Shani Shanti Puja: शनि शांति पूजा कैसे करें, जानें पूजा विधि और महत्व
Shani Shanti Puja: क्या आप कष्टों में जीवन जी रहे हैं, कर्ज बढ़ रहा है, और इनकम बंद हो रही है, तो हो सकता है आपके जीवन में शनि की दशा का प्रभाव है। अगर आप इन सभी परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो शनि शांति पूजा (Shani Shanti Puja) करना शुभ फल सिद्ध होता है।
शनि शांति पूजा (Shani Shanti Puja) करने से जीवन के कष्टों का अंत और जीवन में उर्जा का संचार होता है। इससे शनि देव जीवन में आ रही सभी बाधाएं और भयंकर बीमारियों से मुक्ति दिलाते हैं। साथ ही जीवन में उन्नति के अवसर प्रदान करते हैं।
तो आइए, इस ब्लॉग में VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ देव से जानते हैं, शनि शांति पूजा क्या है? शनि देव पूजा विधि, शनि देव पूजा मंत्र और शनि देव पूजा के नियम…
आइए, सबसे पहले शनि शांति पूजा क्या है, जानते हैं।
शनि शांति पूजा क्या है?
शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि देव इस जन्म और पूर्व जन्म के कर्मों के फल हमे देते हैं। जिसके अनुसार हमे जीवन में सुख और दुःख का अनुभव होता है। जीवन में उन्नति और सफलता प्राप्ति के लिए हमे अच्छे कर्मो को करना अनिवार्य है। इसीलिए शनिदेव जी का शुभ फल पाने के लिए शनि शांति पूजा की जाती है।
शनि शांति पूजा के लाभ (shani shanti puja benefits)
शनि की साढ़े साती और ढ़ैया के फल
शनि की साढ़े साती और ढाई साल की अवधि का गोचर काल मनुष्य जीवन में बहुत अधिक प्रभाव देता है। जिसके कारण मनुष्य को शनि का विशेष फल प्राप्त होता है। इस समय में शुभ और अशुभ फल प्राप्त होता है। मनुष्य के कष्टों का कारण उसके कर्म होते हैं, परन्तु शनि गोचर के अनुसार आने वाले समय में मनुष्य को कर्मों फल देते हैं।
शनि ग्रह को शान्त करने के उपाय
शनि ग्रह को शान्त करने के लिए किए जाते हैं बहुत से उपाय, जिसमें शनि धाम में जान प्रमुख माना जाता है। शनि धाम शनि शिंगणापुर में जा कर शनिदेव का अभिषेक किया जाता है। शनि देव शांति के लिए महायज्ञ किया जाता है। शनि धाम में किया जाने वाला ये यज्ञ जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलवाता है।
शनि भगवान के निमित्त काली वस्तु का दान किया जाता है। जिसमे काले तिल काली दाल, काल धागा, काले वस्त्र में नारियल, सरसों का तेल, और लोहे का दान मुख्य रूप से किया जाता है।
शनि शिंगणापुर धाम का महत्व
शनि शिंगणापुर मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शनि को समर्पित है। ये देश का एकमात्र मंदिर है, जहाँ कोई हाथ से बनी प्रतिमा नहीं है। इसी स्थल को भगवान शनिदेव का जन्मस्थान माना जाता है।
मंदिर में लगभग 400 वर्ष पहले एक स्वयंभू शनि देवता की मूर्ति प्रकट हुई, जो शिला के स्वरुप में स्थापित है । इसे भक्तगण भगवान शनि के अभिसंधान का रूप मानते हैं। यहाँ पर कोई मंदिर नहीं है, बल्कि एक छोटा सा जर्जर प्राचीन मंदिर था, जो लोगों की आस्था का केंद्र है। परन्तु अब उसका पुननिर्माण कर दिया गया है।
काले रंग के संगमरमर की शनि देव की यह स्वयंभू मूर्ति लगभग 5 फुट 9 इंच ऊंची और 1 फुट 6 इंच चौड़ी है। शनि शिंगणापुर मंदिर की एक विशेषता यह है कि यहाँ पर मंदिर के आसपास कोई घेराव नहीं है और यहाँ पर किसी भी तरह की चोरी नहीं होती है। देखने में आता है की यहाँ लोगों के घरों और दुकानों परताला भी देखने को नही मिलता। मायता है की शनि देव स्वयं अपने क्षेत्र की रक्षा करते हैं।
वहां के लोगों से जानकारी प्राप्त होती है, अगर उस क्षेत्र में कोई बुरी नजर से जाता है, या कोई गलत काम करता है, जैसे चौरी या किसी के प्रति बुरे विचार भी रखता है, तो उसकी आँखों की रोशनी चली जाती है।
लोग यहाँ पूरी श्रद्धा से शनि अभिषेक करने आते हैं। इस मंदिर में हर शनिवार को भगवान शनि की पूजा अर्चना की जाती है। यहाँ पर ना केवल भारतीय अपितु विदेशों से भी लोग आते हैं और इस मंदिर की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को समझते हुए भगवान शनि की आराधना करते हैं।
मान्यता यह है कि यदि कोई मामा-भांजा इस पवित्र स्थल पर शनि का अभिषेक करवाते हैं, तो उन्हें अत्यधिक लाभ मिलता है। शनि शिंगणापुर मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहाँ आपको अद्भुत और शांतिपूर्ण वातावरण मिलेगा। इस पवित्र स्थल पर विधिपूर्वक शनि अभिषेक पूजा संपन्न करवाने से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
शनि शांति पूजा विधि (Shani Shanti Puja Vidhi)
- शनिवार के दिन उपवास करें।
- व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से करें।
- व्रत के दिन स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- एक लकड़ी की चौकी पर लौहे से बना या भोज पत्र से बना शनि यंत्र स्थापित करें।
- भगवान शनिदेव का ध्यान कर के यंत्र को पंचामृत से स्नान करवाएं।
- भगवान जी को फूलों की माला अर्पण करें।
- भगवान शनिदेव को फल और मिठाई आदि का भोग लगाएं।
- काली सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- भगवान शनिदेव की स्तुति करें।
- पूजा के बाद शनिदेव की आरती करें।
- शनि पूजन के बाद असहाय लोगों को भोजन अवश्य कराएं।
- लंगड़े और अंधे लोगों को भोजन करवाएं।
- व्रत का पारण काली उड़द की दाल की खिचड़ी से करें।
शनि देव की पूजा में करें इन मंत्रों का जाप
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि देव की पूजा में ना करें ये गलती
- शनि देव की पूजा में दीपक जलाने से शुभ फल मिलने में बाधा आती है।
- शनि देव को लाल रंग के फूल अर्पण ना करें।
- शनि देव की पूजा में ताम्बे के पात्र (बर्तन) प्रयोग नहीं करने चाहिए।
- शनि देव के सामने खड़े होकर उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए।
- शनि देव की प्रतिमा से आँखें मिलाकर पूजा नहीं करनी चाहिए।
- शनि देव की पूजा पश्चिम दिशा में मुंहकर के करनी चाहिए दूसरी किसी दिशा में करने से लाभ नहीं मिलता।
- शनि देव की पूजा कर के जाते हुए पीछे मुड़ कर ना देखें।
वामा के माध्यम से करें शनि शांति पूजा ऑनलाइन (shani shanti puja online)
अगर आपको शनि के प्रभाव से किसी तरह की परेशानी हो रही है। तो आज ही VAMA द्वारा करवाई जा रही शनि शांति महापूजा में भाग लेकर अपने जीवन के कष्टों का निवारण करें।