Kaal Sarp Dosh: कुंडली में है काल सर्प दोष है तो करें ये उपाय…
Kaal Sarp Dosh: अगर आपकी कुण्डली में भी काल सर्प दोष है, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। महादेव सभी कष्टों को हरने वाले हैं।
महादेव की शरण में जाने से काल सर्ष दोष से निवारण (Kaal Sarp Dosh Nivaran) और कुंडली में शुभ योग बनता है।
तो आइए, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ आचार्य देव से जानते हैं, कैसे करें शिव की पूजा जिस से दूर होगा काल सर्प दोष…
आइए, सबसे पहले काल सर्प दोष को जान लेते हैं।
ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से काल सर्प दोष को शुभ फल देने वाला योग नहीं माना गया है। इसके होने से जीवन कष्टों से भर जाता है। क्योंकि काल का अर्थ मृत्यु भी माना गया है, और सर्प का अर्थ सांप होता है।
काल सर्प को राहु केतु से जोड़ कर देखा जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से काल सर्प दोष एक ऐसा दोष है जिसके कारण जीवन संघर्ष से भर जाता है। इस दोष को दूर कर के जीवन के कष्टों को समाप्त किया जा सकता है।
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काल सर्प दोष एवं काल सर्प योग क्या है
जब जीवन में सब सामान्य चल रहा हो और अचानक कष्टों का सामना करना पड़ता है, तो सोचने का विषय होता है। सब सामान्य चलते हुए कष्टों का आना उसका कोई कारण नही दिखाई देना और भी चिंता को बढ़ा देता है। बहुत सी अदृश्य शक्तियां होती हैं जिनके कारण हमे ऐसे कष्टों का सामना करना पड़ता है।
परन्तु जब कोई कारण नहीं पता लगता है।
ज्योतिष के माध्यम से परेशानी का कारण पता किया जाए तो काल सर्प दोष इसका एक मुख्य कारण निकल कर आता है। काल सर्प दोष एक ऐसा दोष है जो पिछले जन्म के कर्मों के कारण बनने वाला दोष है। जिसका प्रभाव हमे इस जीवन में देखने को मिलता है।
जन्म कुण्डली में राहु केतु के बीच सभी ग्रहों का आना काल सर्प दोष का निर्माण करता है। ऐसे में जिस तरफ खली भाग होता है उस तरफ के भावों का फल मिलने में समस्या देखी जाती हैं। इसी को काल सर्प दोष का नाम दिया गया है।
काल सर्प योग के प्रकार
काल सर्प योग बारह प्रकार का माना गया है। आइए जानते हैं विस्तार से–
अनन्त काल सर्प योग
अनन्त नामक योग तब बनता है, जब प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है। इस योग से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और राजकीय व कोर्ट से जुड़े मामलों से परेशानी उठानी पड़ सकती हैं।
कुलिक काल सर्प योग
कुलिक नामक योग तब बनता है, जब राहु द्वितीय भाव में और केतु आठवें घर में होता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति को धन और समाज से जुडी समस्याओं के कारण कष्ट होता है। घर में कलह का माहौल बनता है।
वासुकि काल सर्प योग
वासुकि योग तब बनता है जब कुंडली में राहु तृतीय भाव में और केतु नवम भाव में होता है। इस योग से पीड़ित लोगों को भाग्य का साथ नही मिल पाता और उनका जीवन संघर्ष में बितता है। नौकरी व्यवसाय में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शंखपाल काल सर्प योग
शंखपाल नामक योग में राहु कुंडली के चतुर्थ स्थान पर और केतु दशम स्थान में हो तब यह योग बनता है। इस दोष में व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक, मां, ज़मीन, सम्बन्धियों से जुडी समयाओं का सामना करना पड़ता है।
पद्म काल सर्प योग
पद्म काल योग तब बनता है जब राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में होता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति को कहीं से अपमान होने का डर बना रहता है। सन्तान सुख प्राप्ति में भी समयाओं का सामना करना पड़ता हैं। इस योग से धन लाभ में रूकावट, उच्च शिक्षा प्राप्ति में बाधा होती है।
महापद्म कालसर्प योग
महापद्म काल सर्प योग में व्यक्ति की कुंडली के छठे भाव में राहु और केतु बारहवें भाव में होता है। इस योग से मनुष्य को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसे योग के कारण जीवन में प्रेम की प्राप्ति नही होती है।
कर्कोटक काल सर्प दोष
कर्कोटक नामक योग में राहु अष्टम स्थान में और केतु दूसरे स्थान में होता है। ऐसे योग से मनुष्य को रोजागर और शिक्षा में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हें बार बार व्यापार में नुक्सान होता है, और धन की हानि भी बार बार होती रहती है।
तक्षक कालसर्प दोष
तक्षक नामक योग की स्थिति अनन्त योग से ठीक विपरीत होती है। इसमें केतु लग्न में होता है राहु सप्तम में होता है। इस योग के होने से मनुष्य को वैवाहिक जीवन में कष्टों का सामान करना पड़ता है। निजी व्यापार लाभ नही देता और हिस्सेदारी में किए गए कार्यों में भी नुक्सान देखना पड़ता है।
शंखचूड़ कालसर्प दोष
शंखचूड़ नामक काल सर्प योग में केतु तृतीय भाव में और राहु नवम भाव में होता है। जिनकी कुण्डली में ऐसा योग होता है वो जीवन में सुख का भोग नही कर पाते। इनके जीवन में इनको पिता का साथ नही मिल पाता और व्यापार में भी बार बार नुक्सान देखना पड़ता है।
घातक कालसर्प दोष
घातक नामक योग में कुंडली में केतु चतुर्थ भाव में और राहु दशम भाव में होने से घातक नामक योग बनता है। इस योग के होने से मनुष्य को वैवाहिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा और रोजगार से जुडी परेशानी पूरी जिन्दगी बनी रहती हैं।
विषधर कालसर्प दोष
विषधर योग में केतु पंचम भाव में और राहु एकादश में होता है। इस योग के प्रभाव से मनुष्य को सन्तान प्राप्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इस योग के होने से दिल की बीमारी और आँखों की बीमारी जीवन भर परेशान करती है। इस योग के प्रभाव से उच्च विद्या प्राप्ति में बाधा आती है और यादाश्त की समस्या परेशान करती है।
शेषनाग कालसर्प दोष
शेषनाग नामक तब होता है जब मनुष्य की कुंडली में केतु छठे भाव में और राहु बारहवें स्थान पर होता है। इस योग के होने से मनुष्य को गुप्त शत्रुओं से परेशानियों का सामना करना पड़ता है, कोर्ट से जुडी समस्याओं का सामान करना पड़ता है।
काल सर्प दोष के प्रभाव
काल सर्प दोष कुण्डली में बनने वाला एक ऐसा योग है, जिसके कारण जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है। बनते हुए काम रुकने लगते हैं। चलते हुए व्यापार में रुकावटें आने लगती हैं।
- कर्ज का बढ़ना।
- विवाह में देरी होना।
- व्यापार में घाटा लगना।
- अचानक धन की कमी आना।
- युवाओं को नौकरी करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
- विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
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काल सर्प का निवारण
काल सर्प दोष ऐसी समस्या है, जिसका समाधान जल्द से जल्द कर लेना चाहिए। इसके बुरे प्रभाव को जितना ज्यादा अपने उपर हावी होने दिया जाएगा उस से जीवन में कष्टों की बढ़ोतरी होती रहेगी। काल सर्प के निवारण के लिए क्या करें आइए जानते हैं।
- शिव जी को नियमति गंगा जल अर्पण करें।
- हर सोमवार को शिव जी का अभिषेक करें।
- हर महीने आने वाली त्रयोदशी के दिन शिव की 4 परहर की पूजा करें।
- हर दिन शाम के समय भगवान शिव को काले तिल अर्पण करें।
- नाग नागिन का जोड़ा भगवान शिव को अर्पण करें।
- नाग को दूध पिलाएं।
काल सर्प के कारण होने वाली ऐसी समस्याओं का समाधान केवल शिव की पूजा से किया जा सकता है। काल सर्प से निज़ात पाने के लिए VAMA काल सर्प महायज्ञ करवा रहा है। इस पूजा में भाग लेकर आप भी काल सर्प से मुक्ति पा सकते हैं।