36 साल बाद होली के दिन होगी सूर्य पर राहु की छाया, जानें इसका प्रभाव और उपाय
Holi 2024 and Surya Rahu Yuti: फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 25 मार्च, 2024 को है। लेकिन इस दिन ग्रहों की स्थिति काफी उथलपुथल रहने वाली है।
इस दौरान सूर्य राहु की युति से कई राशियों के लिए काफी अच्छा तो कुछ राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।
तो आइए, इस ब्लॉग में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य देव से जानते हैं कि सूर्य राहु की युति से आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए सूर्य राहु की युति बहुत अच्छी होने वाली है। आपके लिए विदेश यात्रा का योग बनेगा। आप को विदेश से पैसा कमाने का अवसर मिलेगा।
उपाय:- इस दिन लाल चीजों का दान करें।
वृष राशि
वृष राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति (Surya Rahu Yuti) अनुकूल रहेगी। आपका भाग्य आपका पूरा साथ देगा। आपके स्वभाव में चंचलता भरा समय रहेगा।
उपाय:- काले कपड़े में नारियल लपेट कर जल में प्रवाहित करें।
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अपने नाम और गोत्र से पूजा संपन्न कराएं
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति होने से आपको सावधान रहने की जरुरत है। आपकी वाणी का प्रभाव इस समय में कम रहने वाला है। आपको शांति से समय बिताना होगा।
उपाय:- हाथी को भोजन खिलाएं।
कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति जायदा अच्छी नहीं है। आपको धन की हानि हो सकती है। आपका उत्साह बढ़ा रहेगा।
उपाय:- अपनों के साथ समय बिताएं।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति (Surya Rahu Yuti) सबसे अधिक प्रभाव लेकर आई है। सूर्य राहु की युति आपको मानसिक रूप से भी प्रभावित करेगी। ये युति आपकी राशि से आठवे घर में बन रही है, इस से आपको सावधान रहना होगा।
उपाय:- पिता को उपहार भेंट करें।
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति (Surya Rahu Yuti) काम में तेजी लाने वाली है। परन्तु अगर आप हिस्सेदारी में काम कर रहे हैं, तो हि आपको लाभ होगा।
उपाय:- मित्रों को उपहार भेंट करें।
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति उत्तम होने वाली है। इस समय में आपके लिए उन्नति के अवसर बनते हैं। नया घर या प्लाट खरीदने के योग बनेंगे।
उपाय:- लाल वस्तु जल में प्रवाहित करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति पद और प्रतिष्ठा दिलाने वाली है। भवन से जुड़े काम इस समय में पूरे होंगे। अगर किसी से कोई विवाद है, तो समाप्त होगा।
उपाय:- किसी गरीब को भोजन करवाएं।
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति के समय घर में उत्सव देखने को मिलेंगे, आपके घर में किसी की शादी या कोई अन्य आयोजन हो सकता है।
उपाय:- कोढ़ी को वस्त्र दान करें।
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति का ये समय निश्चित रूप से बहुत अच्छा रहने वाला है। पिछले कुछ समय से आप उर्जा से भरा महसूस कर रहे हैं।
उपाय:- शनि मंदिर जाकर तेल का दान करें।
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कुम्भ राशि
कुम्भ राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति का समय आलस्य भरा रहेगा। इस समय में आपकी काम करने की उर्जा कम होती जा रही है, सूर्य उदय से पहले उठकर अपनी ऊर्जा को दुबारा जागृत करने की जरूरत है।
उपाय:- शिव के मन्त्रों का जाप करें।
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मीन राशि
मीन राशि वालों के लिय सूर्य राहु की युति बहुत ही खास होने वाली है। आपकी राशि के अनुसार लग्न में ही सूर्य राहु की युति बनी हुई है, इस होली ये युति आपको मानसिक पीड़ा देगी।
उपाय:- विष्णु भगवान की पूजा करें।
VAMA द्वारा आयोजित ऑनलाइन पूजा में भाग लें
अपने नाम और गोत्र से पूजा संपन्न कराएं
होली के विशेष उपाय के लिए आप VAMA द्वारा आयोजित पूजा में भाग ले सकते हैं।
- नज़र दोष निवारण के लिए करें शिव जी की विशेष पूजा
- संतान प्राप्ति के इच्छुक करें भगवान श्री कृष्ण जी के बाल रूप की पूजा
- अगर आप शत्रु द्वारा हुई तन्त्र बाधा से परेशान हैं तो करें भैरव की पूजा
- अगर धन प्राप्ति की इच्छा है, तो करें लक्ष्मी कुबेर पूजा
- ऋणमुक्ति के लिए करें ऋणमुक्तेश्वर महादेव की पूजा
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
- इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09:54 मिनट पर शुरू होगी और 25 मार्च दोपहर 12:29 तक रहेगी।
- 24 मार्च 2024 की शाम 6 बजकर 33 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट तक
- रात 11 बजकर 12 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 7 मिनट तक
क्या है होली का विधान
होली के पर्व से एक महीना पहले और कहीं 8 दिन पहले होली का दण्ड स्थापित करने का विधान है। रोजाना उसका पूजन किया जाता है। घरों की महिलाएं उसकी परिक्रमा करती हैं। उसके सामने सब विष्णु भगवान जी के अलग-अलग रूप का ध्यानकर, अपनी मनोकामना के अनुसार उनकी पूजा करते हैं।
होली की पौराणिक कथा
होली पर्व की बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें होलिका और प्रह्लाद की कहानी सबसे अधिक प्रचलित है।
कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत ही तपस्वी जो ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर चूका था, परन्तु असुर स्वभाव का राजा था जो, घमंड में इतना चूर था, की ख़ुद को ही भगवान समझता था। वो सभी को अपनी पूजा करने के लिए कहता था।
वो इतना क्रूर था कि, उसके के डर से सभी लोग हिरणयकश्यप की पूजा करने लगे थे। हिरणयकश्यप का एक बेटा हुआ, जिसका नाम प्रह्लाद था, वो अपने पिता को भगवान ना मानकर पूजा करने से इनकार करता था, और भगवान विष्णु जी की पूजा करता था। भगवान विष्णु जी के प्रति प्रह्लाद की भक्ति उसके पिता हिरणयकश्यप को अच्छी नहीं लगती थी।
इस कारण हिरणयकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को कई तरह से कठोर दण्ड दिए। फिर भी प्रह्लाद जी ने भगवान विष्णु जी की पूजा नहीं छोडी। क्रोधित होकर हिरणयकश्यप ने प्रह्लाद को मृत्यु दण्ड देने का निश्चयकर लिया।
हिरणकश्यप की एक बहन होलिका थी, उसे भगवान शिव के द्वारा एक वरदान था। जिस में होलिका को एक विशेष प्रकार का वस्त्र वरदान में मिला था। जब तक होलिका के शरीर पर ये वस्त्र रहेगा तब तक होलिका को आग जला नही सकती। तब हिरणयकश्यप में उसे बुलाया और उसे आदेश दिया, कि प्रह्लाद को गोद में लेकर होलिका आग में बैठे, जिस से होलिका तो बच जाएगी, परन्तु उसका बेटा मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा। तब होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी। परन्तु प्रह्लाद जी तो भगवान विष्णु जी के परम भक्त थे। वो श्री हरी के नाम का मन्त्र जाप करते रहे। भगवान जी अपने भक्तों की रक्षा करने वाले हैं, और इसे वो अपना कर्तव्य समझते हैं।
तब भगवान विष्णु जी ने ऐसा चमत्कार किया की अचानक तूफान आया और होलिका के शरीर का वस्त्र उड़ गया। तब होलिका आग में जलकर राख हो गई, परन्तु वहीं भगवान विष्णु जी के भक्त प्रह्लाद को अग्नि ने छुआ तक नहीं, तभी से होलिका दहन की परम्परा शुरू हुई। इसे बुराई पर अच्छाई के रूप में मनाया जाने लगा और तभी से जो लोग हिरणयकश्यप के अत्याचारों से दुखी थे, इस दिन को वो लोग उत्सव के रूप में मानाने लगे, उस दिन भगवान् श्री हरी विष्णु जी ने अपने होने का और दीनदुखी लोगों की मदद करने वाले होने का प्रमाण सबको दिया।
सब को परमात्मा में इसी तरह मिल जाना है जैसे रंगों में रंग मिल जाते हैं। उसी दिन से रंगों से खेलने का विधान बन गया और इस तरह होली के उत्सव की शुरुआत हो हुई।
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