Nag Panchami 2024: नाग पंचमी कब है? जानें पूजा विधि एवं मंत्र
Nag Panchami 2024: इस साल सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 15 अगस्त तक चलेगा। इस समय में शिव की पूजा के साथ ही नागों की पूजा का त्योहार भी मनाया जाता है।
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। अष्टवासु के नाम से नागों के देवता की पूजा की जाती है। सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग देवता की पूजा करने का विशेष दिन होता है।
आइए VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ आचार्य देव से जानते हैं, नाग पंचमी कब है, तारीख, पूजा मंत्र और समय की पूरी जानकारी…
नाग पंचमी 2024 कब है?
शिव की पूजा का विशेष समय सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसी महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस साल 9 अगस्त 2024 शुक्रवार के दिन नाग पंचमी मनाई जाएगी।
आइए, अब जान लेते हैं- नाग पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी 2024 पूजा मुहूर्त
सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 08 अगस्त 2024 की रात्रि 12 बजकर 36 मिनट पर होगी और 10 अगस्त 2024 को प्रात: 03 बजकर 13 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। इसके अनुसार 09 अगस्त को पूरा दिन पंचमी तिथि रहेगी।
- नाग पंचमी पूजा मुहूर्त – सुबह 05:47 – सुबह 08:27
- अवधि – 2 घंटे 40 मिनट
इसके अलावा आप दिन के अन्य शुभ मुहूर्त में भी नाग पंचमी की पूजा कर सकते हैं।
- दोपहर 11:59 से 12:53 तक अभिजीत मुहूर्त।
- शाम 07 :03 से 10:52 तक प्रदोष काल।
इन शुभ मुहूर्त में भी आप नागों की विशेष पूजा कर सकते हैं।
नाग पंचमी पूजा कैसे करें
नाग पंचमी सावन के महीने में आने वाला बहुत ही शुभ त्योहार माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। मान्यता है कि इसदिन मृत्यु के स्वामी महादेव जो मृत्युंजय महादेव हैं, उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। ये पूरा महीना महादेव को समर्पित है। इस दिन अगर नाग ना मिल सकें तो महादेव की पूजा की जा सकती है।
- महादेव का दूध से अभिषेक करें।
- महादेव को धतूरा अर्पण करें।
- नाग पंचमी के दिन महादेव को भांग अर्पण करें।
- महादेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
- महादेव का जल से अभिषेक करें।
- महादेव को आखे के फूल अर्पण करें।
नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है
सनातन धर्म में हर विषय के लिए एक पौराणिक कथा प्रचलित होती है। नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित की मृत्यु नाग देव के डंसने से हुई थी। पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उनके बेटे जनमेजय ने धरती के सभी सर्पों को समाप्त करने के लिए नाग दाह यज्ञ किया। जिसमें संसार के सारे सर्प जलने लगे, सर्पों ने अपने बचाव के लिए आस्तिक मुनि की शरण ली।
मुनि ने राजा जनमेजय को समाझाया और वो यज्ञ रुकवाया। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। उस दिन आस्तिक मुनि के कारण नागों की रक्षा हो गई। इसके बाद से नाग पंचमी पर्व मनाने की शुरूआत हुई।
मान्यता है नागों की पूजा करने से नाग श्राप के दोष से मुक्ति मिलती है। पूर्व जन्म में भी अगर किसी तरह नागों से किसी तरह का कोई दोष प्राप्त हो रहा है, तो नाग पंचमी के दिन पूजा करने से वो सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
नाग पंचमी पूजा मंत्र
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
नाग (सर्प) गायत्री
ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
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