Jyotish for pregnancy: प्रेग्नेंसी के दौरान इन उपायों से करें बच्चे के ग्रहों को मजबूत
Jyotish for pregnancy: माँ-बाप बनना हर पति-पत्नी का सपना होता है। परन्तु जब किसी कारण से सपना पूरा नहींं हो पता, तब मन बहुत निराश हो जाता है। उसके लिए बहुत से कारण हो सकते हैं।
किसी के खान-पान के कारण, तो कभी अदृश्य शक्तियों के कारण, तो किसी के शारीरिक विकारों के कारण, ये सपना पूरा नहीं हो पता है। इसके पीछे कुण्डली में छिपे बहुत से कारण हो सकते हैं।
माँ बनने में हो रही है देरी
देखा जाता है मेडिकल रिपोर्ट तो सब ठीक होती हैं, परन्तु गर्भधारण करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हमे सबसे पहले अपनी कुंडली के अनुसार समस्या का पता कर के अदृश्य कारणों का निवारण करना चाहिये जो विज्ञान से पता नहीं चल सकते।
कुछ ऐसी समस्या भी होती हैं जो आधुनिक विज्ञान में चुनौती हैं, परन्तु ज्योतिष शास्त्र से उनका रास्ता निकाला जा सकता है।
शास्त्रों में हर विषय को बहुत गहराई से बताया गया है। आज जरुरत है, केवल समझने की और उस पर अमल करने की।
तो आइए VAMA के ज्योतिषाचार्य आचार्य देव से जानते हैं, सन्तान प्राप्ति के लिए क्या करें, क्या ना करें?
आज के समय में माँ बनना एक चुनौती बना हुआ है। हमारी जीवन-शैली इस चुनौती का मुख्य कारण है, परन्तु सबके लिए एक जैसा कारण नहींं हो सकता। मुख्य कारण को समझना जरुरी है।
गर्भाधान स्त्री के मसिक धर्म से जुड़ा है। जब इसमें कोई समस्या होती है तो गर्भधारण करने में समस्या होती है। इसके बाद होने वाला शुक्राणु का निषेचन मुख्य रूप से स्त्री में माँ बनने की क्रिया का एक हिस्सा है।
पुरुषों में भी ये ही क्रिया होती है। परन्तु इनमे मासिक धर्म का संस्कार ना होकर वीर्य का पुष्ट होना बताता है, कि उसमें गर्भ धारण करने की कितनी क्षमता है। वीर्य जितना पुष्ट होता है उसके आधार पर ही सन्तान उत्पत्ति होती है।
गर्भाधान में अगर कोई समस्या आती है तो उसकी शुरूआत दोनों पति-पत्नी के खानपान से होती है। क्योंकि खानपान से ही शरीर में वीर्य का निर्माण होता है। जैसा खानपान हमारी जीवन शैली में होगा वैसा ही धातु का निर्माण होता है। फिर उसी से गर्भ में भ्रूण का निर्माण होता है।
कुछ लोग समझते हैं की गर्भ में पल रहे बालक पर हमारे किये हुए काम का असर कैसे पड़ेगा। परंतु हमें ध्यान रखना चाहिए कि इतिहास साक्षी है, अभिमन्यु जैसे वीरों का, जिसने माता के गर्भ में ही, युद्ध का चक्रव्यूह भेदन सीख लिया था।
1. गर्भ का पहला महीना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गर्भधारण के पहले महीने का अधिपति ग्रह शुक्र होता है। क्योंकि इस महीने में स्त्री पुरुष का वीर्य, राज तरल रूप में होता है, जो की शुक्र ग्रह को दिखाता है। पहले महीने में स्त्री पुरुष के वीर्य से शुक्राणु मिलकर जीव का निर्माण करने की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
इस महीने में क्या करें
इस महीने में अधिक खट्टा खाना चाहिए। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को खट्टे रस के रूप में स्वीकार किया गया है। जितना मजबूत शुक्र होगा उतना पुष्ट वीर्य होकर कार्य करता है।
इस महीने में क्या न करें
किसी भी तरह का दान नहींं करना चाहिए।
2. गर्भ का दूसरा महीना
दूसरे महीने में वीर्य जो तरल रूप में था, मज्जा के रूप में परिवर्तित होने लगता है, इसलिए इस महीने में मंगल को इसका अधिपति माना जाता है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को मज्जा का कारक माना जाता हैं
इस महीने में क्या करें
इस महीने में अधिक से अधिक मीठा खाना चाहिये। ऐसे में मंगल ग्रह की मजबूती गर्भ को पुष्ट करती है।
इस महीने में क्या न करें
इस महीने में आपको अधिक तीखा नहींं खाना चाहिए। अधिक बोझ उठाने से बचना चाहिए।
3. गर्भ का तीसरा महीना
इस महीने में गर्भ में स्थापित मज्जा के पिण्ड में जीव की उत्पत्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को जीव की संज्ञा दी गई है। इसी महीने में हृदय धमनी (हार्टबीट) आती है। इसे ही जीवन का लक्षण कहा गया है।
इस महीने में क्या करें
इस महीने के दौरान मीठी चीजों का सेवन करना बहुत शुभ होता है।
इस महीने में क्या न करें
किसी बड़े का निरादर ना करें। किसी की बद्दुआ ना लें।
4. गर्भ का चौथा महीना
गर्भधारण के बाद चौथे महीने में गर्भ में स्थित भ्रूण में हड्डियों का निर्माण होने लगता है। हड्डियों का कारक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को माना गया है। अतः चौथे महीने का कारक सूर्य देव को कहा गया है। सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है और हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन D को कारक भी माना जाता है।
इस महीने में क्या करें
इस महीने में सूर्य देव की उपासना करना और फलों का अधिक से अधिक सेवन करना गर्भवती महिला के लिए बहुत शुभ माना गया है।
इस महीने में क्या न करें
इस समय में पिता या ससुर का अपमान ना करें। किसी की आत्म को दुखी ना करें।
5. गर्भ का पांचवा महीना
गर्भधारण करने के बाद पांचवें महीने में गर्भ में स्थित भ्रूण के अंदर श्वेत रक्त कण कोशिकाएं (व्हाइट ब्लड) सेल का निर्माण होने लगता है। इस समय में भ्रूण के अंदर जल की मात्रा नियमित होने लगती है।
इस महीने में क्या करें
ऐसे में दूध दही चावल जैसी सफेद चीजों का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से चंद्रमा विशेष रूप से मजबूत होता है, और गर्भ में पल रहे भ्रूण को स्वस्थ मन प्रदान करता है। इस समय के दौरान गर्भवती महिला को सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए। ऐसा करना बहुत शुभ होता है।
इस महीने में क्या न करें
इस समय में किसी का मन ना दुखाए। विशेष रूप से अपनी माता या सास उनके साथ कहा सुनी ना करें।
6. गर्भ का छठा महीना
गर्भाधान के छठे महीने में भ्रूण की स्नायु तंत्र का निर्माण होता है। जिससे रक्त प्रवाह नियमित होने लगता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि का प्रभाव स्नायु तंत्र पर है। इसलिए इस महीने का कारक शनि को माना जाता है।
इस महीने में क्या करें
इस महीने में कैल्शियम से बनी चीजों का विशेष रूप से सेवन करना चाहिए। खाने में कसौली चीज जैसे जामुन,आवंला इत्यादि शामिल करें। इससे गर्भ को पुष्टि मिलती है। बच्चा स्वस्थ रहता है।
इस महीने में क्या न करें
इस समय में किसी गरीब को प्रताड़ित न करें। किसी के सामने अहंकार में कुछ ना बोलें। किसी को नीचा ना दिखाएं।
7. गर्भ का सातवां महीना
गर्भधारण के बाद सातवें महीने में बुध ग्रह का प्रभाव देखा जाता है बुध ग्रह चमड़ी के कारक हैं। इस समय में बच्चे का विकास हो चुका होता है। बच्चे को ऊपर की चमड़ी का आवरण पुष्ट रूप में प्राप्त होने लगता है। इस समय में उसके रूप रंग का निर्माण होता है।
इस महीने में क्या करें
ऐसे में बुध ग्रह को प्रसन्न रखने के लिए फलों का आहार करें। रस का पान करें। बुद्ध एक युवक ग्रह है, इसीलिए ऐसा चित्र अपने सामने रखें जिसकी कामना आप बच्चों के रूप में करना चाहते हैं।
इस महीने में क्या न करें
इस समय में क्रोध ना करें। गर्भ का बालक अब आपकी सभी आदतों को समझने लगता है। और जैसी चेष्टाएं आप करते हैं, उसके अनुसार बच्चा भी जन्म लेने के बाद वही आदतों का अनुसरण करता है।
8. गर्भ का आठवां और 9. नौवां महीना
गर्भ धारण करने के बाद गर्भ का आठवां और नवें महीने के स्वामी सूर्य और चंद्र देव को माना गया है। ऐसे समय में गर्भ में पल रहे भ्रूण के अंदर मानसिक व आत्मिक विकास होता है।
इस महीने में क्या करें
इस समय में आपको अधिक से अधिक साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। अधिक से अधिक देव उपासना करनी चाहिए। आपके विचार जैसे रहेंगे बच्चों के मानसिक विचार उसी तरह के होते हैं। इसलिए इस महीने में आपको अधिक से अधिक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।
इस महीने में विष्णु भगवान की पूजा करने का विधान है। भगवान विष्णु के बाल रूप का पूजा जरुर करें।
इस महीने में क्या न करें
इस महीने में अपनी आदतों में कुछ भी गलत ना शमिल करें। इसका असर होने वाले बच्चे पर पूरी उम्र होने वाला है।
ये तो थी, ज्योतिष के अनुसार गर्भ के 9 महीने में क्या करें, क्या ना करें की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और अनुष्ठानों की जानकारी के लिए वामा (Vama) से जुड़े रहें।
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