Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानिए पूजा विधि और मंत्र…
Maa Kalratri Ki Puja Vidhi: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है। दुर्गा जी के सातवें स्वरूप में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है।
मां कालरात्रि अवतार का पूजा करने से भक्तों को जीवन में समृद्धि, आर्थिक उन्नति, व्यापार में लाभ, कर्ज मुक्ति और सिद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही देवी समस्त नकारात्मक शक्तियों से व्यक्ति की सुरक्षा करती हैं।
नवरात्रि के सातवें दिन भक्त विशेष मंत्र और भोग के द्वारा कालरात्रि को प्रसन्न करते हैं। इस वर्ष कालरात्रि की पूजा 9 अक्टूबर, 2024 बुधवार को की जाएगी। ऐसे में इसदिन किस विधि से पूजा की जाती है, मंत्र क्या है, क्या भोग लगाएं? इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।
तो चलिए, यहां VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य देव से जानते हैं- नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा कैसे करें?
सबसे पहले मां दुर्गा जी की सातवीं स्वरूप कालरात्रि को जान लेते हैं।
कालरात्रि : मां दुर्गा का सातवां स्वरूप
मां दुर्गा के इस रूप को सबसे शक्तिशाली माना गया है। माता कालरात्रि का रंग घने अंधेरे के भांति काला है और केश लंबे, खुले और बिखरे हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा ने कालरात्रि का अवतार बुराई का नाश करने हेतु लिया था। यह अवतार धारण कर उन्होने शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज जैसे दानवों का वध किया था।
तो चलिए यहां जानते हैं, मां कालरात्रि की पूजा विधि (maa kalratri puja vidhi) और मंत्र क्या है?
मां कालरात्रि की पूजा विधि (maa kalratri puja vidhi)
- सातवें दिन यानी 9 अक्टूबर को प्रात: स्नानादि के बाद मां कालरात्रि की व्रत का संकल्प लें।
- जहां आपने कलश स्थापना की है, वहां साफ-सफाई करके मां कालरात्रि की प्रतिमा या फोटो को लाल/पीले कपड़े पर रख दें।
- अब मां कालरात्रि को कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
- मां कालरात्रि को धूप दिखाकर मां की विधिवत पूजा करें।
- मां कालरात्रि को लाल रंग पसंद है अतः लाल के फूल अवश्य चढ़ाएं।
- साथ ही माता को भोग में गुड़ से बनी प्रसाद चढ़ाएं।
- मां कालरात्रि की आराधना मंत्रों का पाठ करें।
- उसके बाद आप दुर्गा सप्तशती और मां कालरात्रि की आरती का पाठ करें।
- इन मंत्रों का पाठ को करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
मां कालरात्रि का भोग (Maa Kalratri Bhog)
सातवें दिन मां कालरात्रि को गुड़ या मेवों से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे मां आपके उपर आने वाले सभी संकटों से आपको दूर रखेंगी।
मां कालरात्रि बीज मंत्र
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:.
मां कालरात्रि मंत्र (maa Kalratri mantra)
दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे।
चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम ।
मां कालरात्रि की आरती (maa kalratri aarti)
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली मां जिसे बचावे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि मां तेरी जय ॥
मां कालरात्रि की कथा (mata kaalratri ki katha)
कहा जाता है कि जब दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, तब इससे चिंतित होकर सभी देवता शिवजी के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने माता पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा।
शिवजी की बात मानकर माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा, तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया।
इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह मां दुर्गा ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।
ये तो थी, मां कालरात्रि की पूजा विधि (Maa Kalratri Ki Puja Vidhi) और मंत्रों की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और मंत्रों की जानकारी के लिए वामा ऐप से जुड़े रहें।