गणेश चतुर्थी पर 28 मार्च को बन रहा है शुभ संयोग, जानिए गज केसरी योग का अलग-अलग भावों में फल और प्रभाव
Gajkesari Yog 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे कुंडली में कई प्रकार के योग बनते हैं। मान्यता है कि राजयोग जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में बड़ी भूमिका रखते हैं। सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों जैसे वेद और पुराण के अनुसार कुण्डली में 32 तरह के राजयोग होते हैं। इनमें कुछ प्रमुख हैं। गजकेसरी, बुद्धादित्य आदि।
आपको बता दें, ये राजयोग बहुत प्रभावशाली होते हैं। इनके प्रभाव से जातक जीवन में बड़े से बड़े संकट में भी परेशान नहीं होता है। साथ ही अतुलनीय धन, यश और वैभव प्राप्त करता है।
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तो आइए, इस ब्लॉग में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ आचार्य देव से जानते हैं गणेश चतुर्थी के दिन 28 मार्च, 2024 को बनने वाले गज केसरी योग (Gajkesari Yog) और इससे होने वाले प्रभाव के बारे में।
सबसे पहले जान लेते हैं, गज केसरी योग क्या होता है?
गज केसरी योग क्या है (Gajkesari Yog Kya Hai)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुण्डली में बनने वाले बहुत से ऐसे ही योग जो जीवन में हर पल हमें राजा की तरह जीवन जीने का वरदान देते हैं, उनमें से ही एक है, गजकेसरी योग।
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गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ योग माना जाता है, कुण्डली में बनने वाले अनेक प्रकार के शुभ योगों में सबसे प्रबल होता है। किसी भी कुंडली में गुरु और चंद्रमा दोनों ही शुभ ग्रह होते हैं अतः यह योग धन के कारक ग्रह गुरु (बृहस्पति) और मन के कारक चंद्रमा के योग से बनता है।
गज केसरी योग का गुरू और चन्द्र ग्रह से संबंध
जब गुरु और चंद्र दोने हर तरह से बलि होते हैं तो गजकेसरी योग बनता है। इस योग के नाम से ही इसका अर्थ पता लगता है, ये योग हाथी और सिंह के संयोग को बताता है। गज में शक्ति और सिंह में साहस होता है। उसी तरह जिस जातक की कुण्डली में गज केसरी योग होता है, वह जातक बलवान, निडर और शक्ति सम्पन होता है वह गज के समान शक्तिशाली होता है और अपने साहस से सभी कार्य सिद्ध करता है।
कैसे बनता है गज केसरी योग?
कुंडली में गज केसरी योग (Gajkesari Yog) गुरु और चंद्रमा के योग से बनता है। अगर कुण्डली के केंद्र स्थान यानी लग्न, चौथे और दसवें भाव में गुरु-चंद्र साथ हो और बलवान स्थिति में हो तो यह योग बनता है। अगर चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो भी गजकेसरी योग बनता है।
इस योग में सबसे बलवान राजयोग वो होगा जिसमें गुरु ग्रह अपनी उच्च राशि में चंद्र ग्रह के साथ हो।
उत्कृष्ट गजकेसरी राजयोग का उदाहरण – यदि मेष लग्न के अनुसार चौथे भाव में गुरु चन्द्रमा के साथ हो तो सबसे बलवान गजकेसरी योग का निर्माण होगा।
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परन्तु जब चंद्रमा की युति गुरु से होने के साथ किसी क्रूर ग्रह से भी हो रही तो तो ऐसा गज केसरी योग भी निष्फल साबित हो जाता है।
गज केसरी योग के साथ-साथ कुण्डली के अनुसार आने वाली दशाओं का भी विशेष महत्व होता है, अगर कुण्डली में योग हो परन्तु उस योग के लिए अनुकूल ग्रह दशा ही न आये तो वो योग, कभी कभी अपना पूरा फल नहीं दे पाता।
कुंडली के विभिन्न भावों में गज केसरी योग का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारी कुण्डली में बारह भाव होते हैं उसमे से जिस भाव में जब गज केसरी योग बनता है तो उसी भाव के अनुसार उसका फल होता है, हर भाव का फल अलग होने के कारण, हर भाव के अनुसार बनने वाले योग का फल भी अलग होता है।
प्रथम भाव
अगर कुण्डली के पहले भाव लग्न में ये योग बनता है, तो जातक प्रसिद्ध होता है। लोग उससे मिलने के लिए समय लेते हैं। वो सबका प्यारा होता है, राजनेता होता है, किसी न किसी तरह वो लोगों का नेतृतव करता है, वह बहुत धनवान होता है, पुत्रों का सुख भोगता है।
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दूसरा भाव
यदि यह योग कुण्डली के दूसरे भाव में बनता है, तो जातक जन्म से ही सोने का चम्मच मुह में लेकर पैदा हुआ होता है। वो बहुत बड़े घर का दीपक होता है। उसे जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती। वो एक प्रसिद्ध कथा वाचक या कोई अन्य वक्ता होता है। उसकी वाणी में मिठास होती है।
तीसरा भाव
गजकेसरी योग कुंडली के तीसरे भाव में बने तो इस से जातक के भाई बहन भी पराक्रम व उच्च पद प्राप्त करते हैं। ऐसा जातक स्वयं पराक्रमी होता है और समाज में मान-सम्मान पता है। ऐसे व्यक्ति के सम्बन्ध बड़े बड़े अधिकारी लोगों से होते हैं।
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चौथा भाव
गज केसरी योग चौथे भाव में सुख-सम्पति व माता के स्थान की वृद्धि करता है। ऐसे में जातक को भवन, वाहन और सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं। जातक के परिवार में हर तरह का सुख का साधन होता है।
पाँचवा भाव
कुंडली के पंचम भाव पुत्र या बुद्धि भाव में यह योग बने तो जातक बुद्धि के बल पर पैसा कमाने वाला होता है। ऐसा जातक अध्यापक, वैज्ञानिक, बुद्धिमान प्रवृत्ति वाला हर कार्य में निपुण होता है। अच्छा लेखक भी हो सकता है। जातक को संतान से सुख मिलता है।
छठा भाव
कुंडली के छठे भाव (शत्रु या रोग भाव) में यह योग जातक को शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला होता है, अगर जातक की कुण्डली के अनुसार कोई भी क्रूर ग्रह उसे न देखे तो ही ये योग लाभ देने वाला होता है।
सातवाँ भाव
कुण्डली के सप्तम भाव में बना ये योग बहुत शुभ होता है। ऐसे में जातक को एक अच्छा जीवनसाथी मिलता है, जो एक उच्च पद पर होता है। अगर जातक किसी के साथ हिस्सेदारी में कोई काम करता है, तो उसे बहुत लाभ देता है।
अष्टम भाव
अष्टम भाव में बना ये योग जातक को तन्त्र मन्त्र से लाभ देने वाला होता है। ऐसा योग होने पर जातक पर किसी तरह का कोई तन्त्र मन्त्र काम नहीं करता। जातक गुप्त धन प्राप्त करता है। जातक को गुप्त विद्या की भी प्राप्ति होती है।
नवम भाव
भाग्य भाव में बना ये योग जातक को भाग्यशाली बनाता है। ऐसे में जातक को कम महेनत से अधिक लाभ मिलता है। जातक के लिए दूसरे हमेशा मदद के लिए साथ खड़े होते हैं। जातक देश विदेश दोनों से लाभ कमाता है।
दशम भाव
अगर दशम भाव में ये योग बनता है। तो जातक के जीवन में काम की कमी नही होती। जातक को पिता का साथ और पिता की सम्पत्ति भी प्राप्त होती है। जातक को पिता का काम विरासत में मिलता है।
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ग्याहरवां भाव
एकादश भाव में अगर ये योग बनता है। तो जातक को बिना अधिक परिश्रम के भी बहुत अधिक धन की प्राप्ति होती है। जातक को हर प्रकार के व्यवसाय से धन और लाभ प्राप्त होता है।
बारहवां भाव
बाहरवें भाव में बना गज केसरी योग जातक को अधिक व्यय से बचाता है। जातक को विदेश से लाभ के योग बनते हैं। अगर इस भाव पर करुर ग्रहों की दृष्टि होती है, तो जातक को इन्वेस्टमेंट के बाद लाभ मिलता हैं। परन्तु अचानक आने वाले नुकसान का भय नहीं होता।
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आइए, अब जानते हैं कि गणेश चतुर्थी पर क्या करें कि हो धन की वर्षा
गणेश जी को हर प्रकार की समृधि देने वाला देवता कहा जाता है। गणेश जी की पूजा आपको हर तरह के कष्टों से छुटकारा दिलवा कर, घर में सुख शांति प्रदान करती है।
मेष राशि
मेष राशि वालों को 2 बेसन के लड्डू गणेश जी को भोग लगाने चाहिए।
वृष राशि
वृष राशि वालों को हाथी को खाने की कोई चीज खिलानी चाहिए।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों को गणेश जी को हरी घास अर्पण करनी चाहिए।
कर्क राशि
कर्क राशि वालों को गणेश जी को वस्त्र भेंट करने चाहिए।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों को गणेश जी जो 4 लड्डू उसमें लोंग डाल कर भोग लगाना चाहिए।
कन्या राशि
कन्या राशि वालों को हरी बर्फी गणेश जी को भोग लगानी चाहिए।
तुला राशि
तुला राशि वालों को केसर से बनी खीर का भोग गणेश जी को लगाना चाहिए।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों को गंगाजल से स्नान करवा कर गणेश जी को चन्दन का तिलक करना चाहिए।
धनु राशि
धनु राशि वालों को गणेश जी के मंदिर जा कर भूखों को भोजन करवाना चाहिए।
मकर राशि
मकर राशि वालों को काले तिल का लड्डू बना कर गणेश जी को अर्पण करना चाहिए।
कुम्भ राशि
कुम्भ राशि वालों को गणेश जी को हरे रंग का वस्त्र अर्पण करना चाहिए।
मीन राशि
मीन राशि वालों को गणेश जी के सामने पेड़े का भोग लगाना चाहिए।
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ये तो थी, गज केसरी योग (Gajkesari Yog) और इससे होने वाले प्रभाव की जानकारी। ऐसे ही ज्योतिष, धर्म और राशिफल जानने के लिए VAMA ऐप से जुड़े रहें।