Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, जानिए पूजा विधि और मंत्र…
Maa Chandraghanta Ki Puja Vidhi: इस वर्ष मां दुर्गा जी की तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा 5 अक्टूबर, 2024 को संपन्न की जाएगी। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है।
मां चंद्रघंटा को मां पार्वती जी की सुहागिन अवतार कहा जाता है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा पूजा-अर्चना करने से भक्तों के समस्त पाप व बाधाएं दूर हो जाती हैं। साथ ही दांपत्य जीवन सुखमय रहता है।
इसदिन भक्त विशेष मंत्र और भोग के द्वारा माता चंद्रघंटा को प्रसन्न करते हैं। ऐसे में इसदिन किस विधि से पूजा की जाती है, मंत्र क्या है, क्या भोग लगाएं? इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।
तो चलिए, यहां VAMA के ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य देव से जानते हैं- नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे करें?
सबसे पहले मां दुर्गा जी का तृतीय स्वरूप को जान लेते हैं।
चंद्रघंटा : मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप
माता चंद्रघंटा को चंद्रखंड, चंडिका और रणचंडी के नाम से भी जाना जाता है। माता के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा (chandraghanta) कहा जाता है। मान्यता है कि मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है।
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पूजा का नाम | मंदिर (स्थान) |
ऋण मुक्ति पूजा | ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (उज्जैन) |
शनि साढे़ साती | शनि शिंगणापुर देवस्थानम, महाराष्ट्र |
राहु ग्रह शांति पूजा | जरकुटिनाथेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज |
माँ बगलामुखी महापूजा | माँ बगलामुखी धाम, उज्जैन |
पितृ दोष शांति एवं त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा | धर्मारण्य तीर्थ, गया, बिहार |
आइए अब यहां जानते हैं, माता चंद्रघंटा की पूजा विधि और मंत्र क्या है?
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि (maa chandraghanta puja vidhi)
- 5 अक्टूबर, 2024 को तृतीया तिथि के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें।
- जहां आपने घटस्थापना की है, वहां साफ-सफाई करके माता चंद्रघटा की प्रतिमा को लाल या पीले कपड़े पर रख दें।
- अब मां चंद्रघंटा को कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं।
- माता की तस्वीर के पास धूप दिखाकर मां की विधिवत पूजा करें।
- मां चंद्रघंटा को पीला रंग प्रिय है, अतः उन्हें पीले रंग के फूल और भोग अवश्य चढ़ाएं।
- पूजा के समापन के पहले देवी चंद्रघटा की आराधना मंत्रों का पाठ करें।
- उसके बाद आप दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती (Maa Chandraghanta Aarti) का पाठ करें।
- इन मंत्रों का पाठ को करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
मां चंद्रघंटा के लिए भोग (Maa Chandraghanta Bhog)
मां चंद्रघंटा देवी को दूध से बनी मिठाई और खीर अत्यधिक प्रिय है। अतः इस दिन, दूध से बनी चीजों का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करें। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि दूध का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और समृद्धि का आशीष देती हैं।
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र
‘ऐं श्रीं शक्तयै नमः’
मां चंद्रघंटा के मंत्र (Maa Chandraghanta Mantra)
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
मां चंद्रघंटा की आरती (Maa Chandraghanta Aarti)
पूजा संपन्न होने के बाद मां चंद्रघंटा की आरती का पाठ अवश्य करें।
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
मां चंद्रघंटा की कथा (maa chandraghanta ki katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का रूप तब धारण किया था जब दैत्यों का आतंक स्वर्ग पर बढ़ने लगा था। महिषासुर का आंतक और भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था। क्योंकि महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था और स्वर्ग लोक पर अपना आधिपत्य जमाना चाहता है।
जब देवताओं को इसका पता चला तो सभी परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे।
त्रिदेवों ने देवताओं की बात सुनी और क्रोध प्रकट किया। कहा जाता है इसी क्रोध से त्रिदेवों के मुख से एक ऊर्जा निकली और उसी ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं, जिनका नाम मां चंद्रघंटा है। उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, विष्णुजी ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया।
इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वधकर देवताओं और स्वर्ग लोक की रक्षा की।
ये तो थी, मां चंद्रघंटा की पूजा विधि और मंत्रों (maa chandraghanta puja vidhi) की बात। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और मंत्रों की जानकारी के लिए वामा ब्लॉग से जुड़े रहें।