Purnima 2024: पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा, कब है पूर्णिमा? जानें पूर्णिमा की पूजा विधि

इस आर्टिकल में जानेंगे पूर्णिमा से जुडी कुछ रोचक जानकारी। पूर्णिमा क्यों होती है, इसका असर क्या होता है, पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा, पूजा किसकी करें, साल 2024 में पूर्णिमा कब है इत्यादि 

Purnima 2024: पूर्णिमा का सनातन मान्यताओं के अनुसार विशेष महत्व है। पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा का पूर्ण कलाओं में होना, पृथ्वी के लिए बहुत शुभ होता है। हम सब पर इसका गहरा असर होता है। जैसे पूर्णिमा की रात्रि में ज्वार भाटा का असर सबको दिखता है। उसी प्रकार हम सब के उपर भी पूर्ण चन्द्र का बहुत गहरा असर होता है, जो हमे पता ना होने के कारण दिखाई नहीं देता। 

इस आर्टिकल में जानेंगे पूर्णिमा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी। पूर्णिमा क्यों होती है, इसका असर क्या होता है, पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा, पूजा किसकी करें, साल 2024 में पूर्णिमा कब है …

आइए VAMA के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ देव से जानते हैं- पूर्णिमा के विषय में..

साल 2024 में पूर्णिमा तिथि कब कब है

पूर्णिमा तिथि एक महीने में एक बार आती है। इसके लिए कोई अंग्रेजी तारीख तय नहीं होती। पूर्णिमा सूर्य और चद्रमा की गति के आधार पर निर्धारित होती है।

purnima-2024
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पूजा का नाममंदिर (स्थान)
ऋण मुक्ति पूजाऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन)
माता कामाख्या महापूजामाता कामाख्या शक्तिपीठ (गुवाहाटी)
शनि साढे़ सातीशनि शिंगणापुर देवस्थानम,महाराष्ट्र
लक्ष्मी कुबेर महायज्ञ और रुद्राभिषेकजागेश्वर कुबेर मंदिर ,अल्मोड़ा, उत्तराखंड
राहु ग्रह शांति पूजाजरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर ,प्रयागराज

इस साल 2024 में पूर्णिमा 

23 मई 2024, बृहस्पतिवार, वैशाख पूर्णिमा (प्रारम्भ- 22 मई 2024, शाम 06:46 बजे से, समाप्त- 23 मई 2024,शाम 07:21 बजे तक।)

22 जून 2024, शनिवार, ज्येष्ठ पूर्णिमा (प्रारम्भ- 21 जून 2024, सुबह 07:30 बजे से, समाप्त- 22 जून 2024, सुबह 06:36 बजे तक।)

21 जुलाई 2024, रविवार, आषाढ़ पूर्णिमा (प्रारम्भ- 20 जुलाई 2024, शाम 05:58 बजे से, समाप्त- 21 जुलाई 2024, दोपहर 03:45 बजे तक।)

19 अगस्त 2024, सोमवार, श्रावण पूर्णिमा (प्रारम्भ- 18 अगस्त 2024, रात 03:03 बजे से, समाप्त- 19 अगस्त 2024, रात 11:54 बजे तक।)

18 सितम्बर 2024, बुधवार, भाद्रपद पूर्णिमा (प्रारम्भ- 17 सितम्बर 2024, सुबह 11:43 बजे से, समाप्त- 18 सितम्बर 2024, सुबह 08:03 बजे तक।)

17 अक्टूबर 2024, बृहस्पतिवार, आश्विन पूर्णिमा (प्रारम्भ- 16 अक्टूबर 2024, रात 08:41 बजे से, समाप्त- 17 अक्टूबर 2024, दोपहर 04:56 बजे तक।)

15 नवम्बर 2024, शुक्रवार, कार्तिक पूर्णिमा (प्रारम्भ- 15 नवम्बर 2024, सुबह 06:18 बजे से, समाप्त- 16 नवम्बर 2024, रात 02:57 बजे तक।)

15 दिसम्बर 2024, रविवार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा (प्रारम्भ- 14 दिसम्बर 2024, शाम 04:57 बजे से समाप्त- 15 दिसम्बर 2024,दोपहर 02:30 बजे तक)

पूर्णिमा व्रत और पूजन विधि

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार पूर्णिमा के दिन स्नान दान का अधिक महत्त्व है। इस दिन गंगा जी में स्नान का महत्व है। अगर सम्भव ना हो तो अपने घर में ही स्नान के जल में गंगा जल मिला लेना चाहिए, ये एक विकल्प हो सकता है। 

  • इस दिन स्नान इत्यादि से निवृत हो कर पूजा पाठ करते हुए, दिन भर उपवास करना चाहिए।
  • इस दिन किया गया दान और पुण्य पूर्ण फल देने वाला होता है।
  • इस दिन गरीब लोगों की सहायता करनी चाहिए। 
  • इस दिन शाम को चन्द्र दर्शन के बाद चंद्रमा की पूजा कर के भोजन ग्रहण किया जाता है।
  • दिन में सत्य नारायण भगवान जी की पूजा की जाती है।

पूर्णिमा तिथियों का महत्व

जीवन में अपनी अध्यात्मिक उन्नति के लिए पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन चद्रमा का सब से अधिक प्रभाव होता है। जिसके प्रभाव से हमारे मानसिक विचार बहुत अधिक प्रगतिशील होते हैं। इस दिन मन में सबसे अधिक चंचला होती है। अगर आज के दिन हम मन के विचारों को नियंत्रण में रखते हैं, तो जीवन की बहुत सी परेशानियों को दूर कर सकते हैं। साल में कुछ पूर्णिमा ऐसी भी आती है, जिस पर चद्रमा पृथ्वी के सबसे अधिक पास होता है। इस कारण साल में उस पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले पर्व

  • चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है।
  • वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा है।  
  • ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत पूजा के रूप में मनाया जाता है।
  • आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू-पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा करते हैं। 
  • श्रावण मॉस की पूर्णिमा के दिन रक्षाबन्धन का पावन त्यौहार मनाया जाता है।
  • भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन उमा माहेश्वर जी का व्रत रखा जाता है।
  • अश्विन की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
  • कार्तिक महा की पूर्णिमा के दिन पुष्कर मेला और भीष्म पञ्चक का अंतिम दिन  मनाया जाता है।
  • मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन महर्षि दत्तात्रेय जी की जयंती मनाई जाती है।
  • पौष की पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। 
  • पौष की पूर्णिमा के दिन वाराणसी में गंगा जी के दशाश्वमेघ घाट तथा प्रयाग में त्रिवेणी संगम घाट पर स्नान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • माघ की पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती और भैरव की जयंती मनाई जाती है। 
  • फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन रंगों का पर्व होली त्यौहार मनाया जाता है।

पूर्णिमा व्रत से जुड़ी विशेष बातें

  • पूर्णिमा के दिन मांगलिक कार्य जैसे यज्ञ, विवाह, देव पूजा आदि कर करना शुभ माना जाता है। 
  • विष्णु भगवान जी की पूजा और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए पूर्णिमा तिथि को शुभ फल देने वाली माना जाता है। 
  • माघ, कार्तिक, आश्विन और आषाढ़ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को  महत्वपूर्ण माना गया है। 
  • इस दिन दान करने से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। 

पूर्णिमा व्रत के लाभ

  • पूर्णिमा का व्रत मानसिक कष्टों से मुक्ति देता है। 
  • परिवार में शांति के लिए पूर्णिमा का व्रत किया जाता है।
  • जिनकी कुण्डली में चंद्रमा से किसी प्रकार का कोई दोष आ रहा हो, उस दोष की शांति के लिए पूर्णिमा का व्रत किया जाता है।
  • मानसिक रोग की शांति के लिए पूर्णिमा का व्रत किया जाता है।  
  • पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु जी का अभिषेक करने से भगवान विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। 
  • इस दिन व्रत करने से जीवन की बहुत सी समस्या दूर होती हैं।
  • पूर्णिमा के दिन व्रत पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। 

पूर्णिमा के दिन क्या ना करें

इस दिन माँस का सेवन करने से बचें।

शराब जैसे नशीले पदार्थों का सेवन ना करें ।

इस दिन पवित्रता को अपनाना चाहिए, ऐसा न करने पर आपके भविष्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

किसी की बुराई करने से बचें।

पूर्णिमा का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्त्व 

ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन सूर्य और चन्द्र 180 डिग्री पर  होते हैं। चंद्रमा को ज्योतिष शास्त्र में मन का करक ग्रह कहा जाता है। मनुष्य के खून में जो तत्व पाए जाते हैं, उसी से मिलते जुलते तत्व समुद्र के जल में पाए जाते हैं। इसी कारण पूर्णिमा की रात्रि में जो ज्वार भाटा समुद्र में आता है, उसी तरह का प्रभाव हमारे खून में भी देखा जाता है। साथ ही चंद्रमा मन के कारक होने से उसी रात में मानसिक रोगों की अधिकता देखी जाती है। जिन लोगों को दिल के रोग होते हैं, उनको भी पूर्णिमा की रात्रि अधिक समस्या होती हैं।

ऐसे ही ज्योतिष, त्योहार, और सनातन धर्म की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए VAMA ब्लॉग अवश्य पढ़ें।