर्जा और शक्तियों से भरी होती है। ये शक्तियां श्रीयंत्र धारण या स्थापित करने वाले व्यक्ति को को दिव्य ज्ञान और सुख समृद्धि देती हैं।
नीचे देखें श्रीयंत्र फोटो (Shri Yantra Photos)
श्रीयंत्र के लाभ क्या हैं (What are the benefits of Sri Yantra)
श्रीयंत्र से निकलने वाली डिवाइन वाइब्रेशन्स आपके जीवन को पूरी तरह से बदल सकती है। इसको धारण करने के या स्थापित करने के अनगिनत फायदे हैं। श्रीयंत्र के लाभ कुछ इस प्रकार से हैं –
- क्योंकि श्रीयंत्र की अधिष्ठात्री खुद आदिशक्ति त्रिपुर सुन्दरी हैं तो ये व्यक्ति को निर्भय बना देता है।
- श्रीयंत्र जीवन में शांति लेकर आता है। आप अगर स्ट्रेस से जूझ रहे हैं तो ये अत्यंत उपयोगी है।
- इससे आपका ध्यान एकाग्र होता है। पढ़ने वाले बच्चों का फोकस बढ़ता है।
- यह अध्यात्मिक प्रगति में सहायक है, आपके मन को पवित्र रखता है।
- श्रीयंत्र से गृह क्लेश शान्ति मिलती है, आपसी प्रेम बढ़ता है।
- धनहानि से बचाता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- इससे सभी प्रकार आध्यात्मिक और भौतिक सुख मिलते हैं
श्रीयंत्र कितने प्रकार के होते हैं (Types of Sri Yantra)
धातु के आधार पर तो श्रीयंत्र कई प्रकार के होते हैं जैसे पारद श्रीयंत्र, स्फटिक श्रीयंत्र या भोजपत्र पर बना श्रीयंत्र इत्यादि। श्रीयंत्र गले में धारण करने के लिए लॉकेट के रूप में भी मिलते हैं। अगर आप इन्हें घर में स्थापित करना चाहते हैं तो आकार के आधार पर श्रीयंत्र 3 प्रकार के आते हैं
- भूपृष्ठ श्रीयंत्र
- कच्छप पृष्ठ श्रीयंत्र
- मेरु पृष्ठ श्रीयंत्र
आप घर में इनमें से कोई यंत्र लाकर स्थापित कर सकते हैं, सभी यंत्र एकसमान रूप से शक्तिशाली होते हैं। खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें।
श्रीयंत्र धारण या स्थापित करने की विधि क्या है?
श्रीयंत्र स्थापित करने और धारण करने से पहले उसको अभिमंत्रित करना बहुत जरुरी है। आपको श्रीयंत्र स्थापित करने से पहले, किसी ज्योतिषी विद्वान से शुभ मुहूर्त जरुर जान लें। नवरात्रि में किसी भी दिन श्रीयंत्र अपनाया जा सकता है। नीचे लिखी विधि से आप श्रीयंत्र धारण या स्थापित कर सकते हैं।
- सुबह जल्दी स्नान करके साफ़ कपड़े पहनें।
- श्रीयंत्र को गंगाजल और पंचामृत से शुद्ध करें।
- ईशान कोण में लाल कपड़े पर श्रीयंत्र को रखें, लॉकेट में है तो पहन लें।
- नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जाप करें।
ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्मी नमः।।
- मंत्र के जाप के लिए कमलगट्टे की माला से प्रयोग करें।
- ध्यान रखें कि श्रीयंत्र स्पष्ट और सही बना होना चाहिए।
- श्रीयंत्र के आस-पास स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें।
तो हमारे इस ब्लॉग में आपने जाना कि श्रीयंत्र की स्थापना से हर प्रकार का सुख कैसे हासिल किया जा सकता है। यह आपके जीवन में ख़ुशी और समृद्धि भर सकता है। अगर आप अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं तो श्रीयंत्र घर लाएं और खुद इसके चमत्कार देखें।