22 मार्च 2024 को होलाष्टक में 36 साल बाद सूर्य और राहु होंगे एक साथ, जानिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि
Phalgun shukla paksha pradosh vrat 2024: ऐसे तो प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि को होता है परन्तु शुक्ल पक्ष की ये त्रयोदशी होलाष्टक होने के कारण बहुत महतवपूर्ण हो जाती है।
आपको होलाष्टक के दिनों में आप किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए विशेष समय होता है, इस बार यह व्रत सूर्य राहु की युति में है जिसके कारण, हर राशि पर इसका कुछ न कुछ अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है। हर वर्ष की तरह इस बार भी प्रदोष व्रत होली से 2 दिन पहले ही पड़ रहा है। 36 साल बाद होली पर सूर्य राहु की युति विशेष फल देने वाली होगी।
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तो आइए, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य देव से जानते हैं इस युति का किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही जानते हैं, फाल्गुन शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत का महत्व, पूजा विधि और उपाय।
सबसे पहले जानते हैं, प्रदोष व्रत (2024 Pradosh Vrat 2024) कब पड़ रहा है?
प्रदोष व्रत 2024 (Pradosh Vrat 2024)
हर वर्ष इस व्रत की तिथि फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 मार्च, 2024 को पड़ेगा। आपको बता दें, व्रत काल गणना के अनुसार मार्च के महीने के आस पास ही आता है। भगवन शिव जी की पूजा का ये सब से उत्तम दिन माना जाता है। सनातन धर्म में वैसे तो हर दिन उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
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हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि तथा खुशहाली रहती है। मान्यता है कि इस दिन रात्रि में अमृत की वर्षा होती है।
यह प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। परंतु सावन के माह में प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक हो जाता है। जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है तो भगवान शिव उससे बहुत प्रसन्न होते है।
आइए, अब जानते हैं कि प्रदोष व्रत क्या है?
प्रदोष व्रत क्या है (What is Pradosh Vrat)
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत की तिथि भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इस तिथि को प्रदोष तिथि क्यों कहा गया है उसके पीछे एक कथा है।
प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा
एक समय की बात है चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था। जिसकी वजह से चंद्र देव को मृत्यु के समान ही कष्ट और पीड़ा झेलना पड़ था। उस समय भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन ही चन्द्र देव के उस दोष का निवारण किया।
प्रदोष व्रत की तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है।मान्यता है कि जब भी कोई व्यक्ति प्रदोष का व्रत करता है तो उसे बहुत से विषयों का ध्यान रखकर कुछ नियमों का पालन करना चाहिये।
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मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले लोगों को केवल मीठे का सेवन करना चाहिए। प्रदोष व्रत माह के अनुसार ही महत्व रखता है, सप्ताह के दिनों के अनुसार भी प्रदोष व्रत अपना अलग महत्व रखता है। प्रत्येक वार के दिन प्रदोष व्रत करने के भिन्न – भिन्न लाभ होते है।
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स्कन्द पुराण और शिव महापुराण में प्रदोष व्रत के बारे में बताया गया है कि इस दिन भगवान शिव अपने भवन ने नृत्य करते है। प्रदोष तिथि के दिन जो भी व्यक्ति भगवान शिव की पूजा व व्रत करता है। उसे भगवान शंकर का आशीर्वाद मिलता है और मनचाहे फल की भी प्राप्ति होती है।
मार्च में प्रदोष व्रत तिथि | शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रतशुक्रवार, 08 मार्च 2024कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत शुक्रवार, 22 मार्च 2024 | 08 मार्च 2024,सुबह 01:19 बजे –08 मार्च 2024,रात 09:57 बजे22 मार्च 2024,सुबह 04:44 बजे –23 मार्च 2024,सुबह 07:17 बजे |
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
सनातन धर्म में सभी त्योहारों के नियम निर्धारित होते है। इसलिए उन त्योहारों के लिए नियमों को पालन करना आवश्यक है। भगवान को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए बताई जा रही विधि से ही पूजा करें।
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- व्रत करने वाले को सुबह जल्दी उठा कर स्नान कर के नया वस्त्र धारण करने चाहिये।
- अब मन में दिनभर व्रत करने का संकल्प करना चाहिये।
- भगवान शिव की पूजा के लिए बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, मीठा और गंगाजल लेकर मंदिर में पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन आपको केवल फल खाना चाहिये, शाम को पुन: स्नान कर के साफ़ कपड़े धारण करें।
- रात्रि में घर में या मंदिर में पूजा करनी चाहिये, अगर घर में पूजा करते हैं तो गाय के गोबर से लीप कर साफ कर लें उस पर वेदी का निर्माण करें।
- आपको इस दिन दिन शिव जी का ध्यान कर के शिव जी को प्रसन करने वाले स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, इस दिन रुद्र अष्टअध्यायी के मन्त्रों का पाठ करना चाहिए।
- इस दिन दिन पूरी एकाग्रता से भगवान शिव का मन्त्र जाप करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के लाभ (Pradosh vrat benefits)
इस दिन व्रत करने से शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है। आप शत्रु समाप्ति के लिए, उन्नति के लिए, व्यापार वृद्धि के लिए,संतान प्राप्ति के लिए, शिक्षा प्राप्ति के लिए, घर में शांति के लिए, घर में भूत प्रेत की बाधा निवारण के लिए भी ये व्रत और पूजा कर सकते हैं।
इस व्रत को अधिकतर महिलाएं करती हैं, जिस से उनको अच्छे वर की प्राप्ति और अच्छी संतान की प्राप्ति होती है।
अगर आपको शत्रु परेशान करते हैं तो आपको ये व्रत करते हुए सरसों के तेल से भगवान जी का पूजन करना चाहिये आपके शत्रु समाप्त होंगे।
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महादेव को भूत प्रेत का स्वामी माना जाता है, इस लिए आज के दिन महादेव की पूजा करने से आपको उनसे भी मुक्ति मिलती है।
आइए, अब जानें इस दिन के विशेष उपाय
राशि के अनुसार करें उपाय
मेष राशि
मेष राशि वालों आपको व्यापर वृद्धि के लिए दूध से अभिषेक करना चाहिए।
वृष राशि
वृष राशि वालो को केवल जल से अभिषेक करना है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वाले जल में काले तिल मिला कर भगवान शिव जी का अभिषेक करें।
कर्क राशि
कर्क राशि वाले जल में सिंदूर मिला कर अभिषेक करें।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों को दूध में चावल मिला कर अभिषेक करना चाहिए।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले गन्ने के रस से अभिषेक करें।
तुला राशि
तुला राशि वाले पानी में शहद मिला कर अभिषेक करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वाले दूध में गेहूं के दाने मिला कर अभिषेक करें।
धनु राशि
धनु राशि वाले सरसों के तेल से अभिषेक करें।
मकर राशि
मकर राशि वालों को फलों के रस से अभिषेक करना चाहिये।
कुम्भ राशि
कुम्भ राशि वालों को अन्नार के रस से अभिषेक करने से लाभ होगा।
मीन राशि
मीन राशि वालों को अभिषेक के बाद हरी मूंग की दाल भगवान शिव जी को अर्पण करनी चाहिए।
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प्रदोष व्रत में रखें इन बातों का ध्यान
- अगर आप व्रत का संकल्प लेते हैं, तो आपको पूरे दिन में कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
- व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए।
- मन वाणी और कर्म से शुद्ध होकर ही व्रत करना चाहिए।
- व्रत धारण कर के ब्र्ह्मचारी व्रत का पालन करें।
- आज के दिन आपको मांसाहार नही खाना है, प्याज लहसुन भी न खाएं, हो सके तो आज केवल फल खा कर ही व्रत पूरा करें।
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ये तो थी, फाल्गुन शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि की बात। ऐसे ही ग्रह गोचर, ज्योतिष और राशिफल की जानकारी के लिए VAMA ऐप डाउनलोड करें।