Saraswati Mantra and Stotarm: वाकसिद्धि के लिए मंत्र और स्तोत्र पाठ करें

ज्ञान की देवी माता शारदा जीवन में कष्टों के समय में मार्ग दिखाने वाली देवी है। माता सरस्वती की कृपा से जीवन के सभी प्रकार के कष्टों का समाधान होता है।

Saraswati Mantra: ज्ञान की देवी माता शारदा जीवन में कष्टों के समय में मार्ग दिखाने वाली देवी है। माता सरस्वती की कृपा से जीवन के सभी प्रकार के कष्टों का समाधान होता है।

माँ भगवती की उपासना से जीवन का अज्ञान रूपी अंधकार दूर हो कर ज्ञान का प्रकाश दिखाई देता है।

जीवन में सबसे बड़ा शत्रु अज्ञानता का अंधकार है। अंधकार रूपी असुर पर विजय प्राप्त करने के लिए ज्ञान रूपी प्रकाश का होना जरूरी है। 

विद्यार्थी वर्ग के युवा विशेष रूप से माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। माँ सरस्वती की पूजा करने से आपको बुद्धि की प्राप्ति होती है। बुद्धि बल से जीवन की कठिनायों रूपी पहाड़ को पार किया जा सकता है।

प्रतियोगिता के इस समय में हर विद्यार्थी का सपना होता है उसे जीवन की हर परीक्षा में सफलता मिले। विद्यार्थियों की इसी इच्छा को पूरा करने में माँ सरस्वती की कृपा का होना बहुत जरुरी है। 

विद्यार्थी वर्ग के लिए VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ देव लेकर आए हैं, माँ सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र और सरस्वती अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र पाठ।

माँ सरस्वती पूजा विधि

प्रात: सूर्योदय से पहले उठ कर नित्य कर्म से निवृत हो कर माँ सरस्वती का ध्यान किया जाता है। माँ की पूजा के लिए सफेद स्वच्छ और निर्मल वस्त्र धारण करने का विधान है।

सफ़ेद आसन पर बैठ कर माता का ध्यान और पूजन किया जाता है। माँ को प्रसन्न करने के लिए स्फटिक की माला से माता के मन्त्रों का जाप किया जाता है। स्फटिक की माला गले में धारण करने का भी विधान है। माँ को बहुत सी स्तुति कर के प्रसन्न किया जाता है। 

सरस्वती ध्यान मंत्र

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता। 

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।। 

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। 

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।। 

विद्या प्राप्ति के लिए मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ सरस्वती का मूल मंत्र

ॐ ऐं वाग्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि!

तीव्र बुद्धि के लिए मंत्र

‘ओम महासरस्वते नमः’।

तेज दिमाक के लिए मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनी सरस्वती।

यादाश्त तेज करने का मंत्र

ॐ तेजोसि तेजो मयि धेहि ॐ वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि।। 

ॐ बलमसि बलम मयि धेहि ॐ ओजोसि ओजो मयि धेहि। 

ॐ मन्युरसि मन्युं मयि धेहि ॐ सहोसि सहो मयि धेहि।।

सरस्वती का बीज मंत्र

 ‘क्लीं’। 

सरस्वती के 108 नाम

सरस्वती के 108 नाम का स्तोत्र पाठ करने का अद्भुत फल बताया गया है। इसके प्रभाव से माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। माँ सरस्वती ज्ञान की देवी के रूप में पूजी जाती हैं, माता की पूजा से प्राप्त होने वाले ज्ञान के बल पर ही जीवन में उन्नति के साथ लक्ष्मी माता की कृपा की प्राप्ति भी होती है।

माता की कृपा प्राप्त होने से जीवन के सभी प्रकार के कष्टों का विनाश होता है। बुद्धि की देवी मनुष्य की बुद्धि को तेज कर के जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए योग्य बनाती है।

विद्यार्थी वर्ग के युवाओं को सरस्वती के 108 नाम के स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए।

श्री सरस्वती अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

सरस्वती महाभद्रा महामाया वरप्रदा।

श्रीप्रदा पद्मनिलया पद्माक्षी पद्मवक्त्रका ॥

शिवानुजा पुस्तकभृत् ज्ञानमुद्रा रमा परा।

कामरूपा महाविद्या महापातकनाशिनी ॥

महाश्रया मालिनी च महाभोगा महाभुजा।

महाभागा महोत्साहा दिवयाङ्गा सुरवन्दिता ॥

महाकाली महापाशा महाकारा महाङकुशा।

पीता च विमला विश्र्वा विद्युन्माला च वैष्णवी ॥

चन्द्रिका चन्द्रवदना चन्द्रलेखाविभूषिता।

सावित्री सुरसा देवी दिव्यालन्कारभूषिता ॥

वाग्देवी वसुधा तीव्रा महाभद्रा महाबला।

भोगदा भारती भामा गोविन्दा गोमती शिवा ॥

जटिला विन्ध्यवासा च विन्ध्याचल विराजिता।

चण्डिका वैष्णवी ब्राह्मी ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॥

सौदामिनी सुधामूर्तिस्सुभ्रदा सुरपूजिता।

सुवासिनी सुनासा च विनिद्रा पद्मलोचना ॥

विद्यारूपा विशालाक्षी ब्रह्मजाया महाफला।

त्रयीमूर्ती त्रिकालज्ञा त्रिगुणा शास्त्ररूपिणी ॥

शुम्भासुर प्रमथिनी शुभदा च स्वरात्मिका। 

रक्तबीजनिहन्त्री च चामुण्डा अम्बिका तथा ॥

मुण्डकायप्रहरणा धूम्रलोचनमर्दना।

सर्वदेवस्तुता सौम्या सुरासुरनमस्कृता ॥

कालरात्रि कलाधारा रूपसौभाग्यदायिनी।

वाग्देवी च वरारोहा वाराही वारिजासना ॥

चित्राम्बरा चित्रगन्धा चित्रमाल्य विभूषिता।

कान्ता कामप्रदा वन्द्या विद्याधरा सुपूजिता ॥

श्र्वेतासना नीलभुजा चतुर्वर्ग फलप्रदा।

चतुराननसाम्राज्या रक्तमध्या निरञ्जना ॥

हंसासना नीलजङघा ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका।

एवं सरस्वती देव्या नाम्नामष्टोत्तरशतम् ॥

इति।। 

श्री सरस्वती अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् संपूर्णम्