Maa Laxmi Chalisa: श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ कैसे करें? जानें विधि और लाभ
Maa Laxmi Chalisa: लक्ष्मी माता जगत की माता मानी जाती हैं। लक्ष्मी माता विष्णु जी की अर्धांगिनी के रूप में क्षीरसागर में निवास करती हैं। महालक्ष्मी कमल के आसन पर बैठी हैं। विष्णु जी की आराधना करने वाले माता की गोद में रहते हैं। जिस पर माता लक्ष्मी की कृपा होती है उसे घर में सभी प्रकार की सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है।
विष्णु जी की आराधना करने से मनुष्य को धन-धान्य के साथ आरोग्य और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति लक्ष्मी चालीसा का पाठ करके मां लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं। उनके जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं रह जाती।
तो चलिए जानते हैं, लक्ष्मी चालीसा पाठ की विधि और लाभ
लक्ष्मी चालीसा पाठ विधि (Maa Laxmi Chalisa Path Vidhi)
लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से जीवन में धन धान्य की कमी नही होती। इस पाठ को अगर विधि से किया जाए तो जीवन से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
- लक्ष्मी चालीसा का पाठ सुबह और शाम संध्या के समय करना चाहिए।
- प्रात: पाठ करने से पहले शुद्ध जल से स्नान करें।
- माँ लक्ष्मी की मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान करवाएं।
- भगवती को पीले रंग का आसान दें।
- माता को हल्दी का तिलक करें।
- लक्ष्मी माता जी को पीले फूल अर्पण करें।
- लक्ष्मी जी को मीठे पान का भोग लगाएं।
- माँ लक्ष्मी को पीले लड्डू का भोग लगाएं।
- माँ लक्ष्मी को केसर युक्त खीर का विशेष भोग लगाएं।
- शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- महालक्ष्मी जी के बीज मंत्र का जाप करें।
- माँ लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
- चालीसा पाठ करने के बाद फिर से लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
- लक्ष्मी चालीसा लक्ष्मी मंत्र जप के बाद विष्णु नाम के मंत्र की माला जाप करें।
- माता को भोग लगाएं और आरती कर के पूजा संपन्न करें।
श्री लक्ष्मी चालीसा (Shri Laxmi Chalisa)
॥ दोहा॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,
करो हृदय में वास ।
मनोकामना सिद्घ करि,
परुवहु मेरी आस ॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास,
हाथ जोड़ विनती करुं ।
सब विधि करौ सुवास,
जय जननि जगदंबिका ॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥1॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी ।
सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥2॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा ।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥3॥
तुम ही हो सब घट घट वासी ।
विनती यही हमारी खासी ॥4॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी ।
दीनन की तुम हो हितकारी ॥5॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी ।
कृपा करौ जग जननि भवानी ॥6॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी ।
सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥7॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी ।
जगजननी विनती सुन मोरी ॥8॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता ।
संकट हरो हमारी माता ॥9॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो ।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥ 10॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी ।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥11॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा ।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥12॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥13॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं ।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥14॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी ।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥15॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी ।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥16॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई ।
मन इच्छित वांछित फल पाई ॥17॥
तजि छल कपट और चतुराई ।
पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥18॥
और हाल मैं कहौं बुझाई ।
जो यह पाठ करै मन लाई ॥19॥
ताको कोई कष्ट नोई ।
मन इच्छित पावै फल सोई ॥ 20॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि ।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥21॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै ।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥22॥
ताकौ कोई न रोग सतावै ।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥23॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना ।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥24॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै ।
शंका दिल में कभी न लावै ॥25॥
पाठ करावै दिन चालीसा ।
ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥26॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै ।
कमी नहीं काहू की आवै ॥27॥
बारह मास करै जो पूजा ।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥28॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही ।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥29॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई ।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ 30॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा ।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा ॥31॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी ।
सब में व्यापित हो गुण खानी ॥32॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं ।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥33॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै ।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥34॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी ।
दर्शन दजै दशा निहारी ॥35॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी ।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥36॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में ।
सब जानत हो अपने मन में ॥37॥
रुप चतुर्भुज करके धारण ।
कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥38॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई ॥39॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी,
हरो वेगि सब त्रास ।
जयति जयति जय लक्ष्मी,
करो शत्रु को नाश ॥
रामदास धरि ध्यान नित,
विनय करत कर जोर ।
मातु लक्ष्मी दास पर,
करहु दया की कोर ॥40॥
लक्ष्मी चालीसा के लाभ (Benefits Of Maa Laxmi Chalisa)
महालक्ष्मी जी की की पूजा साधना करने से जीवन के सभी सुखो की प्राप्ति होती है। कलयुग में जीवन यापन के लिए धन की बहुत जरूरत होती है। लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है।
- लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- इस पाठ से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- लक्ष्मी चालीसा के इस पाठ से मनुष्य को आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- चालीसा का पाठ करने से मनुष्य बंधनों से मुक्त होता है।
- लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मनुष्य सब प्रकार के सुख प्राप्त करता है।
- नित्य चालीसा पाठ करने से मनुष्य को यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषी से अभी बात करें
First Consultation FREE!